जबलपुर (एजेंसी)
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने लोक सेवा आयोग द्वारा सहायक प्राध्यापक भर्ती में दिव्यांगों को निर्धारित से अधिक आरक्षण दिये जाने के मामले में सरकार को नई चयन सूची जारी करने के निर्देश देते हुए याचिका का निराकरण कर दिया। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश आर एस झा व न्यायमूर्ति विशाल धगट की युगलपीठ के समक्ष सरकार ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए नयी सूची जारी करने के लिए 15 दिन का समय प्रदान करने का आग्रह किया था। युगलपीठ ने पूर्व में जारी चयन सूची को निरस्त करते हुए सरकार को दिव्यांग आरक्षण अधिनियम 2016 के नियमों के तहत आरक्षण लागू कर नई चयन सूची जारी करने के निर्देश देते हुए याचिका का निराकरण कर दिया।
मुरैना निवासी राकेश तोमर व सीहोर निवासी घनश्याम चौकसे सहित एक सैंकड़ा से अधिक आवेदकों की तरफ से 11 याचिकाएं उच्च न्यायालय में दायर की गई हैं। याचिकाओं में कहा गया है कि शासन ने अलग-अलग विषयों के सहायक प्राध्यापकों के 195 पदों के लिये नियुक्तियां निकाली है। भर्ती प्रक्रिया की जिम्मेदारी लोक सेवा आयोग को दी गयी थी। परीक्षा व इंटरव्यू के बाद अगस्त 2018 में चयनित व्यक्तियों की सूची जारी की गयी थी।
याचिका में कहा गया था कि नियुक्ति प्रकिया में दिव्यांग आरक्षण अधिनियम 2016 के तहत छह फीसदी आरक्षण का प्रावधान है। निशक्तजनों को निर्धारित से अधिक 12 से लेकर 28 फीसदी तक आरक्षण दिया गया है, जिसके कारण अन्य लोग चयन से वंचित हो गये हैं। याचिका में प्रमुख सचिव, उच्च शिक्षा व आयोग को पक्षकार बनाया गया था। याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान उच्च शिक्षा विभाग आयुक्त व्यक्तिगत रूप से उपस्थित थे। सरकार ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए नई चयन सूची तैयार करने के लिए 15 दिन का समय प्रदान करने का आग्रह युगलपीठ से किया। युगलपीठ ने आग्रह को स्वीकार करते हुए ये आदेश जारी किये।
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