Political party: एक समय था जब राजनीति में आना समाजसेवा समझा जाता था। राजनीति में आकर लोग स्थानीय व राष्ट्रीय स्तर के मुद्दे उठाते थे। इन मुद्दों पर विपक्ष में सरकार चर्चा करती थी, लेकिन एक समय आज भी है जब राजनीति समाज में एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए की जा रही है। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है।
सत्ता पक्ष हो या विपक्ष में बैठे नेता हमेशा एक दूसरे पर भला बुरा सोच बगैर कटाक्ष करते रहते हैं और हमारे देश की भोली-भाली जनता इन नेताओं के बहकावे में आकर आपसी भाईचारा तक बिगाड़ देते हैं। या एक दूसरे अपने नेता के समर्थन में नारेबाजी करते हुए बाजारों में लेकर पड़ते हैं। लेकिन याद होगा भारत देश में जब गुलामी के दिन थे। जब हमारा देश अंग्रेजी हुकूमत की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था। आंदोलन तब भी होते थे। नारेबाजी तब भी होती थी। लेकिन तब देश को आजाद करवाने के लिए व देश के भले के लिए राजनीति होती थी। ऐसा होता था तो अंग्रेजी सरकार पर भी इसका असर होता था।
तब की राजनीति ने वापिस भेज दिया था रोलेट एक्ट | Political party
गुलाम भारत में रोलेट एक्ट (काले कानून)जैसे कानूनों को हमारे देश के राजनीतिकों व क्रांतिकारी के विरोध के कारण ब्रिटिश सरकार को बदलना पड़ा था। सुना भी होगा आजकल जब कोई किन्हीं दो व्यक्तियों या परिवारों के बीच झगड़ा करवा देता है तो कहते हैं, क्यों राजनीति कर रहा है। इसका मतलब राजनीति शब्द आजकल अपने राजनीतिक धर्म से हटकर ओछी या छोटी मानसिकता का पर्याय बनता जा रहा है। मकान तोड़कर तंबू दान करने की कला ही राजनीति है!
तर्क साहित्य में जैकी यादव ने कहा भी है कि मकान तोड़कर तंबू दान करने की कला ही राजनीति है। आज़ादी के आंदोलनों से लेकर अब तक की राजनीति के मायने क्यों बदलते जा रहे हैं यह बिल्कुल सोचने का विषय है। आजकल देश की राजनीति में बिगड़े बोलों को लेकर एक दौर चल रहा है। सोशल मीडिया ही नहीं सार्वजनिक मंचों से सत्तासीन भाजपा सरकार के समर्थक जहां राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को जहां पप्पू नाम लेकर उनको अपमानित करने की कोशिश करते हैं तो कांग्रेस के नेता सोशल मीडिया पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी का नाम लिए बगैर फेंकू तक कह देते हैं।
पद की गरिमा भी भूल जाते हैं | Political party
यहां पद व गरिमा का भी ख्याल नहीं रखा जाता। संवैधानिक पद पर आसीन पर ऐसे कटाक्ष करना शोभा नहीं देता। व्यक्ति चाहे छोटा हो या बड़ा हर किसी का अपना सम्मान होता है और सभी सम्मान पाना चाहते भी हैं। लेकिन जब देश को चलाने वाले राजनीति में बैठे लोग सार्वजनिक मंचों पर आकर एक दूसरे पर अमर्यादित भाषा का प्रयोग कर टीका टिप्पणी करते हैं तो आमजन भी इसी भाषा का प्रयोग करने लगते हैं।
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दो दिनों से हरियाणा में राजनीतिक बोल उफान पर
अब दो दिनों से हरियाणा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान के हरियाणा प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल व देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर की गई टिप्पणी को लेकर बवाल मचा हुआ है। भारतीय जनता पार्टी के समर्थक हरियाणा प्रदेश के विभिन्न जिलों खासकर रोहतक और यमुनानगर में प्रदर्शन करते हुए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उदयभान का पुतला भी जलाया। आरोप है कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा था कि सीएम नींद में है, जनता से कुछ लेना-देना नहीं है। भाजपा रंदुवाओं की सरकार है। न तो पीएम शादीशुदा है न ही मनोहर लाल शादीशुदा है। उन्हें क्या पता घर कैसे चलता है? खास बात यह है कि कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान ने तो यह बात एक दिन पहले कही है।
जनसंवाद में बोले थे मुख्यमंत्री, लोग मुझे ऐसा कहते हैं
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल अपने जन संवाद कार्यक्रम के दौरान हिसार जिले के कुलाना गांव में खुद स्वीकार कर चुके हैं कि विरोधी मेरे बारे में ऐसा कहते हैं कि सीएम शादीशुदा नहीं है। उसे क्या पता घर कैसे चलाते हैं? सीएम ने कहा था हरियाणा प्रदेश के 2 करोड़ 80 लाख लोग मेरे परिवारजन है। परंतु एक राष्ट्रीय पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते उदयभान को भी ऐसी अमर्यादित भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
दूसरी तरफ कांग्रेस के ही एक अन्य नेता पूर्व मुख्यमंत्री राव वीरेंद्र सिंह के पौत्र एवं कांग्रेसी नेता राव अर्जुन सिंह ने स्थानीय विधायक एवं राज्य मंत्री ओम प्रकाश यादव पर अमर्यादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मंत्री शराब के नशे में रहते हैं और नालियों में गिर जाते हैं। राव अर्जुन सिंह का यह वीडियो अब सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। एक दिन पहले ही एक रैली को संबोधित करते हुए राव अर्जुन सिंह ने स्थानीय विधायक के बारे में ऐसा कहा था। लेकिन अभी तक राव अर्जुन सिंह की तरफ से किसी भी प्रकार की कोई सफाई नहीं दी गई है।
सार्वजनिक मंचों से टीका-टिप्पणी करना दुर्भाग्यपूर्ण
अब नेता चाहे किसी भी पार्टी के हो लेकिन सार्वजनिक मंचों से ऐसी बात कही जानी दुर्भाग्यपूर्ण है। ज्ञान जब भी किसी नेता की तरफ से आते हैं तो समाज का माहौल बिगड़ता का खतरा रहता है। इसलिए नेताओं को जनता के बीच जाते हुए सिर्फ अपना राजनीतिक धर्म निभाना चाहिए गलत भाषा का प्रयोग कभी भी नहीं करना चाहिए।
नेताओं को देखनी चाहिए देश प्रेम मूवी
राजनीति में अमर्यादित भाषा का प्रयोग करने वाले नेताओं को देश प्रेम मूवी जरूर देखनी चाहिए। इसके एक गीत के बोल हैं, ‘नफरत की लाठी तोड़ो, लालच का खंजर फेंकों, तुम जिद्द के पीछे मत दौड़ो देश प्रेमियों, आपस में प्रेम करो देश प्रेमियों…। पर आजकल के अधिकतर नेता नफरत की फैलाने का काम करते हैं। चाहे वह जाति के नाम पर हो,चाहे वह धर्म के नाम पर हो, लेकिन लोगों को कभी भी ऐसे लोगों के बहकावे में नहीं आना चाहिए। खुद राजनीति करने वाले लोगों को भी जुबान पर लगाम लगाते हुए प्रदेश में देश हित में काम करना चाहिए, ताकि समाज को समय पर एक सही दिशा मिल सके।