शाहरुख खान का बेटा आर्यन खान ड्रग मामले में जेल में बंद है। एक प्रसिद्ध अभिनेता का लड़का मीडिया और समाज में खलनायक बना हुआ है। उसका अपराध चर्चा का विषय है। आर्यन तो उस युवा वर्ग का एक चेहरा है, जो नशों की दलदल में बुरी तरह फंसा हुआ है। राजनीति और मीडिया ने इस बात को बिल्कुल नहीं उठाया कि आखिर युवा पीढ़ी नशों में क्यों फंसती जा रही है? नशों का जाल कैसे समाप्त होगा, इस मामले में चिंता करनी तो दूर की बात है। आर्यन बालीवुड अभिनेता का बेटा है और बालीवुड ड्रग के नाम पर पहले ही बदनाम हो रहा है। यही कुछ आर्यन को विरासत में मिला है। आर्यन को ऐसी विरासत देने वालों पर भी सवाल उठने चाहिए। आर्यन तो समाज की एक कमजोरी का शिकार हो रहा है।
बालीवुड के कई अभिनेता शाहरुख खान का साथ तो दे रहे हैं किंतु एक भी अभिनेता यह नहीं कह रहा कि बॉलीवुड कलाकारों की औलाद को ड्रग से बचाने के लिए कौन से कदम उठाए जाएं। देश केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से लेकर महाराष्टÑ के स्वास्थ्य मंत्री तक किसी का भी बयान सामने नहीं आया कि नई पीढ़ी को बचाने के लिए क्या प्रयास किए जाएं। वास्तव में नशा करने वाला नशा पीड़ित भी है। असली दोषी तो वह लोग हैं जो देश-विदेश से ड्रग तैयार करवाकर अरबों रुपए की काली कमाई कर रहे हैं। कानूनी कार्रवाई भी आवश्यक है लेकिन आर्यन की गिरफ्तारी ही ड्रग का समाधान नहीं बल्कि इस पीढ़ी को नशे से रहित करने के लिए सरकारों और समाज की भी जिम्मेदारी है।
शाहरुख सहित बॉलीवुड के अन्य कई प्रसिद्ध कलाकारों ने अपनी औलाद के प्रति जिम्मेदारी को अनदेखा किया है, क्या यही लोग बच्चों के प्रति लापरवाही बरतने की गलती स्वीकार करेंगे? आर्यन को इस बुरी लत से न रोक पाने वाले माता-पिता और समाज दोनों बराबर के जिम्मेदार हैं। मीडिया संस्थाओं का भी कर्तव्य है कि वह बचपन को केवल कोर्ट-कचहरी में पेश करने की कवरेज करने की बजाय हमारी राजनीतिक व्यवस्था और सामाजिक संस्थाओं की नाकामी भी सामने लाएं, जिन्होंने बचपन को अकेला, आवारा और लापरवाह बना दिया है। आर्यन का मामला केवल अपराधिक मामला नहीं बल्कि इस मामले ने सरकारों और समाज के भटकने का भी एक उदाहरण पेश किया है। यदि अभी भी नहीं संभले तो देश की युवा पीढ़ी बड़े खतरे के सामने खड़ी है।
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