भारतीय प्रीमियर लीग (आईपीएल) ने पिछले डेढ़ दशक में भारतीय क्रिकेट को एक नया आयाम दिया है। यह केवल एक टूर्नामेंट नहीं, बल्कि एक ऐसा मंच बन गया है, जिसने क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया और अनगिनत युवा प्रतिभाओं को अवसर प्रदान किया। आईपीएल के कारण भारतीय क्रिकेट को कई नए बल्लेबाज और गेंदबाज मिले हैं। चाहे वह जसप्रीत बुमराह की धारदार गेंदबाजी हो, हार्दिक पंड्या का आॅलराउंड प्रदर्शन या सूर्यकुमार यादव की आक्रामक बल्लेबाजी- ये सभी खिलाड़ी आईपीएल के मंच से उभरकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में चमके हैं। Indian Premier League
रिंकू सिंह, यशस्वी जायसवाल, उमरान मलिक जैसे नाम आज घर-घर में पहचाने जाते हैं, और इनकी सफलता का श्रेय आईपीएल को जाता है। पहले जहां अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में जगह बनाने के लिए लंबा इंतजार और रणजी जैसे घरेलू टूनार्मेंटों में लगातार प्रदर्शन जरूरी था, वहीं अब आईपीएल ने इस प्रक्रिया को तेज कर दिया। हालांकि, आईपीएल का प्रभाव केवल क्रिकेट तक सीमित नहीं रहना चाहिए। भारत एक खेल-प्रधान देश बनने की क्षमता रखता है, लेकिन क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों को अभी तक वह महत्व और संसाधन नहीं मिले, जो वे डिजर्व करते हैं।
भारत के पास अपार प्रतिभा है
हॉकी, बैडमिंटन, कुश्ती, फुटबॉल जैसे खेलों में भी भारत के पास अपार प्रतिभा है, लेकिन इनके लिए आईपीएल जैसा मंच नहीं है। यदि इन खेलों के लिए भी ऐसा टूनार्मेंट शुरू किया जाए, तो नई प्रतिभाएं उभर सकती हैं और देश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और चमक सकता है। उदाहरण के लिए, हॉकी इंडिया लीग की शुरूआत एक सकारात्मक कदम थी, लेकिन इसे और व्यापक और आकर्षक बनाने की जरूरत है।
आईपीएल की सफलता का मूल मंत्र उसका व्यावसायिक मॉडल, दर्शकों का उत्साह और प्रायोजकों का समर्थन है। अन्य खेलों के लिए भी ऐसा ही ढांचा तैयार करना होगा। सरकार, खेल संगठनों और निजी क्षेत्र को मिलकर काम करना चाहिए ताकि हर खेल को उसका हक मिले। इससे न केवल खिलाड़ियों को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि युवाओं में खेलों के प्रति रुचि भी बढ़ेगी। Indian Premier League