कृषि वैज्ञानिकों ने प्रबंधन हेतू किया गहन मंथन, किसानों के लिए जारी की एडवाजरी || Pink Bollworm
डॉ. संदीप सिंहमार। उत्तर भारत में कपास/नरमा एक महत्वपूर्ण फसल है। इस फसल से जहां देश में कपड़ा उद्योग को बल मिलता है तो वहीं किसानों की भी आय में भी बढ़ोतरी होती है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से देश के उत्तरी क्षेत्र में लगातार गुलाबी सुंडी (Pink Bollworm) का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है, जो किसानों के लिए ही नहीं कृषि वैज्ञानिकों के लिए भी चिंता का सबब बन रहा है।
गुलाबी सुंडी के प्रकोप से निजात दिलाने के लिए चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार में देशभर से जुटे कृषि वैज्ञानिकों ने गहन मंथन किया। कृषि वैज्ञानिकों से हकृवि के कुलपति प्रोफेसर बीआर काम्बोज ने आह्वान करते हुए कहा कि इसके समाधान के लिए सामूहिक रूप से एकजुट होकर ठोस कदम उठाने होंगे ताकि किसान को आर्थिक नुकसान से बचाया जा सकें।
इस सेमिनार में कपास उगाने वाले 10 जिलों के किसान प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। कुलपति ने कहा कि पिछले वर्ष गुलाबी सुंडी का प्रकोप ज्यादा रहा था, जिसके नियंत्रण के लिए अंधाधुंध कीटनाशकों का प्रयोग किया गया जो चिंता का विषय है।
कीटनाशकों का प्रयोग हानिकारक, खोजने होंगे जैविक उपाय
गुलाबी सुंडी के कीट के नियंत्रण के लिए जैविक कीटनाशक एवं अन्य कीट प्रबंधन के उपायों को खोजना होगा तथा हितधारकों के साथ मिलकर सामूहिक प्रयास करने होंगे। तभी किसान को बचाया जा सकता है। किसान नरमे की बन्छटियों को खेत में न रखें। अगर रखी हुई है तो बिजाई से पहले इन्हें अच्छे ढंग से झाड़कर उसे दूसरे स्थान पर रख दें और इनके अधखिले टिण्डों एवं सूखे कचरे को नष्ट कर दें ताकि इन बन्छटियों से निकलने वाली गुलाबी सुंडियों को रोका जा सकें। इसके अलावा नरमा की बिजाई विश्वविद्यालय द्वारा अनुमोदित बी.टी. संकर किस्मों की 15 मई तक पूरी करें एवं कीटनाशकों एवं फफूंदीनाशकों को मिलाकर छिड़काव न करें।
फीरोमोट्रेप से निरंतर निगरानी रखें किसान
किसान नरमे की बिजाई उपरांत अपने खेत की फीरोमोट्रेप से निरंतर निगरानी रखें तथा गुलाबी सुंडी का प्रकोप नजर आने पर निकटतम कृषि विशेषज्ञ से बताएनुसार नियंत्रण के उपाय करें।
गुलाबी सुंडी के नियंत्रण व प्रबंधन के लिए दिए महत्वपूर्ण सुझाव || Pink Bollworm
विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. बलवान सिंह मंडल ने विश्वविद्यालय के सभी कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से गुलाबी सुंडी के प्रबंधन हेतु किए गए कार्यों की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। कपास अनुभाग के प्रभारी डॉ. करमल सिंह ने वर्ष 2023 में हरियाणा प्रांत में नरमा फसल में गुलाबी सुंडी के प्रकोप की स्थिति के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा की। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सतनाम सिंह एवं राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप कुमार ने अपने-अपने प्रांत में कपास की स्थिति एवं गुलाबी सुंडी के प्रकोप की जानकारी दी। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, हरियाणा के संयुक्त निदेशक (कपास) आर.पी. सिहाग ने विभाग द्वारा की गई गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।
कपास की अन्य समस्याओं पर हुई विस्तृत चर्चा
भारत सरकार के क्षेत्रीय कपास अनुसंधान केंद्र सिरसा के निदेशक डॉ. ऋषि कुमार ने उत्तर भारत में कपास की समस्याओं व उनके प्रबंधन को लेकर चर्चा की। इसी दौरान निजी बीज कंपनियों के प्रतिनिधियों ने भी गुलाबी सुंडी के नियंत्रण और प्रबंधन को लेकर महत्वपूर्ण सुझाव दिए। अलग-अलग जिलों से आए किसानों ने अपने-अपने विचार एवं अनुभव साझा किए।
सेमिनार के समापन पर सभी के सुझावों को एकत्रित कर गुलाबी सुंडी को लेकर भविष्य की रणनीति तैयार की एवं सभी के सामूहिक प्रयासों हेतु प्रेरित किया। भविष्य में संभावित गुलाबी सुंडी के प्रकोप को देखते हुए किसानों को भी कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार ही कृषि कार्य निपटाना चाहिए ताकि उन्हें किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े।