बच्चों पर इंटरनेट के साइड इफेक्ट

मनोचिकित्सक (Psychiatrist) डॉ. सागर मूंदड़ा कहते हैं, बच्चों को आउटडोर ऐक्टिविटी में शामिल होना चाहिए। इसके अलावा, माता-पिता को खुद बच्चों के सामने मोबाइल से दूरी बनाए रखनी चाहिए, क्योंकि बच्चे आखिरकार माता-पिता से ही सीखते हैं।

वर्तमान में इंटरनेट (Internet) हर किसी की जरूरत बन गई है। चाहे बड़े हो या बच्चे, किसी को भी इंटरनेट से दूर रख पाना संभव नहीं है। स्कूलों, कॉलेजों और दफ्तरों यहां तक कि घरों में भी इंटरनेट का प्रयोग आम हो गया है। सस्ते स्मार्टफोन के आने से इंटरनेट आज सबके लिए सर्वसुलभ हो गई है, लेकिन इंटरनेट का दुरुपयोग तेजी से बढ़ रहा है। युवाओं के साथ-साथ बच्चे (Children) इसका सदुपयोग कम, दुरूपयोग ज्यादा कर रहे हैं।

इंटरनेट की खास बात यह है कि यह सबके लिए खुला रहता है। इंटरनेट यूजर्स में टीनएजर्स की संख्या बड़े-बूढ़ों से कहीं ज्यादा है, लेकिन इसका सबसे अधिक दुष्प्रभाव (Side effects) बच्चों पर पड़ रहा है। अधिकांश बच्चे चैटिंग करते समय अश्लील और हिंसक दृश्य देख लेते हैं, जो उन पर अत्यंत बुरा प्रभाव डालता है। अक्सर बच्चे वही करने को तैयार रहते हैं, जिसे करने से मना किया जाता है। दूसरों के सामने उन्हें जो नहीं देखने दिया जाता है, उसे अकेले में देखकर वे अपने मन की संतुष्टि करते हैं और यहीं से शुरूआत होती है भटकाव की।

इंटरनेट के अलावा बच्चे घर में भी टीवी, फिल्म द्वारा ऐसे अश्लील दृश्यों को देख लेते हैं, जो उनके बालमन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। भले ही ऐसे दृश्य, चैनलों की टीआरपी बढ़ाते हैं, लेकिन बच्चों का भविष्य बिगाड़ने में भी कोई कसर नहीं छोड़ते। इधर व्यस्त दिनचर्या में अभिभावक के पास इतना वक्त नहीं कि वह बच्चों की गतिविधि पर नजर रख सके। अक्सर टीवी पर चल रहे कुछ आपत्तिजनक (Offensive) दृश्यों को देखकर हर बच्चे के मन में यह सवाल उठता है कि यह क्या हो रहा है। कुछ बच्चे तो हिम्मत करके पेरेंट्स से पूछ ही लेते हैं कि ये क्या हो रहा है। बच्चों के ऐसे प्रश्न से माँ-बाप या तो चुप्पी साध लेते हैं या बच्चे की पिटाई करने लगते हैं। ऐसे में बच्चे की जिज्ञासा (Curiosity) शांत नहीं होती और वह ऐसी जगह तलाशना शुरू कर देता है, जहां उसके सवालों का जवाब मिल सके।

ऐसे बनेगी बात

  • किशोरावस्था में पहुंचे बच्चों के साथ मित्रवत व्यवहार करना चाहिए, क्योंकि इस उम्र में अपने अंदर हो रहे शारीरिक बदलाव को लेकर वे परेशान होते हैं और पैरेंट्स उसे डांट दे तो वे उसका जवाब जानने के लिए गलत रास्ता चुनते हैं।
  • जहां तक हो सके, बच्चों की जिज्ञासा शांत करें, उन्हें विज्ञान से जोड़ते हुए बातों को समझाएं।
  • यदि आपको संदेह है कि आपके बच्चे जोखिमपूर्ण आॅनलाइन व्यवहार कर रहे हैं तो उनके द्वारा देखे जा रहे साइटस की जानकारी एकत्र करें, उन्हें इस बारे में प्यार से समझाएं।
  • बच्चों को प्रोत्साहित करें कि यदि वे किसी प्रकार की जिज्ञासा शांत करना चाहते हैं तो आपको बताएं।
  • बच्चों को इंटरनेट की शिक्षा दें, उन्हें अजनबियों से चैट करने या आनलाइन मित्र बनाने के खतरे बताएं।
  • कम्प्यूटर को खुले स्थान पर रखें, जहां पर आप उनके द्वारा सर्च की जाने वाली साइटस पर नजर रख सके।
  • बच्चों के साथ ज्ञानवर्धक (Informative) नेट सर्च करें। बच्चों को उपयोगी साइटस की सूची बनाकर दें ताकि वे अपना समय इसमें लगाएं।

-उमेश कुमार साहू

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