इस्लामिक स्टेट के समूल नाश की जरुरत

Islamic State, Destroyed

रीता सिंह

लंदन मेट्रो के पारसंस ग्रीन सबवे स्टेशन पर एक कोच में बम धमाका कर आतंकियों ने एक बार फिर अपने खतरनाक मंसूबों का इजहार किया है। हमले में दो दर्जन से अधिक लोग घायल हुए हैं और कईयों के चेहरे बुरी तरह झुलस गए हैं। हर बार की तरह इस बार भी हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ने ही ली है। ब्रिटेन में इस साल की यह 5वीं आतंकी घटना है। याद होगा, अभी गत माह पहले ही लंदन के मध्य इलाके में इस्लामिक स्टेट के आतंकियों ने हमलाकर सात लोगों की जान ली थी और चार दर्जन से अधिक लोगों को बुरी तरह घायल किया था। इससे पहले आतंकियों ने मानचेस्टर में अमेरिकी पॉप स्टार एरियाना गै्रंडें के म्यूजिक कंसर्ट के दौरान 22 निर्दोष लोगों की जान ली थी।
यह पर्याप्त नहीं कि विश्व बिरादरी इस हमले की निंदा कर अपने वैश्विक कर्तव्यों की इतिश्री समझ ले। उसकी जिम्मेदारी बनती है कि वह सभी मतभेदों को किनारे रख इस्लामिक स्टेट को कुचलने के लिए एकजुट हो। यहां समझना होगा कि इस्लामिक स्टेट के हमले में सिर्फ ब्रिटेन ही बार-बार लहूलुहान नहीं हो रहा है। एक तरह से यह हमला उन सभी शक्तियों पर भी है, जो इस्लामिक स्टेट के खतरनाक जेहादी सोच के विरुद्ध तनकर खड़े हैं। वैश्विक जमात को समझना होगा कि इस्लामिक स्टेट का मकसद सिर्फ दहशत कायम करना नहीं, बल्कि खुद को इस्लाम का सबसे बड़ा झंडाबरदार साबित कर दुनिया भर में शरीयत पर आधारित इस्लामिक कानून को लागू कराना है। वह इसका एलान भी कर चुका है।
ध्यान देना होगा कि सीरिया और इराक में मुंह की खाने के बाद इस्लामिक स्टेट दबाव में है और वह अपना दबदबा कायम करने के लिए यूरोप को निशाना बना रहा है। ब्रिटेन पर हमले की खास वजह यह है कि ब्रिटेन उसके विरुद्ध जंग में अमेरिकी गठबंधन सेना के साथ है। यही वजह है कि वह बार-बार ब्रिटेन को निशाना बना रहा है। गत वर्ष उसने ट्यूनिशिया में हमले के दौरान कई ब्रिटिश सैलानियों की हत्या की थी। ब्रिटेन में लगातार आतंकी हमले का एक कारण यह भी है कि यहां के भटके हुए युवा बड़े पैमाने पर इस्लामिक स्टेट में शामिल हुए हैं और ब्रिटेन की खुफिया एजेंसियां इराक और सीरिया से लौटकर आने वाले आतंकियों पर नजर रखने में नाकाम साबित हुई हैं। यूरोपिय देशों को समझना होगा कि वे इस्लामिक स्टेट से अपने को सुरक्षित तभी कर सकते हैं, जब आतंकवाद पर अपनी दोहरी मानसिकता की केंचुल से बाहर निकलेंगे।
किसी से छिपा नहीं है कि इस्लामिक स्टेट को लेकर रुस व अमेरिका समेत सभी ताकतवर देश अंदरखाने में बंटे हुए हैं और उसका सीधा फायदा इस्लामिक स्टेट को मिल रहा है। कुछ मुस्लिम देश भी इस्लामिक स्टेट को मदद पहुंचा रहे हैं। इस्लामिक देशों से की जा रही फंडिंग की वजह से ही इस्लामिक स्टेट के पास धन की कमी नहीं है। उसके जेहादी फौज में न सिर्फ सीरिया, इराक और इस्लामिक जगत के कट्टरपंथी सोच के लोग शामिल हैं, बल्कि यूरोपिय देशों के जेहादी तत्व भी शामिल हैं। इस्लामिक स्टेट की मंशा संपूर्ण दुनिया में सुन्नी इस्लामिक राज की स्थापना करना है। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु उसके लड़ाके बर्बरता का परिचय दे रहे हैं। इस्लामिक स्टेट से भारत को भी सतर्क रहने की जरुरत है।
हां, यह सही है कि पश्चिमी देशों की तरह भारत में इस्लामिक स्टेट का नेटवर्क मजबूत नहीं है, लेकिन पिछले कुछ समय से जिस तरह देश में इस्लामिक स्टेट के समर्थकों की गिरफ्तारी हुई है, वह कोई शुभ संकेत नहीं है। भारत को चाहिए कि वह ऐसे सभी संगठनों या लोगों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करे, जो इस्लामिक स्टेट से सहानुभुति रखते हैं या परोक्ष रुप से उन्हें मदद पहुंचा रहे हैं। अगर ऐसे संगठनों के प्रति नरमी बरती गयी, तो भारतीय संप्रभुता के लिए खतरनाक होगा। साथ ही विश्व बिरादरी को भी समझना होगा कि इस्लामिक स्टेट से निपटना अब किसी एक देश के बूते की बात नहीं है। उसे कुचलने के लिए वैश्विक समुदाय को आतंकवाद पर अपने दोहरे रवैए का परित्याग करना होगा।

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