ISRO News: चेन्नई (एजेंसी)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) पीएसएलवी-सी60 अंतरिक्ष डॉकिंग डेमोस्ट्रेशन स्पेडेक्स मिशन के तहत पीएसएलवी आॅर्बिटल एक्सपेरीमेंट मॉड्यूल-4 (पीओईएम-4) पर रिकॉर्ड 24 वैज्ञानिक प्रयोगों को अंतरिक्ष में तैनात करके एक ग्राउंड मेकिंग मिशन की शुरूआत करेगा। इसके 30 दिसंबर को श्रीहरिकोटा के शार रेंज से प्रक्षेपित होने की संभावना है। इसरो ने कहा कि पीएसएलवी-सी60 स्पेडेक्स मिशन इस श्रृंखला का चौथा पीओईएम-4 मिशन है। इस मिशन में कुल 24 पेलोड उड़ाए जाएंगे जिनमें से 14 पेलोड इसरो/डीओएस केंद्रों से हैं और 10 पेलोड विभिन्न गैर-सरकारी संस्थाओं (एनजीई) से हैं जिनमें अकादमिक और स्टार्ट-अप शामिल हैं जिन्हें इन स्पेस के माध्यम से प्राप्त किया गया है। यह पिछले पीओईएम-3 प्लेटफॉर्म की तुलना में पीओईएम की क्षमता में तीन गुना महत्वपूर्ण वृद्धि है जिसमें इसने केवल आठ पेलोड होस्ट किए थे। पीएस4-आॅर्बिटल एक्सपेरीमेंट मॉड्यूल जिसे पीओईएम के रूप में नामित किया गया है पीएलएलवी के खर्च किए गए चौथे चरण के उपयोग को संदर्भित करता है।
इसरो ने कहा कि यह वैज्ञानिक समुदाय को पीओईएम प्लेटफॉर्म का उपयोग करके तीन महीने तक की विस्तारित अवधि के लिए कुछ इन-आॅर्बिट माइक्रोग्रैविटी प्रयोगों को करने का अवसर प्रदान करता है जो अन्यथा मिशन के प्राथमिक पेलोड को इंजेक्ट करने के मिशन उद्देश्य के तुरंत बाद अंतरिक्ष मलबे के रूप में समाप्त हो जाते। ऐसे प्रायोगिक पेलोड भविष्य के मिशनों के लिए विभिन्न प्रूफ-आॅफ-कॉन्सेप्ट और सक्षम प्रौद्योगिकियों को मान्य करने के लिए अग्रदूत प्रयोगों के रूप में कार्य करते हैं।
इसरो ने 24 पीओईएम-4 पेलोड की विशेषताओं के बारे में कहा कि विभिन्न इसरो केंद्रों और इकाइयों से 14 इसरो/डीओएस पेलोड में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी, तिरुवनंतपुरम) से पांच पेलोड, अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला (एसपीएल-वीएसएससी) से चार, इसरो जड़त्वीय प्रणाली इकाई (आईआईएसयू-वीएसएससी) से तीन, एसपीएल और आईआईएसयू से एक सहयोगी पेलोड और भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएसटी, वलियामाला) से एक पेलोड शामिल हैं।
इसरो/डीओएस केंद्रों से 14 पेलोड मुख्य रूप से भविष्य के इसरो मिशनों के लिए अग्रदूत प्रयोगों के रूप में सक्षम प्रौद्योगिकियों और प्रमाण-अवधारणाओं के सत्यापन पर ध्यान केंद्रित करते हैं। एनजीई के 10 पेलोड में विज्ञान और इंजीनियरिंग के विभिन्न स्पेक्ट्रा का अध्ययन शामिल है।