सच कहूँ डेस्क : बीमा पॉलिसी खरीदना आज की बहुत बड़ी जरूरत बन गई है। इसके जरिए न केवल खुद को भविष्य में आने वाली किसी वित्तीय स्थिति से बचाया जा सकता है बल्कि खुद के न होने पर परिवार को आर्थिक सहारे का विकल्प दिया जा सकता है। अधिक से अधिक संख्या में अब लोग बीमा पॉलिसी खरीद रहे हैं। हालांकि खरीदते समय कई चीजें ऐसी हैं जिन्हें ध्यान में रखना चाहिए।
कुछ ऐसी चीजें हैं जो बहुत सामान्य हैं लेकिन कुछ लोग इसे भी नहीं अपनाते हैं जिस पर बाद में अफसोस होता है जैसे कि कई बीमा कंपनियों द्वारा आॅफर किए जाने वाले पॉलिसी की तुलना न करना, क्लेम सेटलमेंट रेशियो न देखना और डिस्काउंट को लेकर जानकारी न लेना। इसी तरह की कई चीजें बीमा पॉलिसी खरीदते समय ध्यान में रखना चाहिए। नीचे कुछ ऐसी गलतियां बताई जा रही हैं, जो आमतौर पर लोगों से हो जाती हैं।
क्लेम सेटलमेंट रेशियो का पता न करना :
बीमा पॉलिसी खरीदने से पहले अधिकतर लोग इसे चेक करना भूल जाते हैं। इसके लिए बीमा नियामक इरडा की वेबसाइट पर सालाना रिपोर्ट देख सकते हैं। इसमें देश की सभी जनरल इंश्योरेंस कंपनियों के क्लेम सेटलमेंट रेशियो की जानकारी मिल जाएगी। कई बीमा कंपनियां अपनी वेबसाइट पर भी इसकी जानकारी देती हैं। यह रेशियो कितने क्लेम सेटल हुए, इसकी जानकारी देता है।
बीमा पॉलिसियों की तुलना न करना:
कई बीमाधारक ऐसे होते हैं जो बिना विभिन्न बीमा पॉलिसियों की तुलना कर बीमा पॉलिसी खरीद लेते हैं। इसके विपरीत उन्हें देश की तीन से चार जनरल इंश्योरेंस कंपनियों की बीमा पॉलिसी की तुलना जरूर कर लेनी चाहिए। इसमें इंश्योंरेस प्लान के फीचर्स से लेकर प्रीमियम और कवरेज की अच्छे से तुलना कर बेहतर पॉलिसी खरीदनी चाहिए। इसके लिए आप संबंधित बीमा कंपनियों की वेबसाइट पर एक एप्लीकेशन फॉर्म भरकर कोटेशन मंगा सकते हैं। सभी बीमा कंपनियों से मंगाए गए कोटेशन के आधार पर अपनी जरूरतों के मुताबिक सही पॉलिसी चुन सकते हैं।
डिस्काउंट का पता न लगाना:
अगर आप आॅनलाइन माध्यम से जनरल इंश्योरेंस पॉलिसी खरीद रहे हैं तो बीमा कंपनी इस खरीद पर कितना डिस्काउंट दे रही है, इसका जरूर पता कर लें।
राइडर बेनेफिट्स का पता न लगाना:
बीमा पॉलिसी खरीदते समय यह देख लें कि बीमा कंपनी पॉलिसी के साथ कोई राइडर आॅफर कर रही है या नहीं, जैसे कि हेल्थ इंश्योरेंस में गंभीर बीमारी को लेकर राइडर और कार इंश्योरेंस में जीरो डिप्रेशिएशन राइडर। विभिन्न बीमा कंपनियां अलग-अलग राइडर बेनेफिट्स देती हैं। ऐसे में जो सबसे अधिक राइडर बेनेफिट्स दें, उन्हें अपनी जरूरतों के मुताबिक प्रमुखता दें।
क्लेम प्रक्रिया को नजरअंदाज करना:
इंश्योरेंस पॉलिसी को खरीदने में आमतौर पर कोई समस्या नहीं होती है। हालांकि इसके विपरीत कुछ लोगों को क्लेम प्रॉसेस में दिक्कतें आ सकती हैं। ऐसे में कोई भी जनरल इंश्योरेंस कंपनी चुनते समय उनके यहां का मिनिमम टर्नअराउंड जरूर चेक कर लें। इसके लिए कस्टमर रिव्यू को भी देखना चाहिए और पता करना चाहिए कि बीमा कंपनी कितनी शीघ्रता से क्लेम सेटलमेंट करती है।
सबलिमिट्स और डिडक्टिबल न देखना:
कई बीमा पॉलिसियों में कवरेज बेनेफिट्स के साथ सबलिमिट्स के प्रावधान होते हैं। जैसे कि हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में सबलिमिट्स से अधिक का मेडिकल बिल खुद चुकाना पड़ता है जिससे आर्थिक बोझ बढ़ता है। इस प्रकार के वित्तीय बोझ से बचने के लिए पॉलिसी खरीदते समय सबलिमिट्स जरूर चेक कर लें। इसके लिए समाधान यही है कि पॉलिसी के तहत जो फीचर्स दिए गए हैं, उनमें किसके साथ कितना सबलिमिट्स या डिडक्टिबल्स जुड़ा हुआ है।
कार इंश्योरेंस में रोडसाइड एसिस्सटेंस, ट्रैवल इंश्योरेंस में डेंटल ट्रीटमेंट और मेडिकल इंश्योरेंस में रूम रेंट सबलिमिट्स होते हैं। डिडक्टिबल का टोटल एड्मिसिबल क्लेम अमाउंट पर असर पड़ता है। ऐसे में कोई भी जनरल इंश्योरेंस प्लान खरीदते से पहले डिडक्टबिल या सबलिमिट्स जरूर देख लें और संभव हो सके तो ऐसी पॉलिसी खरीदें जिसमें सबलिमिट्स न हों।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter, Instagram, LinkedIn , YouTube पर फॉलो करें।