- एसवाईएल मामले में हरियाणा एडवोकेट एसोसिएशन का हरियाणा सरकार को सुझाव
- प्रधानमंत्री को जल्द ज्ञापन सौंपेंगे वकील
ChandiGarh, SachKahoon News: एसवाईएल मुद्दे पर नवंबर माह में सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्टÑपति प्रणब मुखर्जी को दी रिकमेंडेशनस में साफ किया गया था कि पानी पर हरियाणा का हक़ है और उसे उसके हक़ का पानी मिलना चाहिए। हालांकि इस मामले पर पंजाब द्वारा खूब राजनीति की गई और हालात बिगड़ने तक की नौबत आ गई। पंजाब व हरियाणा के राजनेताओं द्वारा खूब भाषणबाज़ी हुई और लकीरें खींच दी गई। पंजाब ने साफ कह दिया कि पानी की एक बूंद हरियाणा को नहीं जाएगी, लेकिन हरियाणा द्वारा मामले में खुद कोई बड़ा कदम न उठा कर फिर से कानून का सहारा लिया गया। जिस कारण मामला अभी भी कोर्ट के विचाराधीन बना हुआ है। वहीं आज हरियाणा एडवोकेट एसोसिएशन ने मसले पर एक प्रेस वार्ता कर सरकार को इस मामले में पंजाब के अड़ियल रवैये के कारण हिमाचल सरकार से बातचीत कर नया प्लान तैयार करने की सलाह दी गई।
चंडीगढ़ प्रेस क्लब में हरियाणा एडवोकेट एसोसिएशन व चौ. जगन्नाथ मेमोरियल ट्रस्ट हरियाणा द्वारा आयोजित एक पे्रस वार्ता में संयोजक जितेंद्र नाथ ने बताया कि एसवाईएल के मुद्दे पर पंजाब और हरियाणा दोनों आमने-सामने है परंतु हल नज़र नहीं आता। उन्होंने कहा कि पंजाब यह मानता है कि सतलुज का 43 फीसदी पानी उसके पास है और उसका बहुत सा पानी पाकिस्तान बह कर जा रहा है। उन्होंने हरियाणा सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि पंजाव की बजाए हरियाणा को हिमाचल सरकार से मिलकर कर नया प्लान तैयार करना चाहिए। इस मुद्दे पर बात करके हिमाचल के जरिये हरियाणा को पानी उपलब्ध करवाना चाहिए ताकि हरियाणा के किसानों को पानी की कमी न हो। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार को इस हिमाचल सरकार से बात कर सत्तलुज का पानी हिमाचल प्रदेश के नालागढ़ की तरफ से नहर बनाकर हरियाणा में लाए जाने पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार के लिए यही एक मात्र रास्ता है। उन्होंने कहा कि वे इस संबंध में प्रधानमंत्री को भी ज्ञापन सौंपेंगे।
बता दें कि दिसंबर के माह की शुरुआत में पंजाब एवं हरियाणा सरकार राष्टÑपति प्रणब मुखर्जी से मिलकर एसवाईएल के पानी पर अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे चुके हैं। पंजाब एसवाईएल के पानी की एक बूंद न देने की बात विधानसभा चुनावों के मद्देनजर कर रहा है। वह जानता है कि पानी का मुद्दा पंजाब की सियासत की रीढ़ है और इस अवसर पर यदि पानी हरियाणा को दे दिया गया तो विपक्ष इस मुद्दे को भुना सकता है। वहीं हरियाणा इस मसले पर हिंसक आंदोलनों से बचने के रास्ते पर चल रहा है और कानून तथा प्रधानमंत्री कार्यालय से इसमें दखलअंदाजी चाहता है।