ऐसा कहा जाता है कि हैरी ब्रियरली (1813-1898) में पहली बार वह बंदूक के बैरल के लिए कुछ ऐसा बनाने की कोशिश कर रहा था, जो पानी से खराब न हो और उस पर कोई रासायनिक प्रभाव न पड़े। तभी प्रक्रिया शुरू हुई और 1872 ई. में, वुड्स और क्लार्क ने स्टील का आविष्कार आज ही के दिन किया और 1900 में पेरिस में एक प्रदर्शनी में स्टील के कुछ नमूने थे जो स्टेनलेस स्टील के समान थे। और 1903 ई. में इंग्लैंड में स्टेनलेस स्टील का पेटेंट कराया गया, उस समय स्टील में क्रोमियम की मात्रा 24 से 57 प्रतिशत और निकल की मात्रा 5 से 60 प्रतिशत तक थी और 1912 ई. गोलियां बनाना।
स्टील मिश्र धातु का उपयोग किया गया था और 1935 ईस्वी में जर्मनी में एक प्रकार का स्टेनलेस स्टील का निर्माण किया गया था जिसमें निकल के स्थान पर मैंगनीज का उपयोग किया गया था क्योंकि जर्मनी में निकल की कमी थी। पहले स्टील को लेस स्टील कहा जाता था लेकिन स्थानीय कटलरी निर्माता आरएफ मोस्ले के अर्न्स्ट स्टुअर्ट ने इसे स्टेनलेस स्टील नाम दिया।
प्रारंभ में स्टेनलेस स्टील को ‘एलेघेनी मेटल्स’ और ‘निरोस्टा स्टील’ जैसे विभिन्न ब्रांड नामों के तहत अमेरिका में बेचा गया था और 1929 में, ग्रेट डिप्रेशन के हिट होने से पहले, यूएस में 25,000 टन से अधिक स्टेनलेस स्टील का निर्माण और बिक्री की गई थी। स्टेनलेस स्टील की आयु लम्बी होती है और दूसरा इसके उपर जंग नही लगता और यह वायुमंडल तथा कार्बनिक और अकार्बनिक अम्लों से खराब नहीं होता है और लोहे की तुलना में स्टील करीब 1000 गुना अधिक मजबूत हो सकता है और लगभग 88 फीसद स्टील ऐसा है जिसे रिसाइकल किया जा सकता है।
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