भारत को अपनी आंतरिक सुरक्षा मजबूत बनानी होगी

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पहले कश्मीर में गैर मुस्लिमों की हत्याएं, उधर पूर्वोत्तर में आतंकी हमला अब पठानकोट आर्मी कैम्प के पास ग्रेनेड से ब्लास्ट ये घटनाएं बता रही हैं कि देश के उक्त हिस्सों में आतंक फिर उठने लगा है। कश्मीर में जब से धारा 370 हटाई गई व कश्मीर को दो केन्द्र शासित प्रदेशों में बांटा गया, तब से इस क्षेत्र में आतंकी घटनाओं में आश्चर्यजनक तौर पर कमी आ गई थी, लेकिन वर्ष 2021 में आतंकी दोबारा से अपनी नापाक कोशिशों में जुट रहे हैं। पूर्वोत्तर में नागालैंड पीपुल्स ने तो आतंक का रास्ता ही छोड़ दिया था, उस तरफ भी अब बर्मा से घुसपैठ हो रही है और आतंकी घटनाओं को अंजाम देकर आतंकी फिर से बर्मा में भाग जाते हैं। जम्मू-कश्मीर में यहां सीमा पार पाकिस्तान से आतंकियों को हथियार व पैसा मिल रहा है, लेकिन पूर्वोत्तर में आतंकियों की सहायता चीन से मिलने की आशंकाए हैं।

चूंकि चीन ही दूसरा हमारा पड़ोसी है, जिसके साथ सीमा विवाद को लेकर हमारा युद्ध व अनेकों झड़पें हो चुकी हैं। अब चीन गलवान घाटी व उससे पहले डोकलाम विवाद भारत के साथ खड़ा कर चुका है। इतना ही नहीं अरूणाचल में चीन सीमा पर बड़ी तेजी से हलचल बढ़ रही है, सिक्किम में भी चुम्बी घाटी के आसपास चीन सक्रिय है, चीन के अलावा भारत को अस्थिर करने की न तो किसी पड़ोसी में ताकत है, न ही किसी को जरूरत है। भारत हालांकि सब छोटे-बड़े पड़ोसियों का पूरा ध्यान रखता है, भारत नहीं चाहता कि उससे किसी को कोई परेशानी हो, चीन ऐसा नहीं। चीन पाकिस्तान के मार्फत भी काम कर रहा है, पूर्वोत्तर में वह अन्य गरीब पड़ोसियों को अपना हथियार बना रहा है, नेपाल जो कि सांस्कृतिक रूप से भी भारत की मुख्य धारा से जुड़ा है उसे भी चीन कर्ज व अन्य सहायता देकर भारत के विरुद्ध खड़ा करने की कोशिशें कर रहा है।

भारत ने हालांकि आर्थिक, राजनीतिक, वैश्विक स्तर पर चीन का हर तरह से मुकाबला करने में रफ्तार पकड़ ली है। लेकिन कहावत है न ‘घर का भेदी लंका ढहाय’ अत: भारत को अपनी आतंरिक सुरक्षा पर भी बजट बढ़ाना होगा। सुरक्षा एजेंसियों को और ज्यादा पेशेवर, चुस्त-दुरुस्त बनाना होगा, असंतुष्ट भारतीयों की मांगों का हल हर समय एवं हर सरकार को करते रहना होगा। आतंरिक समस्याएं एवं हिंसा देश की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा बनते हैं। आज दुनिया पाकिस्तान की हालत देख रही है। पाकिस्तान ने दूसरों के साथ लड़ाई में अपनी आंतरिक व्यवस्था का नाश कर डाला। आज पाकिस्तान में दुनिया का कोई व्यक्ति कंपनी उद्योग या निवेश नहीं करना चाहता। पाकिस्तान की उतनी आमदन नहीं रही, जितना उस पर कर्ज व ब्याज हो गया है।

पाकिस्तान के साथ चीन भले ही लाख खड़ा रहे, लेकिन पाकिस्तान अब खुद ही लड़खड़ा रहा है। आतंक निवेश व शांति का विनाशक है। आतंक का अंत सरकार व नागरिकों एवं सुरक्षा बलों को मिलकर करना चाहिए। नागरिकों का फर्ज है कि वह अपने नौजवानों को गलत राह पर न जाने दें। सरकार का दायित्व है वह युवाओं एवं प्रदेशों की समस्याएं राजनीति व वोट बैंक से ऊपर उठकर हल करें। प्रशासन का दायित्व है कि वह नागरिकों एवं सरकार के बीच जुड़ाव को मजबूत करे न कि भ्रष्टाचारी या सिफारिशी बने। किसी राष्टÑ की मजबूती में सब का योगदान बराबर का महत्व रखता है। आतंक या शत्रुता रखने वाले पड़ोसी, देश का कुछ नहीं बिगाड़ सकते जब तक देश अन्दर से एकजुट, ईमानदार व मजबूत है।

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