नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। भारत ने चीन के नए भूमि सीमा कानून को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है और उसे आगाह किया है कि वह ऐसे कदम नहीं उठाए जो भारत चीन सीमा क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर एकतरफा परिवर्तन करते हों। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बुधवार को मीडिया के सवालों पर कहा कि हमने देखा है कि चीन ने 23 अक्टूबर को एक नया भूमि सीमा कानून बनाया है। इस कानून कहता है कि चीन भूमि सीमा मसलों पर विदेशी देशों के साथ संयुक्त रूप से की गयीं सभी संधियों का पालन करेगा। इसमें सीमा क्षेत्रों वाले जिलों के पुनर्गठन के भी प्रावधान किए गए हैं।
1963 के चीन पाकिस्तान सीमा करार को कोई वैधानिकता नहीं मिलती
बागची ने कहा कि गौरतलब है कि भारत एवं चीन अपने सीमा मसले को अभी तक नहीं सुलझा पाए हैं। दोनों पक्ष बातचीत के माध्यम से सीमा मसले का एक निष्पक्ष, समुचित एवं परस्पर स्वीकार्य समाधान खोजने पर सहमति जता चुके हैं। हमने समाधान होने तक अंतरिम तौर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति एवं स्थिरता बनाए रखने के लिए कई द्विपक्षीय समझौते, प्रोटोकॉल एवं व्यवस्थाओं पर भी हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में चीन का यह कानून बनाने के एकतरफा निर्णय का ना केवल सीमा मसले बल्कि हमारे सीमा प्रबंधन संबंधी द्विपक्षीय समझौतों एवं व्यवस्थाओं पर असर पड़ सकता है और यह हमारे लिए चिंता का विषय है।
चीन के इस तरह के एकतरफा कदम का उन व्यवस्थाओं से कोई लेना देना नहीं है जिन पर दोनों पक्ष पहले ही सहमत हो चुके हैं, चाहे वह सीमा मसला हो या वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति एवं स्थिरता कायम रखने का मामला हो। बागची ने कहा कि हमारी अपेक्षा है कि चीन इस कानून के तहत ऐसे कदम नहीं उठाएगा जो भारत चीन सीमा पर स्थिति में एकतरफा बदलाव लाते हों। उन्होंने यह भी कहा कि इस नए कानून के बनने से तथाकथित 1963 के चीन पाकिस्तान सीमा करार को कोई वैधानिकता नहीं मिलती है जिसे भारत सरकार हमेशा से अवैध एवं अनधिकृत कहती आ रही है।
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