सरसा। पंजाब में बेअदबी मामलों की जांच कर रही एसआईटी डेरा सच्चा सौदा की चेयरपर्सन विपासना इन्सां और सीनियर वाइस चेयरमैन डॉ. पी.आर. नैन से पूछताछ करने के लिए सोमवार को डेरा सच्चा सौदा पहुंची थी। हालांकि बहन विपासना करीब दो साल से मेडिकल लीव पर हैं और डॉ. पीआर नैन इन्सां डेंगू के चलते बीमार चल रहे हैं। इस संबंध में उन्होंने एसआईटी को मेडिकल रिपोर्ट भेजी थी। इसके बावजूद एसआईटी टीम उनसे पूछताछ करने पहुंची। इस दौरान एसआईटी की जांच में डेरा मैनेजमेंट की ओर से पूरा सहयोग किया गया और दो-तीन सदस्य जांच में शामिल हुए और अपना पक्ष रखा। इसके पश्चात एसआईटी टीम वापिस पंजाब लौट गई। इस केस में डेरा प्रेमियों की ओर से पैरवी कर रहे एडवोकेट केवल सिंह बराड़ ने इस पूरे मामले पर प्रकाश डाला। आईए जानते हैं कि आखिर ये पूरा केस है क्या?
सवाल: बेअदबी का मामला क्या है?
जवाब: सन् 2015 में पहले तो बुर्ज जवाहर सिंहवाला से पवित्र श्री गुरुग्रंथ साहब चोरी किया जाता है। इसके काफी दिनों बाद विवादित शब्दावली लिखकर पोस्टर लगाए जाते हैं कि हम प्रेमी हैं, ऊपर नारा लिखा जाता है कि हम डेरा सच्चा सौदा के प्रेमी हैं, श्री गुरुग्रंथ साहब उठाया है और हम इसकी बेअदबी करेंगे। फिर उसके बाद पवित्र गुरुग्रंथ साहब जी की बेअदबी होती है। इसके बाद तीन साल इसकी जांच चली, जिसमें कहीं पर भी डेरा सच्चा सौदा का नाम नहीं था। इसके तीन साल बाद अचानक 7-6-2018 को महेन्द्रपाल बिट्टू को रणबीर सिंह खटड़ा के नेतृत्व वाली एसआईटी द्वारा हिमाचल प्रदेश से गैर कानूनी तौर पर (एबडक्ट) उठाया जाता है। उसे गिरफ्तार नहीं करते, क्योंकि ना तो लोकल पुलिस को सूचना दी जाती है और न ही किसी केस में उनका नाम था।
7-6-2018 से 10-6-2018 तक उसे गैर कानूनी तौर पर सीआईए स्टाफ जगराओं द्वारा हिरासत में रखा जाता है। उसके साथ अमानवीय बर्ताव किया जाता है, उसे मजबूर किया जाता है कि तुझे पवित्र श्री गुरुग्रंथ साहब जी बेअदबी की बात कबूल करनी पड़ेगी। उसने दो-तीन दिन बड़ा कुछ सहा, बहुत ज्यादा मार खाई। लेकिन जब परिवार के सदस्यों को उठाकर लाओगे और उन्हें भी बराबर में नंगे करोगे तो फिर आदमी मजबूर हो जाता है। उसको भी और भी डेरा प्रेमी उठाए गए उनको भी बहुत पीटा गया। बेहद अमानवीय अत्याचार किए गए। तो उनसे जबरन कबूलनामा लिया गया। अन्यथा डेरा प्रेमियों की बेअदबी की घटनाओं में कोई भूमिका नहीं है। डेरा प्रेमियों द्वारा पवित्र श्री गुरुग्रंथ साहब की बेअदबी करना तो बहुत दूर की बात है, बेअदबी के बारे में सोचना भी वे महापाप समझते हैं। धर्म को मानने वाला कोई भी व्यक्ति बेअदबी नहीं कर सकता। फिर डेरा सच्चा सौदा तो दुनिया की एकमात्र ऐसी विश्व स्तरीय संस्था है, जहां हिन्दु, मुस्लिम, सिक्ख और ईसाई सभी धर्मों के लोग आते हैं और सर्व धर्म का सत्कार करते हैं, तो फिर वे बेअदबी क्यों करेंगे?
सवाल : इस मामले की पहले हो चुकी जांच को बाद में दूसरी ओर कैसे मोड़ा गया?
जवाब: पहले दो लड़के गिरफ्तार किए गए, उनका भी कबूलनामा था। वो भी वैसे ही पड़ा है। महेन्द्रपाल बिट्टू को कहते हैं कि कबूलनामा किया है। क्या वो पहले वाले लड़कों का कबूलनामा नहीं था? क्या पंजाब पुलिस उससे मुकरेगी? ये पूरा पॉलिटिकल स्टंट है। देखो उस वक्त रणबीर सिंह खटड़ा एक प्रैस कांफ्रेंस करते हैं, शायद यू-ट्यूब पर आज भी पड़ी होगी। वो पहले कहते हैं कि पहले वाले लड़कों को जल्दबाजी में पकड़ लिया, पहले मामले की जांच करनी बनती थी, फिर विरोधियों के दबाव में हमें उन्हें छोड़ना पड़ गया। फिर वो इस बात पर जवाब देते हैं कि वहां डेरा सच्चा सौदा वालों का नारा लिखा था या नाम लिखे थे, उनकी इनवोल्वमेंट हो सकती है? तो उनका कहना था कि देखों डेरा प्रमुख की फिल्म भी चल गई, डेरा प्रमुख को माफी भी मिल गई तो वो बेअदबी क्यों करेंगे। ये रणबीर सिंह खटड़ा की स्टेटमेंट थी। फिर अचानक ही जांच को इस ओर क्यों मोल्ड किया गया, अब आप ही देखिए कि ये पॉलिटिकल स्टंट नहीं तो ओर क्या है।
सवाल : इन मामलों से समाज में लंबे समय से चल रहे भाईचारे को हो रहे नुकसान को कैसे देखते हैं
जवाब : अगर हम पिछले समय पर नजर डालें तो डेरा-सिक्ख विवाद 2007 में शुरू हुआ। एक आरोप लगा कि पूज्य गुरु जी ने श्री गुरुगोबिंद सिंह जी की नकल करते हुए पोशाक पहनी है। तो एक दबाव बना, विवाद बना। तो उस वक्त पूज्य गुरु जी ने एक बयान दिया कि श्री गुरुगोबिन्द सिंह जी की नकल करना तो दूर हम ऐसा करने के बारे में सोच भी नहीं सकते। तो वहीं पर ये मसला खत्म हो जाना चाहिए था, क्यों नहीं किया गया? इस एक विवाद को डेरा-सिक्ख विवाद का रूप देकर पंजाब में माहौल खराब किया गया। कितना राज्य का पैसा लगा, कितनी लोगों के बीच नफरत की भावना पैदा हुई।
वही कुछ अब लग रहा है। देखिए ये सब वोटों की राजनीति है, सिक्ख वोट पक्की करने का लगा लो, हिन्दू वोट लेने का लगा लो। ये सब राजनीति से ज्यादा कुछ नहीं है, इससे समाज के भाइचारे को जो नुकसान हो रहा है, वो सबके सामने है। ये साजिश डेरे को बदनाम करने के लिए रची जा रही है। देखो इनके पास महेन्द्रपाल बिट्टू का कबूलनामा है, वो कैसे लिया गया है, ये उनकी 32 पेजों की डायरी में साफ हो चुका है। अब ये मामला हाईकोर्ट के विचाराधीन है और हमने कहा है कि इसकी आगे उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच स्वतंत्र जांच एजेंसी से होनी चाहिए। पंजाब में तो सब वोटों का खेल चल रहा है, इसलिए राज्य सरकार से तो निष्पक्ष जांच की उम्मीद बिल्कुल नहीं की जा सकती।
सवाल : महेन्द्रपाल बिट्टू की डायरी जो हाईकोर्ट में पहुंची है, उसमें हाईकोर्ट का रिएक्शन क्या रहा है?
जवाब : महेन्द्रपाल बिट्टू मर्डर केस में भी एसआईटी का गठन किया गया था, जिसने कहा कि था एक महीने के अंदर या 60 दिनों में जांच को पूरी कर देंगे और जांच निष्पक्ष होगी। इसके बाद एक इंस्पेक्टर मौके पर जो लड़के होते हैं उनको गिरफ्तार करके चालान पेश कर दिया जाता है। इसके पीछे साजिशकर्ता कौन था, इसके बारे में न तो जांच की गई, जो अगर जांच की गई है तो वो एसआईटी की रिपोर्ट अभी तक खोली नहीं गई है। उसी को लेकर हमें महेन्द्रपाल बिट्टू का लैटर मिला 23-6-2018 को दिया गया था डीसी साहब को, उन्होंने आगे इन्क्वायरी के लिए भेज दिया था, मुख्यमंत्री को सचिव को, डीजीपी और एसएसपी को। इसके बावजूद दो साल कोई जांच नहीं की गई। आखिर में हमें होईकोर्ट का रूख करना पड़ा। उसके अंदर तीन-चार बातें अहम् हैं, जिनमें महेन्द्रपाल बिट्टू को कहा जाता है कि तू कबूलनामा दे।
कबूलनामा अमानवीय अत्याचार करके लिया जाता है, फिर उससे पुलिस हिरासत में जेल सुपरिटेडेंट के नाम एक चिट्ठी लिखवाई जाती है कि मैं कबूलनामा करना चाहता हूँ कोर्ट में 164 का बयान देना चाहता हूँ। वो लिखवाकर जेब में डाल दी जाती है, जब उसे पटियाला जेल में छोड़ने गए तो उसे कहा जाता है कि तू जेल सुपरिटेंडेंट को चिट्ठी दे। अब आप देखिए कि इस बात से क्या पता चलता है। फिर उससे कहा जाता है कि तू अपने बयानों पर कायम रहता है तो तुझे धर्मशाला जेल में छोड़ दिया जाएगा, तू वहां मौज से रहना, साथ ही तेरी सजा घटा देंगे। अन्यथा तुझे नाभा जेल में शिफ्ट करेंगे, वहां कट्टरपंथी और अपराधी तुझे मार देंगे। उसे कोई सपना थोड़ी आता है, वैसे ही हुआ। अगर ये साजिश नहीं तो और क्या है? इसी की जांच के लिए हमने हाईकोर्ट का रूख किया है।
सवाल : सीबीआई द्वारा क्लीनचिट देने के बावजूद इस मामले में एसआईटी का गठन होना, इसके पीछे किसको देखते हैं?
जवाब : ये सब पॉलिटिकल प्रेशर है। कुंवर विजय प्रताप वाली जो जांच थी, उसमें माननीय हाईकोर्ट ने पहले तो एसआईटी साइड में की। फिर उसमें साफ कहा कि ये जो एसआईटी है वो सरकार को जवाबदेह नहीं होगी। ये सिर्फ और सिर्फ कोर्ट को रिपोर्ट देने के लिए जिम्मेदार होगी। लेकिन देखिए वास्तव में किया क्या जा रहा है।
सवाल : एसआईटी पूज्य गुरु जी से भी पूछताछ करती है, जो पूछताछ हुई वो मीडिया में भी छपा, उसके बारे में बताइए।
जवाब : पूछताछ में पूज्य गुरु जी और डेरा मैनेजमेंट पूरा कॉपरेट कर रही है। मुझे हैरानी इस बात की हो रही है कि एसआईटी के 4 सदस्य पूज्य गुरु जी से पूछताछ करके आते हैं तो मीडिया में कैसे आ गए सभी सवाल-जवाब। किसने लीक किए? क्या ये पॉलिटिकल साजिश नहीं है? ये सवाल जवाब किसने मीडिया को दिए?
सवाल : सीबीआई जांच को मानने के लिए पंजाब सरकार क्यों तैयार नहीं है?
जवाब : जस्टिस अनमोल रत्न ने जो फैसला दिया था, जिसमें सुखजिन्द्र सन्नी ने याचिका दायर की थी, उसमें जो रिकॉर्ड था सीबीआई से एसआईटी को दिलवा दिया गया। उसमें कहा गया है कि आगे जांच होगी, दोबारा से जांच नहीं होगी। ये आगे जांच की बजाय दोबारा जांच करने में जुटे हैं, ये सारा काम गैर कानूनी तो है ही।
सवाल : डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी सभी धर्मों का पूर्ण सत्कार करते हैं, फिर क्यों उन्हें बदनाम किया जा रहा है?
जवाब : देखिए, ज्यादातर सिक्ख ही हैं, जिनको एसआईटी वाले आरोपी बनाने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि जिन्हें आरोपी बनाया है, उन्होंने अपना बायोडाटा दिया है, समाचार पत्रों में भी इंटरव्यू आए हैं। फोटो भी प्रकाशित हुए कि कैसे पवित्र गुरुग्रंथ साहिब जी की हजूरी में आनंद कारज हुए हैं। श्री गुरुग्रंथ साहिब जी का सत्कार करना हम सभी का फर्ज बनता है। डेरा सच्चा सौदा में तो सभी धर्मों का सत्कार ही सिखाया जाता है। ये पूरा काम शरारती तत्वों का काम है, पता नहीं सरकार और जांच एजेंसियों का ध्यान उस ओर क्यों नहीं जा रहा। लेकिन लोगों को पता चल चुका है कि इस मामले में सिर्फ सियासत हो रही है।
सवाल: डेरा सच्चा सौदा पहुंचकर एसआईटी ने क्या जांच की?
जवाब : एसआईटी ने जब पूज्य गुरु जी से पूछताछ की थी तो उसके बाद मैनेजमेंट के सदस्यों बहन विपासना इन्सां और डॉ. पी.आर. नैन को सम्मन भेजे थे। विपासना बहन तो मेडिकल लीव पर हैं डेढ़-दो साल से। और डॉ. नैन ने सम्मन रिसीव किए थे और उन्हें डेंगू हुआ था, वे बीमार थे, वो रेस्ट पर हैं। मेडिकल पहले भी भेजा था और कल भी मेडिकल भेजा था। तो फिर भी एसआईटी की टीम यहां आकर तसल्ली करके गई है। एक-दो सदस्यों ने इन्वेस्टिगेशन ज्वाइन भी की है और डॉक्टर साहब का भी बयान लिखा है, जिन्होंने मेडिकल दिया था, वे पूरी तरह से संतुष्ट होकर यहां से गए हैं।
सवाल : पंजाब के लोगों को इस बारे में क्या कहना चाहेंगे?
जवाब : मेरी अपील है कि पंजाब इलेक्शन तक बेअदबी के मामलों की जांच रोकी जानी चाहिए। फिर स्वतंत्र जांच एजेंसी सिर्फ आरोपियों को पकड़े और इस मसले पर सियासत नहीं होनी चाहिए। ये कोई मजाक नहीं है, देखिए जब पवित्र श्री गुरुग्रंथ साहिब जी की बेअदबी की निंदाजनक घटना हुई थी तो पंजाब में कितने ही घरों में रोटियां नहीं पकी थी। लोगों की आँखों में आँसू थे। जिन्होंने भी बेअदबी की है, वो पंजाब के दुश्मन हैं। उनको पकड़ा जाना चाहिए, सही दिशा में जांच होनी चाहिए और असली दोषी हैं उनको पकड़ा जाना चाहिए और लोगों को इंसाफ मिलना चाहिए।
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