नई दिल्ली। थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल 2022 में सलाना आधार पर 15.08 प्रतिशत रही। पिछले साल अप्रैल में थोक मुद्रास्फीति 10.74 प्रतिशत और मार्च 2022 में 14.55 प्रतिशत थी। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार खनिज तेल, प्राथमिक धातुओं, प्राकृतिक गैस, खाद्य और अखाद्य वस्तुओं तथा रसायनों के दाम बढ़ने से महंगायी दर बढ़ी है। थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति अब पिछले एक साल से भी अधिक समय से 10 प्रतिशत से भी ऊपर है।
इस वर्ष मार्च की तुलना में अप्रैल का थोक मूल्य सूचकांक 2.08 प्रतिशत बढ़ा। इस समय खुदरा मुद्रास्फीति का दबाव भी ऊंचा है। अप्रैल महीने में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 7.79 प्रतिशत हो गयी थी जो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लक्षित 2-6 प्रतिशत के मुद्रास्फीति के दायर से काफी ऊंचा है। इससे आरबीआई पर नीतिगत दर बढ़ाने का दबाव है। आरबीआई ने इसी महीने की शुरूआत में अपनी रेपो दर 4 से बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत कर दी थी। इकरा की अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा,’ थोक मुद्रास्फीति के 10 प्रतिशत से ऊपर बने रहने को देखते हुए आसार यही दिखते हैं कि रिजर्व बैंक जून की मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर और बढ़ाएगा। हमें लगता है कि जून 2022 आरबीआई रेपो को 0.40 प्रतिशत और बढ़ाएगा तथा अगस्त में इसे 0.35 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है। अगले साल के मध्य तक रेपो दर 5.5 प्रतिशत तक जा सकती है।
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