अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को समर्पित सच कहूँ की विशेष कवरेज
( International Women’s Day )
चंडीगढ़। जैसा की आप जानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस हर वर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है। विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान महिलाओं के आर्थिक, सामाजिक उपलब्धियों, महिलाओं को आत्मरक्षा और महिलाओं को सशक्तिकरण के उपलक्ष्य में उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। इस विशेष अवसर पर ‘सच कहूँ‘ डेरा सच्चा सौदा द्वारा किए जा रहे महिला उत्थान के विभिन्न कार्यों व उन कार्यों से आए सामाजिक बदलाव की सच्ची कहानियां आपके रूबरू कराएगा। आईयें जानते हैं एक ऐसी कहानी ‘कुल का क्राऊन’ (International Women’s Day) जिससे समाज में एक बड़े बदलाव के तौर पर देखा जाता है।
जी हां ! एक ऐसी दुनिया भी है, जहां बेटियां वंश चला रही हैं। सिर पर खूबसूरत पगड़ी सजाए, हाथों में तलवार लिए दुल्हन नाचते-गाते खुशी मनाते रिश्तेदारों संग बारात लेकर जाती है व सामान्य शादी की तरह ढ़ोल की थाप पर दुल्हे को ब्याह कर अपने घर लाती है। दूल्हा अपने माँ-बाप से दुल्हन के घर जाने के लिए विदा लेता है, क्योंकि अब उसे ताउम्र दुल्हन के घर पर ही रहकर सास-ससुर की माँ-बाप की भांति सेवा करनी है।
भले ही यह अनोखी रस्म सुनने में अजीब लग रही हो, लेकिन इसे या तो एक ‘औरत’ समझ सकती है, या फिर वो माँ-बाप जिन्होंने अपनी बेटियों को बड़े ही लाड-प्यार से पाला हो और उसे ‘पराया धन’ समझकर विदा कर देना हो। महिला सशक्तिकरण की दिशा में बेटियों से वंश चलाने की यह अद्भुत ऐतिहासिक व बेमिसाल पहल की है। सर्वधर्म संगम डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने वर्ष 2013 में शुरू हुई इस मुहिम का नाम दिया गया है। ‘कुल का क्राऊन’ जिसके तहत अब तक 17 अनोखी शादियां हो चुकी हैं।
पूज्य गुरु जी ने अपनी नेक कमाई में से देते हैं 25 हजार रुपये का आर्थिक चेक
‘कुल का क्राऊन’ मुहिम के तहत शादी करने वाले नवविवाहित दंपत्ति को भी पूज्य गुरु जी अपने नेक व कड़ी मेहनत की कमाई में से 25 हजार रुपये का आर्थिक सहायता का चेक भी अपने पावन कर-कमलों से प्रदान करते हैं।
कैसे हुई महिला दिवस की शुरूआत
महिला दिवस की शुरूआत से पहले 19 वीं शताब्दी के मध्य में, जब 8 मार्च, 1857 को अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में कुछ महिला श्रमिकों के एक समूह ने काम की बेहतर स्थिति और अच्छे वेतन की मांग के साथ एक विरोध प्रदर्शन किया। उस वक्त पुलिस ने आक्रामक रूप से उस प्रदर्शन को कुचल दिया, लेकिन कई सालों के बाद दृढ़ निश्चय रखने वाली उन महिलाओं ने अपनी मजदूर यूनियन बनाई। अपने महत्व और अधिकारों के लिए महिलाओं के उस निरंतर संघर्ष को याद करने के लिए साल 1911 में, 19 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया गया। हालांकि महिला दिवस की तारीख को साल 1921 में बदलकर 8 मार्च कर दिया गया। तब से यह उसी दिन मनाया जाता है।
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