प्रवास के लिए भारतीयों समक्ष खड़ा हो रहा संकट

Indians are facing crisis for migration
अमेरिका ने अगले दो महीने तक ग्रीन कार्ड आवेदन व फाईल प्रोसेस को पूरी तरह से रोक दिया है। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि कोरोना महामारी से उनके यहां बेरोजगारी बढ़ी है। अभी करीब दो करोड़ अमेरिकियों ने बेरोजगारी आपात सहायता के लिए आवेदन किया है। अमेरिका के फैसले से सबसे ज्यादा भारतीय प्रवासी प्रभावित होंगे चूंकि अभी भी करीब साढ़े सात लाख भारतीय अमेरिका में ग्रीन कार्ड पाने के लिए लाईन में लगे हुए हैं। इधर अरब देशों में भारतीय कामगारों, पेशेवरों के साथ भेदभाव की खबरें आ रही हैं। अरब में करीब 35 लाख भारतीय कामगार व पेशेवर हैं। अरब में कोरोना का शिकार होकर जान गंवाने वालों में ज्यादातर भारतीय हैं। स्पष्ट है अरब देश भारतीयों से जितना कमा रहे हैं या आगे बढ़ रहे हैं मुसीबत के वक्त अब वह उन्हें उनके हाल पर छोड़कर बैठे हैं।
कुछ भारत में तबलीगी जमात में कोरोना मामलों को मीडिया के एक वर्ग व साम्प्रदायिक राजनीति करने वालों ने धार्मिक राजनीतिक रंग दे दिया है जिसका अरब में विरोध हो रहा है, ऐसे में अरब में फंसे भारतीयों को अपने देश का महत्व अब बहुत याद आ रहा है। निश्चित रूप से अरब में बैठे बहुत से भारतीय इस महामारी के बाद वहां से निकलकर भारत या अन्य देशों में अपना भविष्य तलाशंगे। यूरोप में भी बेरोजगारी फैलेगी एवं प्रवास के मौके घटेंगे वहां भी अमेरिका जैसे हाल हैं। ईटली जरूर अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए उसके यहां बैठे प्रवासियों को स्थायी नागरिकता देने पर विचार कर रहा है, चूंकि ईटली की औसत आबादी बूढ़ी हो चुकी है। कनाडा में प्रवासियों से अभी कोई भेदभाव नहीं है, कनाडा भी इन कोशिशों में है कि उसके यहां के प्रवासी वहीं टिके रहें। आस्ट्रेलिया जोकि भारतीयों के लिए काफी पंसदीदा देश है, ने भी अस्थाई तौर पर अपने दरवाजे प्रवासियों के लिए बंद कर दिए हैं।
भारत इस महामारी में सबसे सुरक्षित देश बनकर उभरा है, लेकिन आर्थिक मोर्चे पर भारत को इसकी बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ेगी, विदेशों में ही नहीं भारत में भी बेरोजगारी दर बढ़ेगी। अभी बेरोजगारी दर 7.50 प्रतिशत है जोकि अगले समय में 26 प्रतिशत तक जा सकती है। भारतीयों को अपने रोजगार व प्रवास के नए ठिकाने खोजने होंगे, यहां भारतीय अपने श्रम व कौशल से न केवल अपना बल्कि अपने देश का भविष्य भी सुनहरी बना सकें। इंडियन सेंटर फॉर माइग्रेशन को चाहिए कि वह भारतीयों के लिए नए देशों व क्षेत्रों की खोज में अपने प्रयास तेज करे। अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, प्रशांत क्षेत्रीय द्वीपों जैसे देश हैं यहां कम आबादी, रोजगार की बेमिसाल संभावनाएं हैं, भारतीयों को अगर वहां अवसर मिलते हैं तब इन देशों की अर्थव्यवस्था को भी नई शक्ति मिलेगी एवं भारतीयों को रोजगार तथा उन्नति के नए अवसर मिलेंगे।
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