Internet: जंगल में आया इंटरनेट

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Children Story: जंगल में आया इंटरनेट

Internet: हरे-भरे जंगल में चारों ओर एक ही चर्चा थी- जंगल में इंटरनेट आया है।

सब इसी बारे में बात कर रहे थे। हालाँकि आधे से ज्यादा जानवरों को यह पता नहीं था कि इंटरनेट कौन से नए जानवर का नाम है।

फिर भी वे यह पता लगाने की कोशिश लगातार कर रहे थे कि यह नया जानवर खतरनाक तो नहीं है।
अनेक सवाल थे उनके मन में। कैसा दीखता
होगा यह इंटरनेट?
उसकी पूँछ होगी या नहीं ? अरे नहीं भाई, यह जानवर का नाम नहीं है।
तो फिर क्या है ?
यह एक चिड़िया का नाम है। ओह, अच्छा-अच्छा, चिड़िया होती है यह!

इस तरह की बातें पूरे जंगल में हो रही थी। शाम को राजा शेर ने सभी जानवरों को अपनी गुफा के सामने बुलाया है। तब वे हमको इस इंटरनेट से मिलवाएँगे।

वे एक-दूसरे को बता रहे थे। शाम को ठीक 6 बजे सभी जानवर, पक्षी और जंगल के बाकी सब प्राणी शेर की गुफा के सामने इकट्ठे हुए।

राजा शेर एक अजीब-सी चीज के साथ बाहर निकले।

ये क्या है ? फिर फुसफुसाहट होने लगी। तब शेर ने कहा, दोस्तों, यह है कंप्यूटर।

कंप्यूटर ? और एक जानवर ? सबने सोचा। यह एक मशीन है और इंटरनेट का प्रयोग करने के लिए हमारे पास कंप्यूटर होना बहुत जरूरी है। शेर ने कहा।

सभी ध्यान से उसकी बात सुन रहे थे।

इंटरनेट के माध्यम से हम दूर-दूर रहने वाले अपने दोस्तों और संबंधियों से घर बैठे बात कर सकते हैं।
उन्हें हम पत्र भी भेज सकते हैं। पत्र भेजने के इस तरीका को ई-मेल कहते हैं।
यदि हम पत्र डाक विभाग के माध्यम से भेजते हैं तो उसे पहुँचने में दो-तीन दिन लगते हैं, लेकिन ई-मेल भेजने में बस कुछ सेकंड ही लगते हैं और सबसे बढ़िया बात है कि इसमें खर्चा न के बराबर आता है। शेर समझा रहा था। और क्या फायदे हैं इंटरनेट के? जानवरों ने उत्सुकता से पूछा।
बहुत से फायदे हैं। आप किसी भी समय दुनिया के दूसरे हिस्सों में होने वाली घटनाओं के बारे में जान सकते हो। हर तरह की जानकारी इसमें है। शेर ने बताया।

वाह, ये तो कमाल की वस्तु है। सबने कहा। लेकिन कोई था जो इस सबसे खुश नहीं था और वह था कबूतर, खबरी।
इतने वर्षों से वही था, जो सारे समाचार और पत्र दूर-दूर के जंगलों तक पहुँचता था। पर उसे लग रहा था कि अब उसकी कोई जरूरत नहीं थी। वह बहुत उदास था। Internet

उसने शेर से इस बारे में बात की। शेर ने कहा, देखो खबरी तुमने सबकी बहुत सेवा की है। लेकिन जंगल की तरक्की के लिए कंप्यूटर को जंगल में लाना बहुत जरूरी था। तुम किसी और काम के बारे में सोचों। कबूतर उदास मन से अपने घर लौट गया।

जंगल में धीरे-धीरे सभी ने कंप्यूटर सीखना शुरू कर दिया। महीने ऐसे ही बीत गए। सब जानवर आजकल ई-मेल भेजने लगे थे। Internet

इसीलिए खबरी के लिए ज्यादा काम नहीं होता था। बच्चे किताबों से ज्यादा इंटरनेट पर पढ़ाई करना चाहते थे। पूरा जंगल जैसे कंप्यूटर पर निर्भर हो गया था।

एक दिन बहुत तेज बारिश हुई। तेज हवा चली और बहुत सारे पेड़ टूट गए। उस गड़बड़ में जंगल के कम्प्यूटरों का इंटरनेट से संबंध टूट गया।
जंगल के जानवर न तो किसी को ई-मेल भेज पा रहे थे और न ही उनके बच्चे ठीक से पढ़ाई कर पा रहे थे।
जानवर अब तक इतने आलसी हो चुके थे कि पत्र लिखना उन्हें अच्छा ही नहीं लगता था। तभी एक दुर्घटना हुई।

हिरन का बच्चा दौड़ रहा था, वह एक पेड़ से टकराया और उसके सर पर गहरी चोट लगी।
जंगल के डॉक्टर साहब उल्लू जी किसी का इलाज करने दूसरे जंगल में गए हुए थे। समस्या थी कि उन्हें कैसे बुलाया जाए। इससे पहले तो उन्हें ई-मेल भेजकर सन्देश दे दिया जाता था। लेकिन अभी तो सारी व्यवस्था टूटी हुई थी। हिरन के माता-पिता रोते हुए राजा शेर के पास पहुँचे। राजा भी असहाय था, करे तो क्या करे ?

तब खबरी ने कहा, मैं बुलाकर लाऊँगा डॉक्टर को। आखिर पहले भी तो मैं ही यह सब काम करता था।
सबको बहुत तसल्ली हुई की खबरी आज भी उनकी मदद करने को तैयार था। तो खबरी उड़ा और कुछ ही देर बाद डॉक्टर उल्लू जी वहाँ पहुंच गए।

खबरी के कारण ही हिरन के बच्चे की जान बच पाई। अब खबरी की बारी थी सबको समझाने की। वह बोला, मैं मानता हूँ कि जंगल का विकास जरूरी है, लेकिन हमें अपने पुराने तरीकों को भूलना नहीं चाहिए। हम सभी टी. वी. में समाचार सुनते हैं, लेकिन अखवार में समाचार पढ़ने का मजा ही कुछ और है। ऐसे ही कंप्यूटर का प्रयोग करें, लेकिन हमें उस पर पूरी तरह निर्भर नहीं होना चाहिए। क्योंकि मशीन तो मशीन ही होती है, क्यों ठीक कहा न मैंने ?
जवाब में सबने बस ‘हाँ’ में सिर हिलाया। वे समझ गए थे अपनी गलती को। Internet

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