उच्च शिक्षण संस्थानों की ओवरऑल सूची में पहले 100 में हरियाणा के किसी भी विश्वविद्यालय नहीं मिली जगह
- इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी मद्रास को मिला देशभर में पहला स्थान
हिसार (सच कहूँ/संदीप सिंहमार)। कभी शिक्षा जगत में अपना नाम कमाने वाला म्हारा हरियाणा इस बार उच्च शिक्षा के मामले में फिसड्डी रहा है। राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (National Institutional Ranking Framework) शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा सोमवार को जारी की गई ओवरऑल रैंकिंग में हरियाणा प्रदेश के किसी भी विश्वविद्यालय व महाविद्यालय को पहले 100 शिक्षण संस्थानों में कोई स्थान नहीं मिला। जबकि पड़ोसी राज्य राजस्थान 4,पंजाब के 8, दिल्ली के 7, उत्तर प्रदेश के 2, हिमाचल के एक शिक्षण संस्थान ओवरऑल रैंकिंग में अपनी जगह बना पाए। शिक्षा के मामले में इस तरह से पिछड़ने के क्या कारण रहे हैं? इस बारे में हरियाणा की सभी महाविद्यालय व विश्वविद्यालय को एक बार सोचना होगा।
सोमवार को जारी हुई रैंकिंग सूची (India NIRF Ranking 2023) में पूरे देश भर में सबसे पहला स्थान इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मद्रास को मिला। इसी प्रकार इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरु को दूसरा, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी दिल्ली को तीसरा,इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मुंबई को चौथा, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी कानपुर को पांचवा, ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस दिल्ली को छटा,इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी खड़गपुर को सातवां, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी रुड़की को आठवां, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी गुवाहाटी को नौवां व दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय को दसवां स्थान मिला है।
इंजीनियरिंग संस्थानों ने बाजी मारी | (India NIRF Ranking 2023)
राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा जारी की गई सूची पर यदि नजर दौड़ाई जाए तो ओवरऑल रैंकिंग में भारत के इंजीनियरिंग संस्थानों ने बाजी मारी है। इस सूची में पहले 10 स्थानों में मेडिकल साइंस का सिर्फ एक कॉलेज दिल्ली के एम्स को शामिल किया गया है। वहीं दिल्ली के शिक्षा का केंद्र कहे जाने वाले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय को भी दसवां स्थान ही मिल सका।
रैंकिंग में स्थान पाने के लिए पढ़ाई के साथ-साथ शोध पर भी देना होगा जोर
भारत सरकार की उच्च शिक्षण संस्थाओं की सूची में शामिल होने के लिए सभी शिक्षण संस्थानों को पढ़ाई के साथ-साथ शोध पर भी जोर देना होगा। वहीं महाविद्यालय व विश्वविद्यालय में कार्यरत शोधकर्ताओं का प्रोफेसर्स को भी शोध पत्र पब्लिकेशन पर भी ध्यान देने की जरूरत है, ताकि अगले वर्ष जब यह सूची जारी हो तो इसमें पहले 100 में अपनी जगह बना पाए। ध्यान रहे कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट दर्ज की गई है।
यही एक सबसे बड़ा कारण रहा कि इस रैंकिंग में हरियाणा प्रदेश का ही नहीं बल्कि संपूर्ण उत्तर भारत के संस्थानों को कम जगह मिल पाई है। लेकिन हरियाणा के महाविद्यालय विश्वविद्यालयों को तो इस दिशा में विशेष तौर पर गौर करने की जरूरत है ताकि भविष्य में शिक्षा के क्षेत्र में यहां के शिक्षण संस्थानों की छवि धूमिल ना हो।
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