तालिबान सेंक्शन कमेटी और काउंटर टेररिज्म कमेटी, जिसकी भारत 2022 में अध्यक्षता करेगा ये दोनों पाकिस्तान के मूलभूत हित हैं। भारत इन दोनों मुद्दों पर पाकिस्तान का विरोध करता रहा है। ज्ञात रहे कि साल 1996 में भारत ने आतंकवाद की वित्तीय सहायता व आतंक रोकने पर बात करने की कोशिश की थी और भारत एक बार फिर से इसे लागू कराने की पूरी कोशिश करेगा।
दुनिया में आतंकवाद, तालिबान का पोषण करने सहित अनेक मुद्दों पर फैसले करने में भारत की भूमिका महत्त्वपूर्ण होने जा रही है और पाकिस्तान पशोपेश में है कि नई परिस्थितियों से बचे तो बचे कैसे? संयुक्त राष्ट्र में भारत के पास सुरक्षा परिषद् की तीन समितियों की अध्यक्षता का जिम्मा आ गया है। इनमें तालिबान प्रतिबंध समिति (सेंक्शन कमेटी), आतंकरोधी समिति और लीबिया प्रतिबंध समिति शामिल हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, काउंटर टेररिज्म और तालिबान सेंक्शन कमेटी दो ऐसे क्षेत्र हैं, जिनके तहत भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को कटघरे में खड़ा कर सकता है और साथ ही उस पर और प्रतिबंध भी लगवा सकता है।
तालिबान सेंक्शन कमेटी उन देशों की सूची तैयार करती है, जो तालिबान का आर्थिक रूप से समर्थन करते हैं, या उनके साथ किसी और तरह से सहयोग करते हैं। इसके आधार पर, दुनिया भर के 180 से अधिक देश अपने कानूनों में संशोधन करते हैं और उन लोगों के नाम को प्रतिबंधित संगठनों और व्यक्तियों की सूची में जोड़ दिया जाता है। इसके बाद उन पर मनी लॉन्ड्रिंग और वित्तीय सहायता पर बनने वाले कानून लागू होते हैं। संयुक्त राष्ट्र की इन कमेटियों के मामले आधिकारिक रूप से संचालित होते हैं और ये इन्हें लागू कराते आ रहे हैं। जैसा कि सभी जानते हैं कि पाकिस्तान इस समय दो से तीन समस्याओं का सामना कर रहा है, उनमें से एक फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ का आगामी आॅनलाइन सत्र है।
यह टास्क फोर्स मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादियों को वित्तीय सहायता की रोकथाम करने वाली एजेंसी है। अक्तूबर 2020 में पाकिस्तान ने एफएटीएफ की 27 सिफारिशों में से 21 को पूरा कर लिया था, लेकिन शेष छह सिफारिशों को टास्क फोर्स ने बहुत महत्वपूर्ण माना है। इसकी समय सीमा फरवरी 2021 में पूरी होगी। पाकिस्तान को भय है कि भारत अपनी पूरी ताकत लगा कर उसे एफएटीएफ की काली सूची में शामिल करवा सकता है।
इसके तहत भारत पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सहायता भी रुकवा सकता है। तालिबान सेंक्शन कमेटी और काउंटर टेररिज्म कमेटी, जिसकी भारत 2022 में अध्यक्षता करेगा ये दोनों पाकिस्तान के मूलभूत हित हैं। भारत इन दोनों मुद्दों पर पाकिस्तान का विरोध करता रहा है। ज्ञात रहे कि साल 1996 में भारत ने कॉम्प्रिहेंसिव कन्वेंशन आॅन इंटरनेशनल टेरर के तहत आतंकवाद की वित्तीय सहायता और आतंकवाद की रोकथाम पर विस्तृत बात करने की कोशिश की थी।
और भारत एक बार फिर से इसे लागू कराने की पूरी कोशिश करेगा। तालिबान कमेटी पर संयुक्त राष्ट्र के गैरस्थायी सदस्य इन कमेटियों की अध्यक्षता करते आ रहे हैं, लेकिन सुरक्षा परिषद् भी अक्सर उन देशों को चुनती है जो पड़ोसी नहीं हैं और अकसर क्षेत्र के बाहर के देशों को अध्यक्षता करने का अवसर दिया जाता है। लेकिन अब जब भारत को तालिबान सेंक्शन कमेटी का अध्यक्ष चुना गया है यह भारत सरकार के लिए बहुत महत्वपूर्ण बात है।