योग से करें दिनचर्या की शुरूआत: बिश्नोई
डबवाली(राजमीत इन्सां)। 100 वर्षीय पूर्व विधायक एव लोकतंत्रता सेनानी आज भी अपने दिनचर्या की शुरूआत योग से करते हैं। जैसे मानव शरीर के लिए भोजन, पानी और हवा की जरूरत होती थी है वैसे ही योग करने की आदत जीवन में डालनी चाहिए। योग से बिमारियों से तो बचा जा सकता है योग दीघार्यु भी प्रधान करता है अपने दिनचर्या की शुरूआत अगर योग से करते हैं कोरोना जैसी महामारी को भी हराया जा सकता है। इसका एक उदाहरण 100 वर्षीय पूर्व विधायक सहीराम विश्नोई ने कोरोना महामारी को होम आइसोलेशन व योग से प्रकृति के नजदीक रहकर हरा दिया है।
उन्होंने एलोपैथी व आयुर्वेद दोनों पद्धति का इस्तेमाल किया है। पॉजिटिव आने के बारे में परिजनों ने उन्हें बताया नहीं लेकिन उन्हें 100 बरस में पहली बार 25 दिन लगातार रेस्ट करना पड़ा तो एहसास हो गया कि महामारी की चपेट में हैं। जैसे उन्होंने बचपन में अंग्रेजी शासन के दौरान काती वाली बीमारी स्पेनिश फ्लू से इस हालात की तुलना कर रहे हैं। उन्हें मलाल है इतना कि वे 25 दिन से अपनी सब्जी बाड़ी की देखरेख और खेत में काम नहीं कर पा रहे हैं।
परिवार में उनकी देखरेख करने वाली पुत्रवधू शारदा पत्नी रघुवीर बिश्नोई को 6 मई को बुखार आने के बाद सरकारी अस्पताल में टेस्ट करवाया लेकिन सप्ताह भर रिपोर्ट ही न मिली। इसके बाद 100 वर्षीय पूर्व विधायक सहीराम बिश्नोई को भी खांसी हुई तो 12 मई को प्राइवेट लैब से टेस्ट करवाया जिसमें पुत्रवधू के साथ उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव मिली। इस पर उनकी फामेर्सी में डॉक्टरेट दोहती डॉ ममता बिश्नोई ने एलोपैथिक उपचार शुरू करवाया।
दो दिन में बुखार व एक सप्ताह में खांसी ठीक हो गई और 3 जून को रिपोर्ट निगेटिव मिली है। इसी बीच बीती 20 मई को पूरे परिवार के स्वास्थ्य विभाग से टेस्ट करवाए गए थे जिसमें उनके साथ बड़े बेटे ओमप्रकाश की रिपोर्ट पॉजिटिव आई लेकिन पुत्रवधू सहित परिवार के अन्य सदस्यों की रिपोर्ट नेगेटिव मिली। इसके बाद नियमित दिनचर्या के साथ कंप्लीट रेस्ट किया और 3 जून को तीसरी बार करवाए टेस्ट में परिवार के साथ उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई है। जिससे सभी ने राहत की सांस ली है।
एलोपैथी और आयुर्वेद की जुगलबंदी जीवनदायिनी
पाकिस्तान के गांव तालिया में 12 जनवरी 1922 को जन्मे पूर्व विधायक सहीराम बिश्नोई के युवावस्था में परिवार की ओर से आयुर्वेद औषधालय स्थापित किया था जहां से आयुर्वेदिक जड़ी बूटी आदि से दवाई लेते थे। बताते हैं उनके जन्म से पहले भयंकर काती वाली बीमारी फैली थी जिसमे यही आयुर्वेद सहायक था लेकिन बुखार में मौतें काफी हुई थी। अब एलोपैथी से तुरंत बचाव की बदौलत महामारी में राहत है। उन्होंने बताया कि एलोपैथी पद्धति रोग को तुरंत दबाती है इसकी दवा दारु सुगम है इसलिए खूब तरक्की ही है वही आयुर्वेद रोग को जड़ से मिटाता है। दोनों का अपना महत्व है और इनकी जुगलबंदी जीवनदायिनी है।
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परिजनों ने बताया नहीं फिर भी अहसास
कोरोना पॉजिटिव होने के बाद पूर्व विधायक सहीराम की पुत्र वधू शारदा देवी पत्नी रघुवीर व पौत्र उमेद बिश्नोई उनकी देखरेख कर रहे थे। अब 100 वर्ष की उम्र में कोरोना होने का पता चलने पर परिवार के लोग घबरा गए और फिर फैसला किया कि दादाजी को इस बारे में बताएंगे नहीं इसके बावजूद उन्हें खुद अहसास हो गया की वे महामारी की चपेट में हैं। पूर्व विधायक सहीराम विश्नोई आज भी अपने दिनचर्या की शुरूआत योग से करते हैं और युवाओं को योग करने के लिए प्रेरित करते हैं।
बेहतर दिनचर्या, आयुर्वेद और एलोपैथी दोनों पद्धति अपनाई
परिवार ने उन्हें हमेशा प्राकृतिक चिकित्सा में भरोसे के चलते काढ़ा और कोरोनिल दी वहीं एलोपैथी पद्धति के तहत 3 दिन 4 एमजी स्टेरॉइड तथा जिंक, कैलशियम, मल्टीविटामिन दिए गए। हमेशा की तरह दिनचर्या सुबह जल्दी उठना, प्राणायाम करना, इलायची वाला दूध पीना, राबड़ी पीना, दाल और कढ़ी रोटी खाना, साथ में फल व जूस नारियल पानी दिया। एक-दो दिन 100 डिग्री तक बुखार आया और कुछ दिन खासी हुई। फिर वीकनेस महसूस कर रहे हैं लेकिन मलाल है तो बस इस बात का कि वे 25 दिन से अपनी सब्जी बाड़ी की देखरेख और खेत में काम नहीं कर पा रहे हैं।
संयुक्त पंजाब में 1957 में थे अबोहर विधायक
उल्लेखनीय है कि हरियाणा गांव सकता खेड़ा में पंजाब सीमा पर अपनी ढाणी में रहने वाले सहीराम बिश्नोई संयुक्त पंजाब में अबोहर हलका से 1957 में जनसंघ टिकट पर विधायक बने थे। उन्होंने विभाजन के वक्त अपने परिवार की 8000 एकड़ जमीन और बसाए गांवों को छोड़कर बिश्नोई परिवारों को पाकिस्तान से भारत में लाने और यहां बसाने में अहम भूमिका निभाने के साथ अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा का पुनर्गठन किया जिससे उन्हें बिश्नोई भूषण सम्मान प्राप्त है वही हिंदी आंदोलन में संघर्ष किया जिससे हरियाणा सरकार ने लोकतंत्रता सेनानी रिवॉर्ड दिया है।
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