एमडीयू रोहतक से बीएड पास ने वेस्टेज से निकाली तरक्की की राह | Temple Flowers
संजय मेहरा / सच कहूँ
गुरुग्राम। ‘‘सिर्फ सोचने से कहां मिलते हैं तमन्नाओं के शहर, चलना भी जरूरी है मंजिल पाने के लिए।’’ इसी सोच के साथ वो रोज घर से निकलती और घूमती शहर के मंदिर-दर-मंदिर। (Temple Flowers) क्योंकि उन्हें अपनी मंजिल कहीं और नहीं बल्कि मंदिरों की दहलीज के भीतर ही नजर आई। हम बात कर रहे हैं कर्मठ और पॉजिटिव सोच की धनी श्रीमती पूनम सहरावत की। जो रोज सुबह तैयार होकर पहुंच जाती है मंदिरों में। जहां लोग मंदिरों में भगवान को नतमस्तक होकर अपने परिवार की खुशहाली की कामना करते हैं। वहीं पूनम भगवान से प्रार्थना के साथ मंदिरों के डस्टबिन को खंगालती हैं।
चढ़ावे के फूलों को डस्टबीनों से रोज करती हैं एकत्रित
महंगी गाड़ी से उतरकर एक शिक्षित महिला का उत्साह से मंदिर आना और उन्हें डस्टबिन को खंगालते देख हर कोई हैरान जरूर होता था। लेकिन किसी को क्या पता था कि उसके लिए नया मुकाम हासिल करने का रास्ता इन डस्टबिन से होकर ही जाता है।
सूखाकर बनाए जा रहे अनेक सुगंधित विभिन्न उत्पाद
- जब पूनम ने अपने इस काम को अंजाम तक पहुंचाया तो हर कोई उनकी वाहवाह कर उठा।
- एमडीयू रोहतक से पूनम सहरावत ने बीएड जरूर की, लेकिन कभी नौकरी करने का मन नहीं हुआ।
सच कहूँ संवाददाता से बातचीत में पूनम कहती हैं-
- जब मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों को कचरे में बदलते देखती थी तो उनकी भावनायें आहत होती थीं।
- इंटरनेट के माध्यम से उन्होंने खोज की और इन फूलों का सदुपयोग करने का रास्ता मिला।
ऐसे शुरू हुआ अनुपम प्रयोग | Temple Flowers
- पूनम सहरावत ने काफी रिसर्च करके आखिर फूलों से धूप, धूपबत्ती बनाने की प्रक्रिया को हासिल कर ही लिया।
- कुछ महिलाओं को भी ढूंढा, जो कि इस काम में उनकी मदद करके खुद के लिए आजीविका कमा सकती हों।
- सब तैयारी करने के बाद पूनम रोज सुबह अपनी गाड़ी उठाती और पहुंच जाती मंदिरों के डस्टबिन से खराब हुए फूलों को उठाने।
- मंदिरों में उन्होंने अपने डस्टबिन रखवाये, ताकि सफाईकर्मी सिर्फ फूलों को उनमें डाल सकें।
- लापरवाही करके सफाईकर्मी फूलों के साथ पूरी गंदगी उनमें डाल देते थे।
- जिन्हें पूनम खुद ही अलग-अलग करके फूलों को कट्टे (बोरी) में डाल अपनी गाड़ी में रखती थी।
- जब उन फूलों से बनी धूप, धूपबत्ती उन्होंने मंदिरों में डोनेट करनी शुरू की तो सबकी समझ में आया।
- इस काम में परिवार से कोई मदद लेने की बजाय प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत 4.50 लाख रुपये का लोन लिया।
पति विनीत का भी मिला भरपूर साथ | Temple Flowers
पूनम कहती हैं कि इस काम में उन्हें पति विनीत सहरावत का पूरा सहयोग मिला है। रोज अलसुबह घर से निकलने के कारण घर के कई काम अधूरे रहते, लेकिन विनीत ने शिकायत करने की बजाय हमेशा उनका हौंसला बढ़ाया, सपोर्ट किया। दो बच्चों सक्षम व संयम की माँ पूनम सहरावत की शादी दिल्ली के रंगपुरी में हुई है। फिलहाल वह परिवार के साथ गुरुग्राम में रहती हैं।
उनका हर उत्पाद है आॅर्गेनिक | Temple Flowers
- पूनम सहरावत इन फूलों से शुरू में धूपबत्ती और इनके लिए स्टैंड बनाती थी।
- अब उन्होंने फूलों से मूर्तियां व अन्य कई प्रोडक्ट बनाना भी शुरू कर दिया है।
- इस प्रक्रिया में पहले फूलों को सुखाकर पाउडर बनाया जाता है।
- फिर उसमें हवन सामग्री आदि मिला देते हैं।
- पूनम कहती हैं कि हवन सामग्री में जड़ी-बूटियां भी होती हैं।
- इससे जब धूपबत्ती बनती हैं और वे घरों, मंदिरों में महकती हैं तो एक तरह से वातावरण शुद्धि का काम करती है।
- वे हवन कुंड की शेप में स्टैंड भी बनाती हैं।
पर्यावरण सुधार के साथ स्वच्छता की सौगात | Temple Flowers
पूनम कहती हैं कि यह एक तरह से पर्यावरण को संरक्षित करना और स्वच्छता का काम भी है। क्योंकि मंदिरों से निकलने वाले फूलों को या तो जलाया जाता था या फिर उन्हें नालियों में फेंक दिया जाता था। अब यह दोनों काम बंद हो गये हैं। हर के दो दर्जन से भी अधिक मंदिरों से पूनम फूल उठवाती हैं। इसके अलावा मंदिरों में चढ़ने वाली चुनरियों को भी वे अब लेने लगी हैं।
- चुनरियों से अच्छी पैकिंग तैयार करती हैं।
- मूर्तियों को पैक करके सेल किया जाता है।
- यह नया कॉन्सेप्ट है।
इंडिया मार्ट से करती हैं आॅनलाइन सेल | Temple Flowers
आर्गेनिक धूप, अगरबत्ती व मूर्तियों की सेल वे आॅनलाइन करती हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचार भी बिक्री भी होती है तो वहीं इंडिया मार्ट आॅनलाइन साइट पर के माध्यम से भी बिक्री होती है। अभी उन्होंने अपनी सेव पृथ्वी डॉट कॉम नाम से वेबसाइट भी बनाई है, ताकि उसके माध्यम से भी बिक्री की जा सके। उनका यह अपनी तरह का अनूठा प्रयोग है, जो आज आर्थिक मजबूती और आॅर्गेनिकता का बेहतर प्लेटफार्म बन गया है।
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