गन्ना किसानों के बकाया राशि का भुगतान मार्च अंत तक करने के निर्देश

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नैनीताल (एजेंसी)। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने गन्ना किसानों के बकाया भुगतान के मामले में हरिद्वार स्थित धनश्री एग्रो प्रोडक्ट प्राइवेट लिमिटेड चीनी मिल को निर्देश दिया है कि आगामी 31 मार्च, 2021 तक किसानों के बकाया का भुगतान करे। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ की अगुवाई वाली पीठ ने ये निर्देश विगत 19 नवंबर को हरिद्वार निवासी नितिन की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई के बाद दिए हैं लेकिन आदेश की प्रति आज उपलब्ध हुई है। इससे पहले चीनी मिल की प्रबंध निदेशक (एमडी) श्रेया साहनी की ओर से उच्च न्यायालय में शपथ पत्र के माध्यम से किसानों के बकाया भुगतान के लिए अदालत से 31 मार्च, 2021 तक का समय मांगा गया।

अदालत ने एमडी के बयान को रिकॉर्ड में लेते हुए 31 मार्च, 2021 तक का समय दे दिया। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि अभी तक किसानों के बकाया का भुगतान नहीं किया गया है। इससे पहले अदालत ने पिछली सुनवाई को हरिद्वार के जिला अधिकारी एवं रिसीवर को निर्देश दिया था कि वह मिल में मौजूद चीनी के स्टाक की जांच कर उसकी नीलामी कर करे और प्राप्त धन को पृथक बैंक अकाउंट में जमा करे। याचिकाकर्ता की ओर से दायर याचिका में आरोप लगाया गया कि मिल की ओर से वित्तीय वर्ष 2017-18 और 2018-19 के बकाये का भुगतान नहीं किया जा रहा है। किसानों का कुल 217 करोड़ रुपए के बकाये का भुगतान होना है। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि मिल में मौजूद चीनी खराब भी होती जा रही है।

दिल्ली सीमा पर किसानों का विरोध चिंताजनक: ट्रूडो

ओटावा। नयी दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानून 2020 के खिलाफ चल रहे किसानों के विरोध का उल्लेख करते हुए कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने मंगलवार को शांतिपूर्वक विरोध करने के अपने अधिकार के लिए संघर्ष जारी रखने की वकालत की और स्थिति को ‘चिंताजनक’ करार दिया। ट्रूडो दरअसल कनाडा के सांसद बर्दिश चाग्गेर की ओर से सिख धर्म के संस्थापक गुरुनानक देव की 551वीं जयंती गुरुपर्व पर फेसबुक पर बातचीत के दौरान इस आशय की टिप्पणी की। अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में, उन्होंने कहा, ‘अगर मैं किसानों के विरोध के बारे में भारत के बाहर आने वाली खबरों को पहचानने से शुरू करता हूं, तो मुझे यह याद रहेगा। स्थिति चिंताजनक है और हम सभी किसानों के परिवार और दोस्तों के बारे में बहुत चिंतित हैं।

उन्होंने कहा, ‘मुझे पता है कि आप में से कई लोगों के लिए यह एक वास्तविकता है। यहां याद दिला दूं कि कनाडा हमेशा शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार की रक्षा करने के लिए रहेगा। हम बातचीत के महत्व पर विश्वास करते हैं। भारतीय अधिकारियों के समक्ष हम अपनी चिंताओं को उजागर कर चुके हैं। ट्रूडो भारतीय मूल के कनाडाई मंत्रियों – नवदीप बैंस, हरजीत सज्जन और सिख समुदाय के सदस्यों की ओर से आयोजन में शामिल हुए थे। भारत ने ट्रूडो की टिप्पणी पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

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