ग्रेटर नोएडा (सच कहूँ न्यूज)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जल के बिना जीवन की कल्पना को असंभव बताते हुए जल संरक्षण की दिशा में उपाय तेज करने की जरूरत पर बल दिया। राष्ट्रपति मुर्मू ने मंगलवार को यहां पांच दिन तक चलने वाले सातवें इंडिया वाटर वीक का उद्घाटन करते हुए कहा कि इस आयोजन में दुनिया भर के विशेषज्ञ, जल जैसे समसामयिक मुद्दे पर चर्चा करेंगे और इसके संरक्षण के उपाय सुझायेंगे। उन्होंने इस महत्वपूर्ण आयोजन के लिये जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और उत्तर प्रदेश सरकार की सराहना की। उन्होंने कहा कि जल के बिना किसी भी जीवन की कल्पना असंभव है। भारतीय सभ्यता में तो जीवन में, और जीवन के बाद की यात्रा में भी जल का महत्व है। राष्ट्रपति मुर्मू ने ऋषि भागीरथ द्वारा पवित्र गंगा को जमीन पर लाने का दृष्टांत सुनाते हुए कहा कि अपने पुरखों को मोक्ष दिलाने के लिये भागीरथ ऋषि ने तपस्या की और गंगा नदी का पृथ्वी पर अवतरण हुआ। उन्होंने कहा कि इस युग में कुछ लोगों को यह कहानी भले ही मिथक लगे, पर इसका सार जीवन में जल के महत्व को इंगित करता है। भारतीय सभ्यता में पानी को दैव रूप में जाना जाता है। यही वजह है कि पानी के समस्त स्रोतों को पवित्र माना गया है।
हर धार्मिक स्थल, नदी के तट पर स्थित
लगभग हर धार्मिक स्थल, नदी के तट पर स्थित हैं। ताल, तलैया और पोखरों का स्थान, समाज में पवित्रता का होता रहा है। पर वर्तमान समय पर, नजर डालें तो कई बार स्थिति चिंताजनक लगती है। बढ़ती हुई जनसांख्या के कारण नदियों और जलाशयों की हालत क्षीण हो रही है, गांवों के पोखरे सूख रहे हैं, कई स्थानीय नदियां विलुप्त हो गयी हैं। कृषि और उद्योगों में जल का दोहन जरूरत से ज्यादा हो रहा है। धरती पर पर्यावरण संतुलन बिगड़ने लगा है। राष्अ्रपति ने कहा कि मौसम का मिजाज बदल रहा है और बेमौसम अतिवृष्टि अब आम बात हो गयी है। इस तरह की परिस्थिति में पानी के प्रबंधन पर विचार-विमर्श करना बहुत ही सराहनीय कदम है। इसके कई पहलू हैं। मिसाल के तौर पर कृषि क्षेत्र में विविधता के साथ ऐसी फसलें उगाई जायें जिनमें पानी की खपत कम हो। गुजरात का सौराष्ट्र क्षेत्र अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण जल के अभाव वाला क्षेत्र था। जल प्रबंधन के उपायों को देखते हुए अब उस इलाके की तस्वीर बिल्कुल बदल गयी है।
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