
Vehicle Policy: नई दिल्ली। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने जीवाश्म ईंधनों पर देश की निर्भरता को गंभीर चिंता का विषय बताया। उन्होंने कहा कि भारत के सामने प्रदूषण एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है, जिसमें सबसे बड़ा योगदान परिवहन क्षेत्र का है।
ईंधन आयात बना आर्थिक बोझ | Vehicle Policy
गडकरी ने कहा कि जीवाश्म ईंधन के आयात पर भारत हर साल करीब 22 लाख करोड़ रुपये खर्च करता है। यह न केवल आर्थिक दृष्टि से भारी बोझ है, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टि से भी खतरनाक है। इसी कारण स्वच्छ और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को अपनाना अब एक विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता बन चुका है।
साइकिलिंग को मिले बढ़ावा | Vehicle Policy
ठाणे में पर्यावरण अनुकूल इलेक्ट्रिक साइकिल की शुरुआत के अवसर पर उन्होंने कहा कि शहरीकरण के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए साइकिलिंग को एक स्थायी परिवहन साधन के रूप में बढ़ावा देना चाहिए। इससे न केवल प्रदूषण में कमी आएगी, बल्कि आम नागरिक की सेहत भी बेहतर होगी।
ईवी क्षेत्र में भारत का बढ़ता वर्चस्व
गडकरी ने कहा कि ऑटोमोबाइल सेक्टर में भारत ने 2014 के बाद जबरदस्त प्रगति की है और अब यह क्षेत्र जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटो बाजार बन चुका है। उन्होंने उम्मीद जताई कि 2030 तक भारत इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण में वैश्विक नेतृत्व करेगा।
वैकल्पिक ईंधन और तकनीकी नवाचार की ज़रूरत
मंत्री ने बताया कि लिथियम-आयन बैटरियों की कीमतों में आई गिरावट से इलेक्ट्रिक वाहन अब आम लोगों की पहुंच में आ रहे हैं। उन्होंने इसे पर्यावरणीय संरक्षण और आर्थिक मजबूती—दोनों की दिशा में अहम कदम बताया। इसके साथ ही उन्होंने भारत की युवा इंजीनियरिंग प्रतिभा और स्टार्टअप्स की सराहना की, जो ईवी और हरित ऊर्जा के क्षेत्र में लगातार नवाचार कर रहे हैं।