शांति व सौहार्द से निपटी भारत-पाक की मीटिंग
नई दिल्ली (एजेंसी)। पाकिस्तान के करतारपुर शहर में स्थित गुरूद्वारा दरबार साहिब को पंजाब के गुरदासपुर शहर से जोड़ने वाला गलियारा बनाने के लिए तौरतरीकों को अंतिम रूप देने के उद्देश्य से भारत और पाकिस्तान के अधिकारियों ने पंजाब में बृहस्पतिवार को एक बैठक की। जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सुरक्षा बलों पर आतंकी हमला होने, इसके बाद आतंकी गुट जैश-ए-मोहम्मद के बालाकोट स्थित शिविरों पर भारत की ओर से हवाई हमला किए जाने और फिर पाकिस्तान की ओर से कार्रवाई करने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बहुत बढ़ गया है।
अटारी वाघा सीमा के भारतीय हिस्से में हुई मीटिंग
इस तनाव के बीच करतारपुर गलियारा मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के अधिकारियों की यह पहली बैठक अटारी वाघा सीमा के भारतीय हिस्से में हुई।
भारतीय पक्ष में केंद्रीय गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, बीएसएफ, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और पंजाब सरकार के प्रतिनिधि शामिल हुई।
भारतीय दल का नेतृत्व गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव एससीएल दास ने किया जबकि पाकिस्तान की 18 सदस्यीय दल का नेतृत्व पाकिस्तान के विदेश मामलों के मंत्रालय के महानिदेशक (दक्षिण एशिया एवं सार्क) मोहम्मद फैजल ने किया।
दोस्ताना माहौल में हुई मीटिंग
दोनों देशों द्वारा जारी संयुक्त बयान के अनुसार, अटारी में हुई यह बैठक बेहद ही दोस्ताना माहौल में हुई। बयान में कहा गया, ‘दोनों पक्षों के बीच विभिन्न मुद्दों और प्रस्तावित समझौते के प्रावधानों पर विस्तृत और सकारात्मक वार्ता हुई। दोनों पक्ष करतारपुर साहिब कॉरिडोर का संचालन जल्द से जल्द शुरू करने की दिशा में काम करने को लेकर सहमत हुए।’ बयान में कहा गया, प्रस्तावित कॉरिडोर के समझौते और अन्य विषयों पर दोनों पक्षों के तकनीकी विशेषज्ञों में भी चर्चा हुई। अगली बैठक 2 अप्रैल 2019 को वाघा पर करने की सहमति बनी है। दास ने कहा, ‘भारत ने पाकिस्तान से अनुरोध किया कि वह कॉरिडोर को खुलने की मंजूरी दे और परियोजना के पहले चरण के तहत शुरूआत में कम से कम पांच हजार श्रद्धालुओं की व्यवस्था करने पर जोर दिया। इसमें न केवल भारतीय लोगों बल्कि भारतीय मूल के लोगों को भी शामिल किया जाए।’ उन्होंने कहा, ‘हमने अपनी तरफ से इस बात पर भी जोर दिया है कि करतारपुर कॉरिडोर से जुड़ी भावनाओं को देखते यह बिल्कुल वीजा मुक्त होना चाहिए। किसी भी तरह का अतिरिक्त दस्तावेज मांगकर प्रक्रियाओं को बोझिल नहीं बनाना चाहिए।’
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