बोलसोनारो की इस यात्रा के दौरान भारत और ब्राजील का मुख्य फोकस सुसुप्त होते व्यापारिक रिश्तों में दोबारा प्राण फूंकने पर रहा। हालांकी व्यापारिक संबंध पिछले कुछ वर्षों में बेहतर हुए है, दोनों के बीच 2018-19 में द्विपक्षीय व्यापार 8.2 अरब अमरीकी डॉलर का रहा। इसमें 3.8 अरब डॉलर का भारतीय निर्यात और 4.4 अरब डॉलर का भारत का आयात शामिल है। बोलसोनारो की इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने अपना द्विपक्षीय व्यापार 2022 तक 15 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।
एन.के. सोमानी
ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो की भारत यात्रा के दौरान भारत और ब्राजील के बीच कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, जैव ऊर्जा, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, खनन, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, स्वास्थय, महिला एवं बाल विकास तथा सामाजिक सुरक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में 15 समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये। इसके अलावा तेल एवं प्राकृतिक गैस के क्षेत्र में सहयोग को लेकर समझौता हुआ। साथ ही दोनों देश निवेश बढ़ाने और आपराधिक मामलों में एक-दूसरे का सहयोग करने पर भी सहमत हुए। बोलसोनारो भारत के 72वें गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि की हैसियत से भारत आए हुए थे। वे यहां चार दिन रहे। जनवरी 2019 में राष्ट्रपति बनने के बाद यह उनकी पहली भारत यात्रा थी। 11 वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए जब पीएम नरेन्द्र मोदी ब्राजील गये थे, उस वक्त उन्होंने बोलसोनारो को गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि की हैसियत से भारत आने का न्यौता दिया था, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया था।
हालांकी इससे पहले साल 1996 में राष्ट्रपति फर्नेंडो हेनरीकुए कार्डोस और 2004 में राष्ट्रपति लुईस इनासिलयो लूला डिसिल्वा गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्यअतिथि के रूप में भारत आ चुके हैं, लेकिन बोलसोनारो की भारत यात्रा इस लिए अहम थी, क्योंकि राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने के बाद यह उनकी पहली आधिकारिक विदेश यात्रा थी। दक्षिण अमेरिकी देश ब्राजील के साथ भारत के हमेशा से ही अच्छे रिश्ते रहें है। भौगोलिक दूरी होने के बावजूद दोनों अनेक वैश्विक मंचों पर एक साथ खडेÞ दिखते हंै। दोनों देश कई द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौतों में शामिल है। संयुक्त राष्ट्र और उससे बाहर कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी सामरिक साझेदार है। ब्रिक्स, जी-20, जी-4, विश्व व्यापार संगठन और अंतरराष्ट्रीय सोलर सहयोग संगठन जैसे मंचों पर दोनों देशों के बीच बेहतर तालमेल देखा गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था और दूसरे अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भारत-ब्राजील समान दृष्टिकोण रखते हैं। बोलसोनारो के भारत दौरे के दौरान भी दोनों देश बहुस्तरीय मुददों पर अपने सहयोग को और मजबूत करने तथा सुरक्षा परिषद, संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों में आवश्यक सुधार के लिए मिलकर काम करने को तैयार हुए है।
साल 2006 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह चार दिवसीय दौरे पर ब्राजील गए थे। यह 38 वर्ष के बाद किसी भारतीय पीएम की ब्राजील यात्रा थी। इस यात्रा के बाद भारत-ब्राजील संबंधों में निरन्तर घनिष्ठता आयी। डॉ. सिंह की इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्वता दोहरायी। साल 2016 में गोवा में आयोजित हुए आठवें ब्रिक्स शिखर सम्मेल में भाग लेने के लिए ब्राजील के राष्ट्रपति मिशेल तेमेर ने भारत का दौरा किया था। मिशेल की भारत यात्रा के दौरान भी भारत-ब्राजील के बीच कई अहम मसलों पर सहमति बनी थी। भारत-ब्राजील के बीच 1948 में कूटनीतिक संबंध शुरू हुए, अब सामरिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए दोनों देशों ने एक व्यापक कार्ययोजना तैयार की है। साल 2023 दोनों देश के बीच राजनयिक संबंधों की प्लैटिनम जुबली साल होगा।
बोलसोनारो की इस यात्रा के दौरान भारत और ब्राजील का मुख्य फोकस सुसुप्त होते व्यापारिक रिश्तों में दोबारा प्राण फूंकने पर रहा। हालांकी व्यापारिक संबंध पिछले कुछ वर्षों में बेहतर हुए है, दोनों के बीच 2018-19 में द्विपक्षीय व्यापार 8.2 अरब अमरीकी डॉलर का रहा। इसमें 3.8 अरब डॉलर का भारतीय निर्यात और 4.4 अरब डॉलर का भारत का आयात शामिल है। बोलसोनारो की इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने अपना द्विपक्षीय व्यापार 2022 तक 15 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। गन्ना किसानों के मामले में भी ब्राजील के भारत के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन में जाने के मुददे को दोनों पक्षों ने आपसी परामर्श से सुलझाने का निर्णय लिया है।
भारत और ब्राजील के बीच मुक्त वीजा सिस्टम भी लागू है। दोनों देशों के पर्यटक और कारोबारी बिना वीजा के एक-दूसरे के देश में आ जा सकते हैं। अक्टूबर 2019 में राष्ट्रपति बोलसोनारो ने भारतीय नागरिकों को वीजा मुक्त यात्रा की सुविधा देने की घोषणा की थी। हालांकी इससे पहले 22 देशों के साथ हमारा मुक्त वीजा समझौता है, लेकिन ब्राजील जैसे बड़े व मजबूत अर्थव्यवस्था वाले देश के साथ मुक्त वीजा समझौता अहम माना जा रहा है। अभी पीछले दिनों ही मोदी सरकार ने भारत और ब्राजील के बीच सामाजिक सुरक्षा के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी दी है। विदेशों में कम समय के लिए काम करने वाले भारतीयों के हितों की रक्षा करने तथा भारतीय कंपनियों की प्रतिस्पर्धा क्षमताओं को बढ़ाने के दृष्टिगत भारत का कई देशों के साथ सामाजिक सुरक्षा समझौता (एसएसए) है। भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। जबकि ब्राजील 21 करोड़ की आबादी और 1800 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था वाला देश। अर्थव्यवस्था के लिहाज से दोनों देशों के बीच मजबूत व्यापारिक संबंध होना जरूरी भी है।
पूर्व सेना प्रमुख रहे 65 वर्षीय बोलसोनारो ने अक्टूबर 2018 के राष्ट्रपति चुनाव में प्रचंड जीत हासिल कर पिछले साल जनवरी में राष्ट्रपति पद सभांला था। सत्ता में आने के बाद उन्होंने इस बात के संकेत दिए कि वह विकासशील देशों के लिए भी अपनी नीतियोें में बदलाव करेंगें। भारत के लिए मुक्त वीजा की घोषणा बोलसोनारो की इन्हीं नीतियों का परिणाम कहा जा रहा है। ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि बोलसोनारो के भारत दौरे के बाद दोनों देशों के संबंध और मजबूत होंगे।
हालांकी बीच के काल खंड में दोनों देशों के रिश्तों को प्रभावित करने वाली कुछ घटनाएं भी हुई। गोवा की आजादी और इसके भारत में शामिल किए जाने को लेकर भारत-ब्राजील रिश्तों में कुछ ठहराव आया। इसकी बड़ी वजह यह थी कि ब्राजील गोवा में पुर्तगाल की मौजूदगी को सही बताता था। इसके पीछे उसके पुर्तगाल से ऐतिहासिक रिश्ते थे, ब्राजील मानता था कि भारत ने वहां सैन्य कार्रवाई कर अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन किया है। इसी तरह साल 2009 में ब्राजील ने भारत की आपत्ती के बावजूद पाकिस्तान को 85 मिलियन यूरो की 100 एंटी विकिरण मिसाइलों की बिक्री का सौदा किया। लेकिन वर्तमान में दोनों देश इस बात को स्वीकार करने लगे हैं कि उनके संबंध अब सामरिक भागीदारी के एक ऐसे मुकाम पर पहुंच चुके हैं, जहां से वह अपनी रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाईयां प्रदान कर सकते है। दोनों यूएन को और अधिक व्यवहारिक व कारगार बनाने के लिए उसमें सुधार करने और इसे आज की वास्तविकताओं के अनुरूप बनाने के मुद्दे पर एक-दूसरे का समर्थन करते हैं। यूएन सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्यता के लिहाज से दोनों के बीच मजबूत संबंध काफी जरूरी है, सुरक्षा परिषद् की स्थायी सदस्यता के लिए दोनों वर्षों से दावेदार हैं। दोनों देश आईबीएसए (इब्सा वार्ता मंच) पहल में शामिल है। हाल ही मे ब्राजील और भारत ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार और विकास, पर्यावरण, संयुक्त राष्ट्र के सुधार और यूएनएससी विस्तार जैसे मुद्दों पर बहुपक्षीय स्तर पर सहयोग किया है।
बोलसोनारो की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों ने आतंक के वित्तपोषण एवं राज्य प्रायोजित आतंकवाद की चुनौतियों का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए एफएटीएफ में साथ मिलकर काम करने का निश्चय किया है। दोनों देशों ने सभी देशों से आतंकवाद के शरणस्थली को खत्म करने, उनके नेटवर्क एवं वित्तपोषण के मार्गों को अवरूद्व कर देने तथा आतंकवादियों को सीमा के आर-पार, आने-जाने पर रोक देने की दिशा में मिलकर काम करने की अपील की।
सच तो यह है कि भारत के साथ ब्राजील के बहुआयामी संबंध है। यह द्विपक्षीय संबंध साल 2014 में उस वक्त और गहरे हुए जब सत्ता में आने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी पहली बार ब्राजील के उत्तर-पूर्वी शहर फोटार्लेजा में आयोजित ब्रिक्स देशों की छठी शिखर बैठक में भाग लेने के लिए ब्राजील गए थे। उसके बाद से दोनों देशों के संबंध कमोबेश अपनी गति से आगे बढ़ते रहें है। हालांकि इस बीच भारत-ब्राजील व्यापारिक संबंधों में जरूर गिरावट आई है। मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले साल 2011 में दोनों देशों के बीच 11 बिलियन से अधिक का व्यापार था, जो साल दर साल घटते हुए साल 2016 में 5.6 बिलियन रह गया है। भारत ब्राजील से चीनी, कपास, सोया, पैट्रोलियम उत्पाद और सोना आयात करता है, जबकि भारत ब्राजील को दवाइयां, केमिकल और फार्मा स्यूटिक्लस, आटोमोबाइल पार्टस और कपड़ों का निर्यात करता है। जनसंख्या के लिहाज से जहां भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है, वही ब्राजील क्षेत्रफल की दृष्टि से पांचवा बड़ा देश है। दोनों देशों के पास एक बड़ा बाजार है, जो एक-दूसरे की अर्थव्यवस्था को साधने और गति देने में कारगर हो सकते है।
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