500 किमी ऊंचाई से दुश्मन के टैंकों की गिनती में सक्षम
- स्मार्ट सिटी नेटवर्क की योजनाओं में भी मददगार
- 14 देशों के 30 नैनो उपग्रहों भी एक साथ प्रक्षेपित
श्रीहरिकोटा। भारत ने आसमान में एक और सफल छलांग लगाई है। श्रीहरिकोटा से लांच पीएसलवी सी-38 का परीक्षण कामयाब रहा। ये पीएसएलवी की लगातार 40 वीं सफल उड़ान है। इसके ज़रिए भेजे गए कार्टोसैट-2 सैटेलाइट अपनी कक्षा में पहुंच गया है। ये सैटेलाइट न सिर्फ भारत के सरहदी और पड़ोस के इलाकों पर अपनी पैनी नजर रखेगा, बल्कि स्मार्ट सिटी नेटवर्क की योजनाओं में भी मददगार रहेगा। भारत के पास पहले से ऐसे पांच सैटेलाइट मौजूद है।
पीएसएलवी-सी38 के साथ भेजे गए इन सभी उपग्रहों का कुल वजन करीब 955 किलोग्राम है। इन उपग्रहों में आॅस्ट्रिया, फिनलैंड, इटली, जापान, लातविया, लिथुआनिया, बेल्जियम, चिली, चेक गणराज्य, फ्रांस, जर्मनी, स्लोवाकिया, ब्रिटेन और अमेरिका समेत 14 देशों के 29 नैनो उपग्रह शामिल हैं। इसके अलावा एक भारतीय नैनो उपग्रह भी शामिल है। पीएसएलवी-सी38 ने सभी उपग्रहों को जमीन से 505 किलोमीटर ऊपर ध्रुवीय सौर स्थैतिक कक्षा (पोलर सन सिनक्रोनस आॅरबिट)में स्थापित किया। पीएसएलवी की ‘एक्सएल’ विन्यास के तौर पर यह 17वीं उड़ान थी।
यह रहेगा अहम योगदान
कार्टोसैट-2 शहरी और ग्रामीण इलाकों में सड़क निर्माण, सड़क नेटवर्क पर निगरानी रखने, जल वितरण, तटीय इलाकों में विकास कार्य के अलावा अन्य भौगोलिक जानकारी जुटाने में भी सहायक सिद्ध होगा। कार्टोसैट-2 उपग्रह सीमा पर होने वाली प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखेगा और इससे भारत की सैन्य शक्ति में इजाफा होगा।
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