नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। New Delhi: भारत ने कनाडा द्वारा भारतीय उच्चायुक्त एवं अन्य राजनयिकों को किसी मामले की जांच के सिलसिले में तलब किये जाने की कड़ी भर्त्सना की है और कहा है कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की वोट बैंक की राजनीति के लिए यह साजिश रची गई है। विदेश मंत्रालय ने सोमवार को यहां एक बयान में कहा, ‘हमें कल कनाडा से एक राजनयिक संचार प्राप्त हुआ है, जिसमें बताया गया है कि भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिक उस देश में एक जांच से संबंधित मामले में ‘रुचि के व्यक्ति’ हैं। भारत सरकार इन बेतुके आरोपों को दृढ़ता से खारिज करती है और इन्हें ट्रूडो सरकार के राजनीतिक एजेंडे के लिए जिम्मेदार ठहराती है जो वोट बैंक की राजनीति पर केंद्रित है। New Delhi
बयान में कहा गया कि चूंकि प्रधानमंत्री ट्रूडो ने सितंबर 2023 में कुछ आरोप लगाए थे, हमारी ओर से कई अनुरोधों के बावजूद, कनाडाई सरकार ने भारत सरकार के साथ सबूत का एक टुकड़ा भी साझा नहीं किया है। यह नवीनतम कदम उन बातचीतों के बाद उठाया गया है, जिनमें एक बार फिर बिना किसी तथ्य के दावे सामने आए हैं। इससे इसमें कोई संदेह नहीं रह जाता है कि जांच के बहाने राजनीतिक लाभ के लिए भारत पर कीचड़ उछालने की एक सोची-समझी रणनीति है।
बयान में कहा गया कि श्री ट्रूडो की भारत के प्रति शत्रुता लंबे समय से साक्ष्य में है। उनकी 2018 में भारत यात्रा, जिसका उद्देश्य वोट बैंक का समर्थन करना था, ने उनकी बेचैनी को बढ़ा दिया। उनके मंत्रिमंडल में ऐसे व्यक्तियों को शामिल किया गया है जो भारत के संबंध में खुले तौर पर चरमपंथी और अलगाववादी एजेंडे से जुड़े हैं। दिसंबर 2020 में भारतीय आंतरिक राजनीति में उनके खुले हस्तक्षेप से पता चला कि वह इस संबंध में कितनी दूर तक जाने को तैयार थे। यह कि उनकी सरकार एक राजनीतिक दल पर निर्भर थी, जिसके नेता खुले तौर पर भारत के संबंध में अलगाववादी विचारधारा का समर्थन करते हैं, इससे मामला और बिगड़ गया। कनाडा की राजनीति में विदेशी हस्तक्षेप पर आंखें मूंद लेने के लिए आलोचना झेल रही उनकी सरकार ने नुकसान को कम करने के प्रयास में जानबूझकर भारत को शामिल किया है।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारतीय राजनयिकों को निशाना बनाने वाला यह नवीनतम घटनाक्रम अब उसी दिशा में अगला कदम है। यह कोई संयोग नहीं है कि यह तब हो रहा है जब प्रधानमंत्री ट्रूडो को विदेशी हस्तक्षेप पर एक आयोग के सामने पेश होना है। यह भारत विरोधी अलगाववादी एजेंडे को भी पूरा करता है, जिसे ट्रूडो सरकार ने संकीर्ण राजनीतिक लाभ के लिए लगातार बढ़ावा दिया है। इस उद्देश्य से, ट्रूडो सरकार ने जानबूझकर हिंसक चरमपंथियों और आतंकवादियों को कनाडा में भारतीय राजनयिकों और समुदाय के नेताओं को परेशान करने, धमकाने और डराने के लिए जगह प्रदान की है। इसमें उन्हें और भारतीय नेताओं को जान से मारने की धमकी भी शामिल है। New Delhi
विदेश मंत्रालय ने कहा कि इन सभी गतिविधियों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर उचित ठहराया गया है। कनाडा में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले कुछ व्यक्तियों को नागरिकता के लिए तेजी से ट्रैक किया गया है। कनाडा में रहने वाले आतंकवादियों और संगठित अपराध के नेताओं के संबंध में भारत सरकार के कई प्रत्यर्पण अनुरोधों को नजरअंदाज कर दिया गया है। New Delhi
बयान में कहा गया कि उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा 36 वर्षों के प्रतिष्ठित करियर के साथ भारत के सबसे वरिष्ठ सेवारत राजनयिक हैं। वह जापान और सूडान में राजदूत रहे हैं, जबकि इटली, तुर्की, वियतनाम और चीन में भी कार्यरत रहे हैं। कनाडा सरकार द्वारा उन पर लगाए गए आक्षेप हास्यास्पद हैं। भारत सरकार ने भारत में कनाडाई उच्चायोग की गतिविधियों का संज्ञान लिया है जो वर्तमान शासन के राजनीतिक एजेंडे को पूरा करती है। इससे राजनयिक प्रतिनिधित्व के संबंध में पारस्परिकता के सिद्धांत का कार्यान्वयन हुआ। भारतीय राजनयिकों के खिलाफ मनगढ़ंत आरोप लगाने की कनाडाई सरकार की इन नवीनतम कोशिशों के जवाब में अब भारत के पास आगे कदम उठाने का अधिकार सुरक्षित है।
यह भी पढ़ें:– Curry Leaves Benefits: सुबह खाली पेट करी पत्ता चबाने के जबरदस्त फायदे, वेट लॉस के साथ-साथ आंखों को भी मिलेगा फायदा