अर्जुन अवार्डी इंटरनैशनल बॉक्सर मनोज कुमार से सच कहूँ की खास बातचीत
चंडीगढ़ (अनिल कक्कड़/ सच कहूँ)। हरियाणा प्रदेश की माटी ने कई अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी देश की झोली में डाले हैं। उनमें से एक खिलाड़ी है बॉक्सर मनोज कुमार। जीवन में तमाम उतार-चढ़ाव और संघर्षों से कामयाबी की इबारत लिखने वाले अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी मनोज कुमार बॉक्सिंग रिंग में विरोधी के सामने जितने खूंखार हैं, उतने ही रिंग से बाहर वे शालीन और बेहद विनम्र इंसान हैं। मनोज ने अपने बाक्सिंग करियर की शुरूआत 1998 में की और पहला नैशनल कोलकाता के दुर्गापुर में खेला। 1998 से शुरू हुआ मनोज का सफर कॉमनवैल्थ, एशियन गेम्स, विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धाओं और ओलंपिक से होकर गुजरा है।
बाक्सिंग के मामले में मनोज बेहद जुनूनी हैं। मैरीकॉम को आदर्श मानने वाले मनोज जीवन किए गए संघर्षों को बड़ी संजीदगी से सहेज कर रखते हैं और उनसे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ रहे हैं। मनोज ने कॉमनवैल्थ में तीन, एशियन गेम्स में तीन मैडल एवं दो बार ओलंपियन होने का गौरव हासिल किया है। इसके अलावा 2014 में मनोज को अर्जुन अवार्ड के साथ सम्मानित किया गया था। वहीं मनोज अब भी देश के लिए मैडल ला रहे हैं। मनोज ने बाक्सिंग के खेल में कुल 50 से ज्यादा राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मैडल हासिल किए हैं।
पेश है मनोज कुमार के साथ हुई बातचीत के कुछ अंश :
प्रश्न : मनोज लॉकडाउन में आप कैसे अपने खेल और फिटनस पर ध्यान दे पाते हैं?
उत्तर : जी, पहले तो बातचीत के लिए सच कहूँ का बहुत बहुत शुक्रिया। मैं, फिलहाल वीपीओ राजौंद, जिला कैथल में रहता हूँ और एक खिलाड़ी के लिए उसका खेल ही कर्म और धर्म होता है। लेकिन लॉकडाउन के चलते सभी इंडिया कैंप और प्रैक्टिस सैशन बंद हैं, फिलहाल घर पर ही अपनी कसरत और खेल की प्रैक्टिस करता हूँ। इसी के साथ कुरूक्षेत्र में भी हमारा घर है और वहां मनोज कुमार नाम से बाक्सिंग अकेडमी शुरू की है तो कभी-कभी मौका मिलता है तो वहां भी जाता हूँ। लेकिन कोरोना के चलते शहरों से गांव ज्यादा सेफ हैं तो ज्यादातर मैं अपने गांव में ही रहता हूँ। लॉकडाउन के बाद उस अकेडमी को पूर्ण तौर पर चलाने का काम करेंगे। युवाओं का सही गाइडेंस देंगे।
प्रश्न : लोग सोशल मीडिया पर आपको खासा फॉलो करते हैं, आप उन्हें कसरत और बाक्सिंग के गुरों संबंधी वीडियो शेयर करते रहते हैं। वर्तमान में फैंस से कैसे जुड़ रहे हैं?
उत्तर : जी, नार्मल दिनों में मैं 6 से 8 घंटे तक रोज प्रैक्टिस करता हंू। तो ज्यादा सोशल मीडिया पर आने का वक्त नहीं मिलता। लेकिन इन दिनों में घर पर हंू, तो जितना संसाधन घर पर है उसी से प्रैक्टिस करने की कोशिश करता हंू, इस दौरान सोशल मीडिया द्वारा लोगों से बातचीत का मौका भी मिल जाता है। अच्छा है कि लोग मेरे द्वारा बताए टिप्स अपना रहे हैं और सोशल मीडिया पर अच्छा कंटैंट देख रहे हैं। इसके अलावा मैं कोशिश करता हंू कि आस-पड़ोस या मेरे परिवार के बच्चों को भी खेल के गुर सिखाउं। आॅनलाइन भी लोग सवाल पूछते हैं तो कोशिश करता हंू सभी का जवाब दूं।
प्रश्न : आम लोगों के लिए भी कोई फिटनस मंत्र आप बताईए, जिससे वे फिट रहें।
उत्तर : जी, बिल्कुल अब हर किसी के पास वक्त है खुद को फिट रखने के लिए। जो व्यक्ति नौजवान है और फिट है तो वह रस्सी कूद सकता है, घर में या पेड़ पर चिनअप लगा सकता है। देसी दंड लगा सकता है, उठक-बैठक कर सकता है। साथ ही पेट की एक्सरसाइज कर सकता है। वहीं जो लोग ये करने में असमर्थ है, उम्रदराज हैं वे योग कर सकते हैं और अपने खाने पर ध्यान दे सकते हैं। खास तौर पर रात के खाने को कम करके भी फिट रहने की ओर कदम बढ़ाया जा सकता है।
प्रश्न : टोक्यो ओलंपिक में जाने वाली भारतीय टीम के बारे में क्या कहेंगे और क्या आप भी अपने वेट में खेलने को सोच रहे हैं?
उत्तर : देखिए, पिछले साल मेरे वेट में एक दूसरे लड़के को मौका मिला था और उस लड़के ने ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया है। एक वेट में एक ही व्यक्ति को मौका मिलता है। वैसे मैं आपको बता दूं कि कुल आठ वेट कैटेगिरी में लड़कों की बॉक्सिंग होती है और जिनमें से 5 लड़के क्वालीफाई कर गए हैं और वहीं लड़कियों के पांच वेट कैटेगिरी में चार लड़कियां क्वालीफाई कर गई हैं। ऐसे में चार बचे तो उम्मीदवार हैं वे भी जल्द क्वालीफाई कर लेंगे। तो उम्मीद है इस बार भारतीय टीम शानदार प्रदर्शन करेगी, क्योंकि एक बेहतरीन टीम का चुनाव टोक्यो ओलंपिक के लिए हुआ है। और आशा है कि भारत की झोली में बाक्सिंग खेल और मैडल डालेगा।
प्रश्न : आप खुद को अभी कहां देख रहे हैं और क्या आगे की प्लानिंग है।
उत्तर : देखीए, मैं हमेशा आज में जीता हूँ, कल क्या हो कुछ पता नहीं। एक कहावत है, वक्त का चलता लम्हा कुछ नया सिखाता है, किसकी किस्मत में क्या लिखा है, ये वक्त ही बताता है। मेरा पहला लक्ष्य तो यही है कि वापिस इंडिया कैंप में जाउं और खुद को फिट रखूं, फिर आगे देखते हैं
कौन-कौन सी प्रतिस्पधार्एं आएंगी, उनके बारे में सोचूंगा।
प्रश्न : एक खिलाड़ी को शारीरिक तौर पर मजबूत रहने के साथ-साथ मानसिक तौर पर भी मजबूत रहना होता है, तो उसके लिए आप क्या करते हैं।
उत्तर : देखिए, खेल एक ऐसी चीज है यदि खिलाड़ी बचपन से ही उसी खेल में है तो वह मानसिक तौर पर आॅलरेडी बहुत मजबूत होता है। वैसे भी खिलाड़ी की जिंदगी में इतने संघर्ष होते हैं कि वह हर मुश्किल से मुश्किल घड़ी में भी मजबूत रहता है। वहीं दूसरों के लिए कहना चाहूंगा कि फिल्म मैरीकॉम में गाना है दिल जिद्दी है… तो यही कामयाबी पाने का राज है। अपने लक्ष्य के लिए जुनून और जिद्द ही आपको कामयाब बनाएगी, यही चीज आपको मानसिक तौर
पर भी मजबूत करेगी।
प्रश्न : देश का नाम चमकाने वाले कई खिलाड़ी राजनीति में गए हैं। क्या आपकी भी कोई ऐसी प्लानिंग है?
उत्तर : जी, मैं कल के बारे में ज्यादा नहीं सोचता, आज में जीता हंू। लेकिन ये सच है कि जिन भी खिलाड़ियों को राजनीति में कुछ करने का मौका मिला है, उन्होंने खेल के मैदान की तरह राजनीति के मैदान में भी खुद को साबित किया है। प्रदेश के खेल मंत्री संदीप सिंह राज्य के खेल और खिलाड़ी के बहुत अच्छा कर रहे हैं और उम्मीद है आने वाले दिनों में बड़े बदलाव और नतीजे प्रदेश के सामने होंगे। यह सच है कि एक खिलाड़ी का दर्द और उसकी मुश्किलें एक खिलाड़ी बेहतर समझ सकता है। खिलाड़ी रहते जो राजनीति का शिकार होना पड़ता है, ऐसी बहुत सी बाते हैं, जो खिलाड़ी होकर ही समझी जा सकती हैं। बाकि कल का कुछ पता नहीं, क्या होता है देखते हैं।
प्रश्न : बॉक्सिंग में उतरे नए खिलाड़ियों को क्या संदेश देना चाहेंगे?
उत्तर : देखिए, खिलाड़ी को सबसे पहले सच्चाई से मेहनत करना सीखना होगा, दिल में जुनून और जिद्द होनी चाहिए, तभी नतीजे आते हैं और आप अपने ख्वाब पूरे कर पाते हैं। मेहनत से बड़ा खेल में कोई और गुर नहीं हैं, सही ढंग, सही कोचिंग के अंडर की गई मेहनत नतीजा जरूर लाती है। खिलाड़ी के जीवन के ढेर सारे उतार चढ़ाव आते रहते हैं, लेकिन हौंसले और हिम्मत के साथ मेहनत करते जाना ही मंजिल पर पहुंचने का रास्ता है।
लॉकडाउन में प्रदेश वासियों से अपील
बॉक्सर मनोज ने प्रदेश वासियों से अपील की कि इस लॉकडाउन के समय में सभी ने धैर्य के साथ काम लेना है और अपने घर पर ही रहने से इस वायरस से लड़ाई लड़ी जा सकती है। उन्होंने खासतौर पर युवाओं से अपील की कि इस वक्त युवा बेमतलब घर से बिल्कुल बाहर न निकलें, घर पर रहें और वायरस से लड़ी जा रही लड़ाई में पीएम नरेंद्र मोदी और प्रदेश के सीएम मनोहर लाल खट्टर का साथ दें।
शादी में भी पेश की मिसाल
बॉक्सर मनोज कुमार ने अपनी शादी के दौरान केवल एक मुट्ठी चावल लेकर दहेज रूपी दानव को मिटाने का संकल्प लिया। उन्होंने शादी में कोई भी उपहार वधू पक्ष की ओर से स्वीकार नहीं किया। उनकी शादी पिछले साल कुरूक्षेत्र के मथाना गांव में हुई।
गोल्ड मैडल जीतने के बावजूद डीएसपी न बन पाने की टीस
मनोज कुमार ने देश और प्रदेश के लिए दर्जनों मैडल जीते हैं, लेकिन प्रदेश सरकार ने उनके साथ न्याय नहीं किया। कॉमनवैल्थ खेल में गोल्ड मैडल जीतने के बावजूद उन्हें डीएसपी नहीं बनाया गया जबकि कांस्य पदक विजेता को डीएसपी बना दिया गया। राजनीति का शिकार रहे मनोज को फिलहाल उम्मीद है कि उन्हें न्याय मिलेगा।
राजनीति में भी आजमा सकते हैं भाग्य
प्रदेश में संदीप सिंह, योगेश्वर दत्त और बबीता फौगाट के बाद अब मनोज कुमार भी राजनीति के मैदान में भी अपना दम दिखा सकते हैं। हालांकि मनोज कल के बारे में ज्यादा नहीं सोचते, लेकिन उनके शुभचिंतक मानते हैं कि मनोज अपने इलाके से आने वाले समय में राजनीति के दिग्गज साबित हो सकते हैं।