श्रीलंका एक कठिन आर्थिक संकट से जूझ रहा है। श्रीलंका ने खाद्य संकट को लेकर आपातकाल का ऐलान किया है, क्योंकि प्राइवेट बैंकों के पास आयात के लिए विदेशी मुद्रा की कमी है। राष्ट्रपति गोटाबया राजपक्षे ने चीनी, चावल और अन्य आवश्यक खाद्य पदार्थों की जमाखोरी रोकने के लिए आपातकालीन नियम-कायदों को लागू करने के आदेश दिए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह केवल खाने का संकट नहीं है, बल्कि श्रीलंका की अर्थव्यवस्था के लिए भी बड़ी मुसीबत का संकेत है और यह वास्तव में आर्थिक आपातकाल का एलान है। यहां सबसे बड़ी चुनौती उन लोगों के लिए है जो कोरोना की चेतावनी को हल्के में ले रहे हैं। कोरोना काल में श्रीलंका का पर्यटन उद्योग करीब-करीब ठप हो चुका है और वह जिन वस्तुओं के निर्यात पर निर्भर था, उसमें भी बहुत गिरावट आई।
विदेशी निवेश न केवल कम हुआ, बल्कि विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार से भी बड़ी मात्रा में पैसा निकाला है। इन दोनों का असर था कि विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर के मुकाबले श्रीलंकाई रुपये की कीमत में तेज गिरावट आई है। इस वर्ष अभी तक श्रीलंका में अमेरिकी डॉलर 7.5 फीसदी से ज्यादा महंगा हो चुका है। उधर केवल अगस्त के महीने में ही श्रीलंका में महंगाई दर में छह प्रतिशत का उछाल आया है। बाजार में दाम का जायजा लेने से पहले यह जानना आवश्यक है कि एक भारतीय रुपये में 2.75 श्रीलंकाई रुपये आते हैं और एक डॉलर की कीमत श्रीलंका में दो सौ रुपये से ज्यादा हो चुकी है। कोलंबो की एक वेबसाइट ने महंगाई का आलम दिखाने के लिए कुछ चीजों के अगस्त 2020 और अगस्त 2021 के दाम बताए हैं। वहां एक किलो हरी मूंग 341 रुपये से 828 रुपये पर पहुंच गई है, जबकि प्याज 219 से 322 रुपये, मलका की दाल 167 से 250 रुपये, चीनी 135 से 220 रुपये, काबुली चने की दाल 240 से 314 रुपये पर पहुंच चुकी हैं।
जाहिर है, ज्यादातर चीजों के दाम 30 से 200 फीसदी तक बढ़ चुके हैं। दाम बढ़ने के साथ ही खाने पीने की वस्तुओं की किल्लत भी होने लगी है और अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने खबरें दी हैं कि दुकानों के बाहर लंबी लाइनें दिखाई पड़ रही हैं। देश के निजी बैंकों ने कह दिया कि आयातकों को देने के लिए अब उनके पास डॉलर नहीं बचे हैं। और अब पिछले दो हफ्तों से तो सरकारी अफसर अनाज और चीनी के गोदामों पर छापे मारकर उनके स्टॉक भी जब्त करने लगे हैं।
खबर है कि अब तक हजार से ज्यादा छापे मारे जा चुके हैं। साथ ही राशन के दाम भी तय किए जा रहे हैं। इतिहास में पहली बार बांग्लादेश ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार से उसे करेंसी देकर श्रीलंका की आर्थिक मदद की है। इस वक्त श्रीलंका बड़ी मुसीबत में है और किसी भी अच्छे पड़ोसी की तरह भारत को इस वक्त उसकी मदद करनी ही चाहिए। यह भी नहीं भूलना चाहिए कि यदि भारत ने कोई मदद की पेशकश की तो चीन मौके का फायदा उठाने के लिए बिल्कुल तैयार बैठा है। साथ ही यह भी ध्यान रहे कि जल्द ही अफगानिस्तान और पाकिस्तान से भी इसी तरह के खाद्य संकट की खबरें आ सकती हैं। तब क्या करना होगा, इसकी तैयारी वक्त रहते की जाए, तो बेहतर रहेगा।
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