नयी दिल्ली (वार्ता) राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज कहा कि हमारा लक्ष्य स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगाँठ पर 2022 तक समावेशी एवं खुशहाल समाज बनाने का होना चाहिये तथा यह लक्ष्य हासिल करने में नवाचार की संस्कृति मददगार होगी। श्री कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में ‘नवाचार एवं उद्यमिता मेले’ के उद्घाटन के मौके पर ‘गाँधियन यंग टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन’ पुरस्कार देने के बाद अपने संबोधन में यह बात कही। तीन हजार से ज्यादा प्रविष्टियों में से चयनित 23 नवाचारों को राष्ट्रपति ने पुरस्कार प्रदान किये।
पुरस्कृत नवाचारों में प्रोटीन नैनो सेंसर के डिजाइन का अध्ययन, कोर्निया की बनावट को मजबूती देने वाले इंजेक्टेबल हाइड्रोजेल, किफायती इंफ्रारेड वेन डिटेक्टर, मलेरिया को फैलने से रोकने के लिए नयी रणनीति, मलेरिया की जाँच के लिए किफायती डिस्पोजेबल माइक्रोफ्लुइड बायोचिप, असुरक्षित यौन संबंध के दौरान एचआईवी संक्रमण तथा अवांछित गर्भ रोकने के लिए नैनोस्पर्मवाइरिसाइड, मिट्टी के लिए नैनो तकनीक आधारित कंडीशनर, बिना बैटरी के काम करने वाला आईओटी सेंसिंग नोड, रोलिंग वाटर प्यूरीफायर रोल प्योर, ऊर्ध्व तथा क्षैतिज सतहों पर छेद करने के दौरान नैनो फिनिशिंग के लिए मैगनेटिक उपकरण का विकास, विंडो सोलर कूकर की डिजाइनिंग तथा सोशल सर्च इंजन ओरिगॉन का निर्माण शामिल हैं।
श्री कोविंद ने सभी पुरस्कार विजेताओं और ऐसे नवाचारियों को भी जिन्हें पुरस्कार नहीं मिल पाया, उनके आविष्कारों के लिए बधाई दी तथा विश्वास जताया कि उनका योगदान देश को विकसित और सहयोग की भावना से पूर्ण समाज बनायेगा।सिर्फ नवाचार को अपने-आप में अपर्याप्त बताते हुये राष्ट्रपति ने नवाचारियों को वित्तीय तथा नीतिगत मदद प्रदान करने की जरूरत बतायी। उन्होंने कहा, “जरूरत है कि स्कूलों में बच्चे रट्टामारी की जगह प्रयोग करें और सरकार उनके लिए सुविधाजनक माहौल तैयार करे। नवाचाार अपने-आप में काफी नहीं है। इसे उद्यम में बदलना होगा जिसके लिए वित्तीय एवं नीतिगत मदद तथा मार्गदर्शन की जरूरत है।”