भारत का अंतरिक्ष में फिर लहराया परचम

India again waved at Paracham

तीन कक्षाओं वाला अभियान सफल

श्रीहरिकोटा (आंध्रप्रदेश) (एजेंसी)। भारत को ‘मिशन शक्ति’ के बाद अंतरिक्ष में सोमवार को उस समय एक और बड़ी सफलता मिली जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पहली बार तीन विभिन्न कक्षाओं में उपग्रहों को स्थापित करने के लिए पीएसएलवी-सी 45 से प्राथमिक उपग्रह एमिसैट के साथ 28 विदेशी नैनो उपग्रहों को सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से अंतरिक्ष में छोड़ा और 17 मिनट के अंदर एमिसैट अपने कक्षा में स्थापित हो गया तथा करीब 100 मिनट के भीतर सभी विदेशी उपग्रह भी कक्षा में स्थापित कर दिये गये।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि धुव्रीय उपग्रह प्रक्षेपण वाहन पीएसएलवी-45 अपने 47 वें अभियान के तहत दूसरे लांच पैड से सुबह नौ बजकर 27 मिनट पर उड़ान भरी। प्रक्षेपण अधिकृत बोर्ड की मंजूरी मिलने के बाद कल सुबह इस मिशन के लिए उल्टी गिनती शुरू हुई। इस दौरान विभिन्न चरणों के लिए चार स्टेज वाले प्रक्षेपण वाहन में प्रणोदकों को भरने का काम किया गया और पूरे 27 घंटे की उल्टी गिनती के बाद पीएसएलवी-सी 45 ने अपने 47 वें मिशन के तहत आज निर्धारित समय पर पर सफल उड़ान भरी। इन्‍हें पृथ्वी की तीन अलग-अलग कक्षाओं में स्थापित करके इसरो ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में कई प्रयोग किये।

मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी

 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने धुव्रीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-45) द्वारा देश के सैन्य उपग्रह एमिसैट के साथ चार अन्य देशों के 28 उपग्रहों को आज विभिन्न कक्षाओं में सफलतापूर्वक स्थापित किये जाने पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों को बधाई दी है। प्रधानमंत्री ने इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा कि यह एक जटिल मिशन था और पीएसएलवी-क्यूएल संस्करण की यह पहली उडान थी जिसके दौरान तीन विभिन्न कक्षाओं में उपग्रह स्थापित किये गये। भारत जटिल अंतरिक्ष मिशनों को भी विश्वसनीयता के साथ अंजाम देने में निरंतर सफलता हासिल कर रहा है। सोमवार के मिशन में अमेरिका, स्विटजरलैंड, लिथुआनिया और स्पेन के उपग्रहों को भी उनकी संबंधित कक्षा में स्थापित किया गया।

 

 

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