ISRO News: डॉ. संदीप सिंहमार। चंद्रमा के साउथ पोल पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो नित नए आयाम स्थापित कर खगोल विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया भर में अपनी सफलता का लोहा मनवा रहा है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा में भी इसरो की सफलता पर सैल्यूट किया है। अब इसरो के वैज्ञानिकों ने रॉकेट इंजनों के लिए हल्का नोजल तैयार किया है। हल्के नोजल से रॉकेट की पेलोड क्षमता में बढ़ोतरी होगी। इसरो ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि मंगलवार उसने रॉकेट इंजनों के लिए हल्के कार्बन-कार्बन (सी-सी) नोजल को सफलतापूर्वक विकसित किया है। यह तकनीक रॉकेट इंजन तकनीक में एक नई पहल है। इसरो ने कहा है कि हल्के नोजल से अब रॉकेट की पेलोड क्षमता में बढ़ोत्तरी के साथ-साथ खगोल विज्ञान में चमत्कार देखने को मिलेगा।
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र ने बनाई यह तकनीक | ISRO News
इसरो की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार यह नवाचार तिरुवनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र द्वारा तैयार किया गया है। अब इसके जरिए रॉकेट इंजनों के महत्वपूर्ण मापदंडों को बढ़ावा मिल सकेगा। इसमें थ्रस्ट लेवल, स्पेशिफिक इम्पल्स और थ्रस्ट एवं वजन अनुपात शामिल है। इसरो के मुताबिक इन बदलावों से रॉकेट की पेलोड क्षमता में वृद्धि होगी।
उच्च तापमान में भी यांत्रिक गुणों को बनाए रखने में सक्षम
इसरो के मुताबिक ने नोजल डायवर्जेंट बनाने के लिए कार्बन-कार्बन (सी-सी) कंपोजिट जैसी उन्नत सामग्रियों का प्रयोग किया गया है। इसने असाधारण गुण प्रदान मिलेंगे। हरे कंपोजिट के कार्बोनाइजेशन,रासायनिक वाष्प और उच्च तापमान उपचार जैसी प्रक्रियाओं का उपयोग करके, इसने कम घनत्व, उच्च विशिष्ट शक्ति और उत्कृष्ट कठोरता के साथ एक नोजल तैयार किया है, जो ऊंचे तापमान पर भी यांत्रिक गुणों को बनाए रखने में सक्षम है।
प्रतिकूल वातावरण में भी हो सकेगा रॉकेट परिचालन | ISRO News
बता दे कि सी-सी नोजल की एक प्रमुख विशेषता इसकी सिलिकॉन कार्बाइड की विशेष एंटी-ऑक्सीडेशन कोटिंग है, जो ऑक्सीडायजिंग वातावरण में इसकी परिचालन सीमा को बढ़ाती है। इसरो के अनुसार, यह नवाचार न केवल थर्मल प्रेरित तनाव को कम करेगा बल्कि रॉकेट लॉन्चिंग के दौरान होने वाली कोरिजन अवरोध को भी बढ़ाएगा, जिससे प्रतिकूल वातावरण में विस्तारित परिचालन तापमान सीमा को सहने की शक्ति मिल सकेगी। ऐसा होने से मौसम अनुकूल होने के इंतज़ार से भी छुटकारा मिलेगा।
ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान के लिए कारगर होगी तकनीक
इस नई तकनीकि से बनाए गए नोजल का इस्तेमाल विशेष रूप से वर्कहॉर्स लांचर, ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) के लिए हो सकेगा। इसरो के मुताबिक, PSLV का चौथा चरण, PS4 में फिलहाल कोलंबियम मिश्र धातु से बने नोजल वाले जुड़वां इंजन लगे हैं। जिनका भार बहुत ज्यादा है। भार ज्यादा होने के बावजूद भी इसरो ने अपने मिशन सफल किए है,जनकी आज दुनियाभर में चर्चा है। धातुओं से बने इन नोजल की जगह उनके समकक्ष तैयार किए गए सी-सी हल्के नोजल को लगाकर लगभग 67 फीसदी का भार कम किया जा सकता है यानी अब किसी भी रॉकेट लांचिंग में इंजन के भार के बाधा आड़े नहीं आएगी।