पाठक बोले: जसपाल की सराहनीय सेवाओं को सलाम || Jaspal Insan
ओढां, (सरसा) राजू। कहावत है कि अगर हौसला बुलंद और इरादों में जान हो तो इस जहाँ में कुछ भी असंभव नहीं है। 42 वर्षीय जसपाल इन्सां (Jaspal Insan) ने 20 वर्ष एक हादसे में दोनों हाथ खो दिए थे, लेकिन हौसला नहीं। हिम्मत, हौसले व आत्मविश्वास को जसपाल ने ऐसे समेटा की दिव्यांगता भी उसके सामने नतमस्तक हो गई। इस शख्स से सच-कहूँ संवाददाता राजू ओढां ने विशेष बातचीत की।
सरसा जिला के गांव मलिकपुरा निवासी जसपाल इन्सां ने बताया कि जब उसके साथ ये हादसा हुआ उस समय उसकी उम्र करीब 22 वर्ष की थी। इस हादसे ने उसकी जिंदगी में अंधेरा सा भर दिया। उसे ये समझ नहीं आ रहा था कि वह हाथों के बगैर अब कैसे जीएगा, कैसे उसकी जिंदगी कटेगी। इन सवालों के अंधेरे में फंसे जसपाल के लिए पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन वचन आशा की किरण साबित हुए। जिसके बाद उसने इन परिस्थितियों से लड़ने का फैसला लिया। इस फैसले ने जसपाल की अंधेरी जिंदगी में उजाला भर दिया।
13 वर्षां से दे रहा है निरंतर सेवा, बना रखा है स्पेशल थैला
जसपाल ने जिस दिन से गांव में सच-कहूँ वितरण की सेवा संभाली है तब से वह पिछले निरंतर 13 वर्षांे से सराहनीय सेवा दे रहा है। पहले सच-कहूँ नेशनल हाईवे पर गांव मिठड़ी में उतरता था जो उनके गांव से करीब 4 किलोमीटर दूर पड़ता है। अलसुबह उठकर नारा लगाकर वह पैदल ही सच-कहूँ लेने चला जाता। लेकिन कुछ समय बाद अखबार का बंडल उसके घर आना शुरू हो गया। सुबह करीब साढ़े 5 बजे जसपाल के पास सच-कहूँ का बंडल पहुंच जाता है। जसपाल ने अपनी सुविधा के अनुसार स्पेशल थैला बना रखा है। जिसमें अखबार रखकर वह पैदल ही गांव में वितरण के लिए निकल पड़ता है। जसपाल करीब एक घंटे में ये सेवा पूरी कर लेता है। जसपाल गले में डाले गए स्पेशल थैले से मुंह से अखबार निकालता है और अपने कटे हुए दोनों हाथों से सत्कार सहित पाठक को सौंप देता है।
नहीं कोई परेशानी
जसपाल एक अलग ही जोश के साथ सच-कहूँ वितरण की सेवा करता है। जसपाल ने पूछे जाने पर बताया कि उसे सच-कहूँ वितरण में कोई परेशानी नहीं। उसे ये हौसला उसके गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने दिया है। वह जो भी कुछ कर रहा है वो पूज्य गुरु जी की रहमत से ही संभव हो पा रहा है। सच-कहूँ के पाठकों के मुताबिक गांव में सुबह समय पर अखबार का वितरण हो रहा है। पाठकों ने जसपाल के जज्बे को सलाम करते हुए उसकी सराहना की है।
मैं करुंगा ये सेवा
गांव मलिकपुरा में सच-कहूँ वितरण सुबह देर से होने के चलते नामचर्चा में साध-संगत विचार विमर्श कर रही थी। इसी दौरान जसपाल ने ये सेवा करने की बात कहते हुए खड़े होकर नारा लगा दिया। ये देखकर उपस्थित साध-संगत आश्चर्यचकित रह गई। उन्होंने जसपाल से कहा कि वह बगैर हाथों के ये सेवा कार्य कैसे करेगा। दूसरा वह कोई वाहन भी नहीं चला सकता। सच-कहूँ 4 किलोमीटर दूर से लाना भी पड़ेगा। लेकिन जसपाल ने यह कहकर सभी को नि:शब्द कर दिया कि करने वाले तो पूज्य गुरु जी हैं।
20 वर्ष पूर्व खो दिए थे दोनों हाथ
करीब 20 वर्ष पूर्व घर के निकट ट्रांसफार्मर पर फ्यूज लगाते समय जसपाल को अचानक करंट लग गया था। इस हादसे में उसे कोहनी से ऊपर तक दोनों हाथ खोने पड़े। हादसे के 2 दिन बाद परिजनों ने जसपाल की शादी के विषय में बातचीत करने जाना था। लेकिन शायद किस्मत को ये स्वीकार न था। जसपाल ने बताया कि उसे जिंदगी से अब कोई गिला नहीं है। जो लोग कई बार विकट परिस्थितियां आने के बाद हौसला छोड़ देते हैं उन लोगोंं से जसपाल ने अपील करते हुए कहा कि हौसला न छोड़ें। हिम्मत-हौसला है तो सब-कुछ है।