भ्रष्टाचार के विरुद्ध सूचना तकनीक सराहनीय

Corruption

ई-रुपी वाउचर के माध्यम से कल्याण योजनाओं से लाभार्थियों को अधिकतम उपयोगिता देने और सब्सिडियों के दुरुपयोग पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार ने एक नया कदम उठाया है। इससे पहले प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) राशि सीधे लाभार्थी के खाते में जमा होती रही है। अब तक डीबीटी के जरिये 90 करोड़ से अधिक नागरिकों को फायदा मिला है, जिनमें पीएम किसान सम्मान निधि, सार्वजनिक वितरण सेवाएं, एलपीजी गैस सब्सिडी आदि योजनाएं शामिल हैं। इस राशि को निकालकर उपभोग आदि के उद्देश्य से इस्तेमाल करना संभव था, लेकिन ई-रुपी के कारण लाभार्थियों को प्राप्त सब्सिडी का किसी भी प्रकार का अन्य उद्देश्य के लिए उपयोग नहीं हो सकेगा। देश में करीब 41 करोड़ से अधिक जन-धन खाते हैं, 129 करोड़ से अधिक लोगों के पास आधार कार्ड है और आम आदमी की मुठ्ठियों में मोबाइल हैं।

मोबाइल ब्रॉडबैंड इंडिया ट्रैफिक इंडेक्स 2021 के मुताबिक, डेटा खपत बढ़ने की रफ्तार सबसे अधिक भारत में है। ट्राई के मुताबिक जनवरी 2021 में भारत में ब्राडबैंड उपयोगकतार्ओं की संख्या 75.76 करोड़ पहुंच चुकी है। लाभार्थियों के खाते में सीधे धन जमा करने से सब्सिडी से संबंधित भ्रष्टाचार में कमी आयी है तथा आम आदमी की डिजिटल पहचान तथा डीबीटी ने आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अकल्पनीय लाभ दिये हैं। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन आॅफ इंडिया ने अपने यूपीआइ प्लेटफॉर्म पर वित्तीय सेवाओं के विभाग, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के सहयोग से ई-रुपी का पूरा प्रारूप जनता के समक्ष पेश किया। इसकी विशेषता यह है कि यह पूरी तरह कैशलेस और संपर्क रहित है। इसके माध्यम से एक समान राशि का वाउचर सीधे लाभार्थी के मोबाइल फोन पर एसएमएस स्ट्रिंग या क्यूआर कोड के रूप में भेजा जाता है। लाभार्थी को इसे विशिष्ट केंद्रों को दिखाना होता है, जहां इसको भुनाया जा सकता है। ई-रुपी बिना किसी कार्ड या नेट बैंकिंग के डिजिटल तरीके से लाभार्थियों और सेवा प्रदाताओं को जोड़ता है।

इस व्यवस्था में यह भी सुनिश्चित किया गया है कि लेन-देन पूरा होने के बाद ही सेवा प्रदाता को भुगतान हो। ई-रुपी की प्रकृति प्री-पेड है, ऐसे में यह किसी भी मध्यस्थ के बिना सेवा प्रदाता को समय पर भुगतान सुनिश्चित करता है। स्पष्ट दिख रहा है कि कोविड-19 के दौर में सरकार ने गरीबों को दी जानेवाली राशि और किसानों को दिया जानेवाला भुगतान सीधे उनके खाते में पहुंचाकर भ्रष्टाचार पर एक बड़ा प्रहार किया है। ऐसे में ई-रूपी सरकारी धन के दुरुपयोग को रोकने की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल हो सकता है। वस्तुत: रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार केवल कुछ रुपयों की ही बात नहीं है, इसका सबसे ज्यादा नुकसान देश का गरीब व ईमानदार व्यक्ति उठाता है तथा देश के आर्थिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इससे सामाजिक संतुलन भी तहस-नहस होता है। व्यवस्था के प्रति भरोसे पर भी रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार हमला करते हैं। इसमें कोई दो मत नहीं कि सरकार ने इसे कम करने के लिए कई कदम उठाये हैं, किंतु अब तकनीक के माध्यम से इस पर नियंत्रण के लिए नयी रणनीति जरूरी है। हम उम्मीद करें कि ई-रुपी अब कल्याणकारी योजनाओं में धन के दुरुपयोग को रोकने में मील का पत्थर साबित होगा।

 

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और TwitterInstagramLinkedIn , YouTube  पर फॉलो करें।