भारतीयों को सुधारनी होंगी अपनी आदतें

Indians will have to improve their habits

इंग्लैंड की अदालत ने प्रसिद्ध फुटबालर डैविड बैकहम पर गाड़ी चलाते समय मोबाइल फोन का प्रयोग करने पर छह माह का गाड़ी न चलाने की प्रतिबंध लगाया है। यह मामला ज्यादा लटकाया भी नहीं गया, बल्कि पांच महीने में अदालत ने अपना फैसला सुना दिया। दिलचस्प बात यह है कि बैकहम ने भी अपनी गलती को स्वीकार किया है। यह मामला एक देश की सरकार व स्थानीय लोगों की कानून के प्रति सम्मान व जिम्मेवारी को दर्शाता है। इंग्लैंड में बेहतर ट्रैफिक प्रबंधों के कारण सड़क हादसों में मरने वाले लोगों की गिनती में कमी आ रही है। इसी वर्ष 2016 के मुकाबले 2017 में मौत दर में छह प्रतिशत गिरावट आई है। वर्ष 2017 में सड़क दुर्घटनाओं में कुल 1793 लोगों की मौत हुई थी। इधर भारत में आम व्यक्ति से लेकर उच्च स्तरीय नेता व अधिकारी भी सड़क दुर्घटनाओं से सबक नहीं ले रहे। विगत वर्ष भारत में एक लाख 37 हजार मौतें सड़क हादसों के कारण हुई व यह आंकड़ा निरंतर बढ़ता जा रहा है।

जनसंख्या व वाहनों की संख्या बढ़ने के कारण ट्रैफिक नियमों को तो सख्त बनाया गया लेकिन भ्रष्टाचार व अन्य कई कारणों के चलते नियमों की पालना नहीं हो रही। मोबाइल फोन के प्रयोग की मनाही होने के बावजूद करोड़ों लोग कानून का उल्लंघन कर वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का प्रयोग करते हैं लेकिन ट्रैफिक पुलिस मूकदर्शक बनी रहती है। 20 प्रतिशत लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई नहीं होती। यहां तो हाल यह है कि एक फिल्मी अभिनेता कई लोगों को कुचल जाता है। पुलिस ने उसके खिलाफ मामले की पैरवी सही तरीके से नहीं की और वह बरी हो गया। यह सवाल बड़ा अहम है कि आखिर मृतक खुद गाड़ी के नीचे आने के लिए तो नहीं सो रहे थे। बिहार में एक राजनेता शराब पीकर गाड़ी चला रहा था व 9 बच्चे कुचलकर कानून के शिकंजे से बच निकला। अपराधी लंबे समय तक न्याय प्रक्रिया व पुलिस में भ्रष्टाचार के कारण पैसे के दम पर बच जाते हैं। नि:संदेह सड़कों में सुधार हुआ है लेकिन नियमों को सख्ती से लागू करना होगा। देश की सरकार व जनता को इंग्लैंड से प्रेरित होकर ट्रैफिक नियमों का ईमानदारी व दृढ़ता से पालन करना, ताकि सड़क दुर्घटनाओं को रोका जा सके। नियमों की पालना करने की सख्त आवश्यकता है।

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