नयी दिल्ली। नीति आयोग के कार्यकारी निदेशक अमिताभ कांत ने शनिवार को भारत के कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ से निपटने के प्रदर्शन को उल्लेखनीय बताते हुए कहा कि जबतक इस महामारी के टीका का अविष्कार नहीं हो जाता तबतक कोरोना संदिग्धों की जांच, मरीज के संपर्क में आये लोगों की पहचान, उनका अलगाव किया जाना जैसे उपाय इस बीमारी से बचने के लिये महत्वपूर्ण हैं। कांत को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के जैव प्रौद्योगिकी संस्थान और स्वास्थ्य पत्रिका ‘डबल हेलिकल’ के साथ मिलकर ‘जेएनयू एलुमनी एसोसिएशन ऑफ जेएनयू’ (एएजे) द्वारा आयोजित ‘ग्लोबल रिसर्च पर्सपेक्टिव टू पैंडेमिक कोविड-19’ विषय पर एक वेबिनार में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था।
कांत ने कहा, “कोरोना से निपटने में सफलता और उसके प्रभाव की सीमा को कुल मामलों से नहीं मापा जा सकता है। बल्कि इसका मूल्यांकन जनसंख्या घनत्व, प्रति 10 लाख मौतें, मामले की मृत्यु दर, जनसंख्या घनत्व के आधार पर प्रति 10 लाख मौतें, वैश्विक कोविड की मृत्यु दर में योगदान, स्वस्थ हो रहे मरीजों की संख्या, खतरे पर बनी जनसंख्या और औसत आबादी जैसे पैमानों के आधार पर किया जाना है।” उन्होंने कहा, “इन सब मापदंडों पर मूल्यकांन करने पर भारत का प्रदर्शन उल्लेखनीय है।
उन्होंने कहा, “अगर लोगों की जांच करने, संक्रमितों के संपर्क में आये लोगों की पहचान करने और उन्हें अलग कर के रखने में सफल रहे तो हम इस बीमारी को नियंत्रण कर लेंगे। इन सब उपायों को किये बिना इस बीमारी पर काबू पाना बहुत मुश्किल है। यह सब महामारी को रोकने के कारगार तरीके हैं। इन्हीं तरीकों को सही ढंग से अपनाकर केरल और कर्नाटक बेहतर कर रहे हैं।”
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