कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की तारीफ विश्व स्वास्थ्य संगठन ने की है। केंद्र और राज्य सरकारों ने इस घातक वायरस की रोकथाम के लिए जिस तरह की तेजी दिखाई है, उससे जनता में विश्वास उत्पन्न हुआ है कि मिलकर इस वायरस से आसानी से लड़ा जा सकता है। भारत जैसे विशाल आबादी वाले देश में किसी भी वायरस का फैलना अपने आप में बड़ी आपदा बन सकता है। लेकिन गनीमत है कि सरकार के प्रयासों से इस वायरस से प्रभावित लोगों की संख्या अभी बहुत ज्यादा नहीं है। सरकार नागरिकों को इस वायरस से बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, स्वयं प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्री एक्शन मोड में हैं।
कोरोना वायरस को लेकर पूरी दुनिया में हंगामा मचा हुआ है। इस वायरस ने केवल लोगों की सेहत ही नहीं बल्कि बाजार, मेडिकल टेक्नोलॉजी, और सोशल सिस्टम को भी हिलाकर रख दिया है। हेल्थ और हेल्थ से जुड़ी नई-नई टेक्नोलॉजी रखने वाले देशों के लिए भी इस चुनौती से निपटना मुश्किल हो रहा है। इटली, कोरोना वायरस के हॉटस्पॉट के तौर पर उभरा है। पूरी दुनिया कोरोना वायरस के चलते खौफजदा हो और लगातार लोगों के मरने की खबरें आ रही हों। इंटरनेट पर बीमारी से जुड़ी ऐसी तमाम खबरों और तस्वीरों की भरमार है। ये खबरें और तस्वीरें ऐसी हैं जिन्हें पढ़कर या देखकर मन विचलित होता है डर की अनुभूति होती है और बीमारी के विध्वंसक होने का पता चलता है। तो वहीं ऐसा भी बहुत कुछ है जो आश्चर्य में डालता है और ये सोचने पर मजबूर करता है कि यदि इस बीमारी का विस्तार होगा तो स्थिति क्या होगी?
ध्यान रहे कि चाहे चीन, इटली, फ्रांस, स्पेन, ईरान और अमेरिका जैसे देश हों या फिर पाकिस्तान और भारत कहीं भी उस देश की सरकारें इस बीमारी को हलके में नहीं ले रही हैं। अलग-अलग देशों की सरकारें लगातार इसी कोशिश में हैं कि किसी भी सूरत में बीमारी पर लगाम कसते हुए उसे नियंत्रित कर लिया जाए। कोरोना वायरस के फैलने की रफ्तार के मुकाबले, इसके इलाज और जांच की रफ्तार काफी धीमी है. इसे देखते हुए ज्यादातर देशों में एक ट्रेंड उभर कर आ रहा है। ज्यादातर देशों की हेल्थ अथॉरिटी और नेता लोगों को सलाह दे रहे हैं कि ज्यादा मिले-जुलें नहीं। लोगों को हाथ मिलाने से भी परहेज करने को कहा जा रहा है।
भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने कोरोना वायरस को ‘राष्ट्रीय आपदा’ अधिसूचित कर दिया है। यह राज्य सरकारों पर भी लागू होगा। दुनिया में इस वायरस से 5600 से अधिक मौतें हो चुकी हैं। अमरीका और स्पेन की सरकारों ने ‘आपातकाल’ घोषित किए हैं। कोरोना के जानलेवा प्रभाव का केंद्र अब यूरोप है। स्पेन में एक ही दिन में 1500 संक्रमित मामले सामने आए हैं। स्पेन के प्रधानमंत्री की पत्नी भी संक्रमित बताई जा रही है। इटली में मौत का आंकड़ा 1400 को पार कर चुका है। भारत के हालात अमरीका और स्पेन, इटली (यूरोप) से बेहतर हैं। बीती 15 फरवरी को भारत में सिर्फ 3 संक्रमित बीमार थे और एक महीने के बाद संख्या अब 147 मरीजों तक पहुंच गई है। इस दौरान 3 मरीजों की मौत हो गई और 10 से ज्यादा लोग ठीक होकर घर लौट चुके हैं। फिर भी आश्वस्त नहीं हुआ जा सकता, क्योंकि विशेषज्ञ डाक्टरों का मानना है कि भारत में कोरोना दूसरे चरण में पहुंच चुका है। यदि यहीं नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह तीसरे चरण में भी पहुंच सकता है। सरकारों के पास सिर्फ 30 दिन का वक्त है। शायद ऐसे ही खतरे और संकट को आंकते हुए केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस को ‘राष्ट्रीय आपदा’ अधिसूचित किया है।
देश में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल की स्थिति भी खराब है। अलगाव केंद्रों और प्रमुख अस्पतालों में भी इस वायरस की जांच की व्यवस्था नहीं है। दवाओं और उपकरणों को लेकर भी हम चीन के भरोसे हैं। चीन में सामान्य हालात होने में अभी कुछ वक्त लगेगा। चीन, इटली और स्पेन में कोरोना का फैलाव और प्रभाव छठे चरण तक पहुंच चुका है। बहरहाल कोरोना पर भारत सरकार और देश के नागरिक अपने ही स्तर पर सख्ती बरत रहे हैं। जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। सरकार ने मास्क और सेनिटाइजर को ‘अनिवार्य वस्तु’ घोषित कर दिया है। खेल के लगभग सभी आयोजन अगली तारीख तक स्थगित कर दिए गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात का दो दिवसीय दौरा रद्द कर दिया है। राष्ट्रपति भवन में पद्म पुरस्कारों के समारोह भी फिलहाल टाल दिए गए हैं। नई तारीखों की घोषणा अभी होनी है। सरकार ने स्कूल, कॉलेज तो बंद करवाए ही हैं, वहीं सार्वजनिक उपयोग के तमाम स्थलों व केंद्रों को भी बंद करवाने जैसे कदम उठाए हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना वायरस का संक्रमण छींकने या खांसने से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में हो सकता है। लेकिन जानकारों का कहना है कि ये वायरस किसी सतह पर भी अस्तित्व में रह सकता है और वो भी संभवत: कई दिनों तक। इसलिए ये अहम है कि आपका फोन चाहे घर पर हो या दफ्तर में पूरी तरह से बार-बार साफ हो। सरकार नागरिकों के बीच चेतना फैलाने के लिए प्रचार-प्रसार के सभी साधनों का बेहतर उपयोग कर रही है, जिससे कोई भ्रम की स्थिति आम लोगों के बीच इस वायरस को लेकर न फैले।
कोरोना वायरस को लेकर जो सोशल साइट्स पर अफवाहें फैलाई जा रही हैं, वो गलत हैं। जो लोग कोरोना को लेकर अफवाहें या भ्रांतियां सोशल मीडिया पर फैला रहे हैं, उन पर शिकंजा कसने के लिए सरकार को कुछ प्रयास करने चाहिए, ताकि कोरोना की अफवाह किसी के लिए मुसीबत न बने। अगर किसी को कोई अफवाह सोशल मीडिया पर नजर आती है तो उसकी शिकायत फौरन संबंधित सोशल मीडिया के हेल्प डेस्क, मीडिया और पुलिस को देनी चाहिए, लेकिन इसमें भी कोई दोराय नहीं है कि सोशल मीडिया पर जो परोसा जाता है, जरूरी नहीं वो सारा ही खराब या गलत हो। सोशल मीडिया का प्रयोग करने वालों से अनुरोध है कि वे अफवाहें न फैलाएं।
कोरोना वायरस ने सारी दुनिया को चिंता में डाल दिया है। दुनिया के बड़े-बड़े देश इसकी चपेट में आ चुके हैं। यह वायरस दुनिया में ज्यादा तबाही न मचाए, इसके लिए हर देश भरपूर कोशिशें कर रहा है। हमारे देश में भी यह फैल चुका है। सरकार, प्रशासन और अन्य कुछ संस्थाएं कोरोना वायरस के प्रति सतर्क रहने के लिए जागरूकता अभियान भी चला रहे हैं, लेकिन दुनिया को भविष्य में कोरोना जैसी महामारियों से बचना है तो सबसे पहले दुनिया के सभी देशों के नागरिकों को अपना खान-पान और जीवनशैली पर ध्यान देना होगा। हम सब सावधानी बरत कर इस वायरस से बच सकते हैं और दूसरों का भी बचा सकते हैं। चूंकि मामला गंभीर है ऐसे में सरकार द्वारा समय-समय दिए जा रहे निदेर्शों का पालन करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य बनता है।
राजेश माहेश्वरी
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