Israel-Iran Crisis
अरब दुनिया में तनाव बढ़ता चला जा रहा है। इजरायल तो पहले से ही आक्रामकता की सीमाएं लांघता आ रहा है और अब उसके मुकाबले में ईरान ने भी उतनी ही आक्रामक मुद्रा अपना ली है। ईरान और इजराइल (Israel-Iran Crisis) के बीच सीधे युद्ध की आशंका ने विश्व के लिए चिंता पैदा कर दी है। ईरान और इजरायल के बीच तनाव इस कदर बढ़ गया है कि एक दिन के अंदर ही अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने तुर्किये, चीन और सऊदी अरब के विदेश मंत्रियों से बात की है। अमेरिकी विदेश मंत्री यह समझाने की कोशिश में लगे हैं कि मध्य-पूर्व में तनाव में वृद्धि किसी के हित में नहीं है। ईरान जहां धार्मिक कट्टरता के लिए जाना जाता है, वहीं इजराइल टकराव को धार्मिक रंग भी दे रहा है। इजरायल-फिलिस्तीन की जंग दो संप्रदायों की लड़ाई बनती जा रही है।
इजरायल के खिलाफ सीरिया, यमन, लेबनान और यूएई पहले से ही मैदान में हैं। यदि अमेरिका इजराइल का समर्थन करता है तो चीन और रूस भी अमेरिका के खिलाफ खड़े हैं। भारत ने ताजा परिस्थितियों को भांपकर अपने नागरिकों को इजराइल व ईरान न जाने की सलाह दी है। इसी तरह कई देशों ने अपनी उड़ानें रद्द कर दी हैं। भले ही ईरान का आक्रामक रुख दिख रहा है, लेकिन यहां भी इजराइल की हरकतें युद्ध का माहौल बनाने के लिए जिम्मेदार हैं। अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद इजराइल लगातार फिलिस्तीन पर हमले कर रहा है। हमास के खिलाफ इजरायल की कार्रवाई भले ही युद्ध का हिस्सा हो, लेकिन राहत सामग्री लेने आए आम फिलिस्तीन नागरिकों की हत्या कर देना इजरायल की कार्रवाई पर सवाल खड़े करता है। इजराइल की इस कार्रवाई से उसका समर्थक देश अमेरिका भी नाराज है। शक्तिशाली देशों को अपने हितों के स्वार्थ को त्याग युद्ध रोकने के लिए पहल करनी चाहिए। यदि हालात इसी तरह टकराव भरे रहे तो तीसरे विश्व युद्ध से इनकार नहीं किया जा सकता।