कांग्रेस के भीतर हाल ही के घटनाक्रम एक नई कांग्रेस के उदय होने का संकेत दे रहे है। जिस प्रकार एक-एक करके वरिष्ठ कांग्रेस नेता मीडिया के समक्ष या सोशल मीडिया में अपनी भड़ास निकाल रहे हैं इससे स्पष्ट है कि इन वरिष्ठ नेताओं की पार्टी के मंच पर न तो कोई सुनवाई हो रही है और न ही इनसे सलाह ली जा रही है। कपिल सिब्बल ने मीडिया से मुखातिब होकर बोला कि नहीं पता कि कांग्रेस में कौन निर्णय ले रहा है क्योंकि कांग्रेस का कोई अध्यक्ष ही नहीं है। उन्होंने कहा कि हम जी-23 ग्रुप के सदस्य हैं, जी-हुजुर-23 के नहीं। उनके इस ब्यान के उपरांत कपिल सिब्बल के घर पर कांग्रेसी कार्यकर्त्ताओं ने नारेबाजी की।
जी-23 के नेताओं से फिर से पत्र लिखकर कांग्रेस कार्यकारिणी की मीटिंग बुलाने की बात कही। पार्टी के सीनियर नेता सार्वजनिक रूप से ऐसे ब्यान दे रहे हैं इसके बावजूद शीर्ष नेतृत्व कोई कदम नहीं उठा रहा। कोई नेता अपनी अनदेखी का आरोप लगा रहा है तो कोई खुद को असहाय महसूस कर रहा है। पी.चिदंबरम का रूतबा किसी से छुपा नहीं है। लेकिन पी चिदंबरम भी असहाय महसूस कर रहे हैं। पिछले दिनों उन्होंने भी ट्वीट कर कहा कि ‘ जब हम पार्टी के भीतर कोई सार्थक बातचीत नहीं कर पाते हैं तो मैं बहुत ही असहाय महसूस करता हूँ, मैं तब भी आहत और असहाय महसूस करता हूँ जब एक सहकर्मी और सांसद के आवास के बाहर कांग्रेस कार्यकर्त्ताओं के नारे लगाने की तस्वीरें देखता हूँ’।
पंजाब में हुई राजनीतिक उठापटक के बीच हाईकमान के तेवरों को भांपते हुए नवजोत सिंह सिद्धू को भी कहना पड़ रहा है कि मैं चाहे किसी ओहदे पर रहूं या न रहूं मैं राहुल और प्रियंका गांधी का साथ देता रहूंगा। उन्होंने भी सोनिया गांधी का जिक्र नहीं किया। लगता है कि अब कांग्रेस राहुल और प्रियंका की इच्छा अनुसार युवा नेताओं को आगे लाने और पुराने नेताओं को पीछे करने के रास्ते पर चल पड़ी है क्योंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया व जतिन प्रसाद जैसे युवा व तेजतर्रार नेताओं को खोने के बाद अब कांग्रेस युवा नेताओं को आगे करने के लिए कोई भी जोखिम उठाने का मन बना चुकी है।
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