पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर नजर रखने वाले लेखकों के दल की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के पास इस समय 140 से 150 परमाणु हथियार हैं। यदि परमाणु अस्त्र-शस्त्र निर्माण करने की उसकी यही गति जारी रही तो 2025 तक इनकी संख्या बढ़कर 220 से 250 हो जाएगी। यदि यह संभव हो जाता है तो पाक दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा परमाणु हथियार संपन्न देश हो जाएगा। इस रिपोर्ट के प्रमुख लेखक एम क्रिस्टेनसेन, जुलिया डायमंड और रॉबर्ट एस नोरिस ने दी है, जो वाशिंगटन डीसी में स्थित ‘फेडरेशन आॅफ अमेरिकन साइंटिस्ट’ के परमाणु सूचना परियोजना निदेशक है। जबकि अमेरिका की ही रक्षा खुफिया एजेंसी ने 1999 में अनुमान लगाया था कि 2020 में पाकिस्तान के पास 60 से 80 परमाणु हथियार ही तैयार हो पाएंगे।
अमेरिकी गुप्तचर संस्था सीआईए के पूर्व वरिष्ठ खुफिया अधिकारी केविन हलबर्ट की बात मानें तो पाकिस्तान दुनिया के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक देशों में से एक है। पाकिस्तान की यह खुंखार और डरावनी सूरत इसलिए बन गई है, क्योंकि तीन तरह के जोखिम इस देश में खतरनाक ढंग से बढ़ रहे हैं। हालांकि अब अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच सौहार्द्रपूर्ण स्थिति बन गई है। नतीजतन उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए समयसीमा तय कर दी है। उम्मीद है यह प्रक्रिया अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इसी कार्यकाल में पूरी हो जाएगी। मानव स्वभाव में प्रतिशोध और ईर्ष्या दो ऐसे तत्व हैं, जो व्यक्ति को विवेक और संयम का साथ छोड़ देने को मजबूर कर देते हैं। इस स्वभाव को क्रूरतम परिणित में बदलते हम अमेरिका द्वारा हिरोशिमा और नागासाकी पर किए परमाणु हमलों के रूप में देख चुके हैं।
अमेरिका ने हमले का जघन्य अपराध उस नाजुक परिस्थिति में किया था, जब जापान इस हमले के पहले ही लगभग पराजय स्वीकार कर चुका था। इस दृश्टि से पाकिस्तान और उत्तर कोरिया पर भरोसा कैसे किया जाए ? पाकिस्तान दुनिया के लिए खतरनाक देश हो अथवा न हो, लेकिन भारत के लिए वह खतरनाक है, इसमें किसी को कोई संदेह नहीं है। दशकों से वह भारत पर हमला करने के लिए आतंकियों के इस्तेमाल को सही ठहराता रहा है। पाक भारत के खिलाफ युद्ध के लिए कट्रपंथी मुस्लिम अतिवादियों को खुला समर्थन दे रहा है। मुंबई और संसद पर हमले के दिमागी कौशल रखने वाले योजनाकार दाऊद और हाफिज सईद को पाक ने शरण दे रखी है।
इसके अलावा वह सीमा पर युद्ध जारी रखे हुए है और कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ कराकर भारत की नाक में दम किए हुए है। यही नहीं भारत के खिलाफ आतंकी रणनीतियों को प्रोत्साहित व सरंक्षण देने का काम पाक की गुप्तचर संस्थाएं और सेना भी कर रही हैं। हालांकि पाकिस्तान द्वारा आतंकियों को सरंक्षण देने के उपाय अब उसके लिए भी संकट बन रहे हैं। आतंकी संगठनों का संघर्ष शिया बनाम सुन्नी मुस्लिम अतिवादियों में तब्दील होने लगा है। इससे पाक में अंतर्कलह और अस्थिरता बढ़ी है।
ब्लूचिस्तान और सिंध प्रांत में इन आतंकियों पर नियंत्रण के लिए सैन्य अभियान चलाने पड़े हैं। बावजूद, पाकिस्तान की एक बड़ी आबादी सेना और खुफिया तंत्र तालिबान, अलकायदा, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मौहम्मद जैसे आतंकी गुटों को खतरनाक नहीं मानते। इन आतंकियों को अच्छे सैनिक माना जाता है, जो धर्म के लिए अपने कर्तव्य का पालन कर रहे हैं। आज पाक में आतंकी इतने वर्चस्वशाली हो गए हैं कि लश्कर-ए-झांगवी, पाकिस्तानी तालिबान, आफगान तालिबान और कुछ अन्य आतंकवादी गुट पाकिस्तान की निर्वाचित सरकार को भी चुनौती बन गए हैं। ये चुनी हुई सरकार को गिराकर देश की सत्ता पर सेना के साथ अपना नियंत्रण चाहते हैं।
वाई दवे ऐसा हो जाता है और परमाणु हथियार आतंकियों के हाथ लग जाते हैं, तो तय है, पाक को दुनिया के लिए खतरनाक देश बन जाने में देर नहीं लगेगी? इस नाजुक परिस्थिति में सबसे ज्यादा जोखिम भारत को उठाना होगा, क्योंकि भारत पाक सेना और आतंकी संगठनों के लिए दुश्मन देशों में पहले नबंर पर है। पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री इमरान खान की आतंक पर नकेल कसने की क्या दृश्टि रहती है, इसका पता भविष्य में चलेगा।
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका ने जापान के शहर हिरोशिमा पर 6 अगस्त और नागासाकी पर 9 अगस्त 1945 को परमाणु बम गिराए थे। इन बमों से हुए विस्फोट और विस्फोट से फूटने वाली रेडियोधर्मी विकिरण के कारण लाखों लोग तो मरे ही, हजारों लोग अनेक वर्र्षोंं तक लाइलाज बीमारियों की भी गिरफ्त में रहे। विकिरण प्रभावित क्षेत्र में दशकों तक अपंग बच्चों के पैदा होने का सिलसिला जारी रहा।
अपवादस्वरूप आज भी इस इलाके में लगड़े-लूल़े बच्चे पैदा होते हैं। अमेरिका ने पहला परीक्षण 1945 में किया था। तब आणविक हथियार निर्माण की पहली अवस्था में थे,किंतु तब से लेकर अब तक घातक से घातक परमाणु हथियार निर्माण की दिशा में बहुत प्रगति हो चुकी है। लिहाजा अब इन हथियारों का इस्तेमाल होता है तो बर्बादी की विभीषिका हिरोशिमा और नागासाकी से कहीं ज्यादा भयावह होगी ? इसलिए कहा जा रहा है कि आज दुनिया के पास इतनी बड़ी मात्रा में परमाणु हथियार हैं कि समूची धरती को एक बार नहीं, अनेक बार नष्ट-भ्रष्ट किया जा सकता है।जापान के आणविक विध्वंस से विचलित होकर ही 9 जुलाई 1955 को महान वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टीन और प्रसिद्ध ब्रिटिश दार्शनिक बर्ट्रेंड रसेल ने संयुक्त विज्ञप्ति जारी करके आणविक युद्ध से फैलने वाली तबाही की ओर इशारा करते हुए शांति के उपाय अपनाने का संदेश देते हुए कहा था, यह तय है कि तीसरे विश्व-युद्ध में परमाणु हथियारों का प्रयोग निश्चित किया जाएगा।
इस कारण मनुष्य जाति के लिए अस्तित्व का संकट पैदा हो जाएगा। किंतु चैथा विश्व-युद्ध लाठी और पत्थरों से लड़ा जाएगा। इसलिए इस विज्ञप्ति में यह भी आगाह किया गया था कि जनसंहार की आशंका वाले सभी हथियारों को नश्ट कर देना चाहिए। तय है, भविष्य में दो देशों के बीच हुए युद्ध की परिण्ति यदि विश्व-युद्ध में बदलती है और परमाणु हमले शुरू हो जाते हैं तो हालात कल्पना से कहीं ज्यादा डरावने होंगे दुनिया में फिलहाल 9 परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं। ये हैं, अमेरिका, रूस, फ्रांस, चीन, ब्रिटेन, भारत, पाकिस्तान, इजराइल और उत्तर कोरिया। इनमें अमेरिका, रूस, फ्रांस, चीन और ब्रिटेन के पास परमाणु बमों का इतना बड़ा भंडार है कि वे दुनिया को कई बार नश्ट कर सकते हैं।
हालांकि ये पांचों देश परमाणु अप्रसार संधि में शामिल हैं। इस संधि का मुख्य उद्देश्य परमाणु हथियार व इसके निर्माण की तकनीक को प्रतिबंधित बनाए रखना है। हालांकि ये देश इस मकसद पूर्ति में सफल नहीं रहे। पाकिस्तान ने ही तस्करी के जरिए उत्तर कोरिया को परमाणु हथियार निर्माण तकनीक हस्तांरित की और वह आज परमाणु शक्ति संपन्न नया देश बन गया है। परमाणु हमलों का खतरा केवल पाकिस्तान और उत्तरी कोरिया की ही तरफ से नहीं है, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड केमरून भी कह चुके हैं कि युद्ध की स्थिति में परमाणु विकल्प का बेखौफ इस्तेमाल करेंगे। भारत को आंख दिखाते हुए पाकिस्तान के पूर्व रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ भी कह चुके हैं कि उनके परमाणु हथियार महज शोपीस नहीं हैं। गोया, तय है कि पाकिस्तान के पास वास्तव में परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ रहा है तो यह भारत ही नहीं, दुनिया के लिए खतरनाक है।
प्रमोद भार्गव
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