फ्रांस ने माली में सर्जिकल स्ट्राईक कर 30 बाइक सवारों को मौत के घाट उतार दिया है। फ्रांस का दावा है कि यह अलकायदा से जुड़े आतंकी थे। दरअसल फ्रांस ने यह कार्रवाई उस वक्त की जब फ्रांस में मुस्लमानों द्वारा राष्ट्रपति मैक्रों के ब्यान की निंदा की जा रही थी। इससे पूर्व राष्ट्रपति ने देश में एक अध्यापक द्वारा पैगंबर हजरत मोहम्मद का विवादित कार्टून दिखाने का समर्थन किया था। उस अध्यापक की हत्या के बाद हिंसा की दो अन्य घटनाएं घटी। विश्व भर के मुस्लमानों ने राष्ट्रपति मैक्रों के बयान की निंदा की। आखिर मैक्रों ने नई रणनीति के तहत धर्म आधारित कार्टून का समर्थन न करने की बात कहकर हिंसा को बर्दाश्त नहीं करने की चेतावनी दे दी। भले ही मैक्रों ने किसी भी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाकर फिर खेद व्यक्त कर दिया लेकिन तब तक मामला काफी आगे निकल चुका था।
दरअसल सारा मामला ही आतंकवाद व धर्म के बीच अंतर पैदा करने का है। आतंकवाद किसी भी तरह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। आतंकवाद का कोई भी धर्म नहीं होता। आतंकवाद को धर्म के साथ जोड़ने वाले धर्म का दुरुपयोग करते हैं। अमेरिका में विश्व व्यापार केंद्र, भारतीय संसद व मुंबई आतंकी हमला आतंकवाद का काला चेहरा हैं। ऐसे में सभी देशों का यह कर्तव्य बनता है कि आतंकवाद व धर्म को अलग-अलग परिभाषित किया जाए। इस मामले में जॉर्ज डब्लयू बुश की नीतियां व रणनीतियों का जिक्र भी होना लाजिमी है। बुश ने विश्व व्यापार केंद्र पर हुए हमले के बाद एक महीने तक यह प्रचार किया कि वे आतंकवाद और धर्म को किसी भी रूप में एक नहीं मानते। आखिर बुश प्रशासन ने अफगानिस्तान में अलकायदा के खिलाफ जोरदार कार्रवाई भी की। अमेरिका की कार्रवाई के कारण आतंकवादी संगठन काफी कमजोर पड़ गए।
जहां तक फ्रांस में घटनाओं का संबंध है, फ्रांस आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका की तरह मजबूती से लड़ाई नहीं लड़ सका। आतंकवाद के खिलाफ पूरी दुनिया फ्रांस के साथ है लेकिन इस लड़ाई को गलत अर्थ निकालने वाली ताकतों के प्रति सावधान रहना होगा। आतंकवाद इंसानियत का दुश्मन है और धर्म व मानवता की सलामती चाहता है। धर्म के नाम पर आतंकवादी संगठनों ने न केवल शरीफ लोगों को गुमराम किया बल्कि उच्च शिक्षा प्राप्त युवकों को भी हिंसक बना दिया, जिनमें इंजीनियर तक शामिल थे। इन परिस्थितियों में आतंकवाद के खिलाफ जंग को पूरी सतर्कता से लड़ने की आवश्यकता है ताकि आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई किसी धर्म के खिलाफ साबित न हो।
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