Intoxication: पंजाब में सीमावर्त्ती जिले फिरोजपुर में 77 किलोग्राम हैरोईन बरामद हुई है, जोकि बेहद चिंताजनक है। भले ही पुलिस की यह बड़ी उपलब्धि है लेकिन राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर इसकी उतनी बड़ी चर्चा न होना, जितना बड़ा यह खतरनाक संकेत है यह और भी चिंता का विषय बन गया है। हैरोईन की इतनी बड़ी खेप की बरामदगी इस बात की पुष्टि करती है कि नशा तस्करों के मंसूबे, तैयारी और नेटवर्क बहुत बड़ा है। भले ही ड्रोन के सहारे ऐसी और भी घटनाएं सामने आ रही हैं कि पुलिस ने ड्रोन से हैरोईन भेजने की कोशिशों को नाकाम किया है लेकिन 77 किलोग्राम हैरोेईन सीमा पार कैसे कर गई? यह हैरानी वाली बात है। Intoxication
जो तस्कर यह हैरोईन सीमा पार करने में कामयाब हो गए, उनका नेटवर्क कितना लम्बा-चौड़ा होगा, इस बारे में समझने, सोचने व योजनाबंदी करने की चर्चा नहीं हो रही। नशा तस्करी को सिर्फ पुलिस तक छोड़ देने से बात नहीं बनेगी बल्कि इस मुहिम में राजनीतिक व सामाजिक प्रतिनिधियों का शामिल होना बहुत जरूरी होगा। केन्द्र व राज्य सरकारों को चाहिए कि फिरोजपुर वाली घटना को बड़ी चुनौती के रूप में स्वीकार किया जाए। नशा तस्करी में सीमावर्त्ती गांवों के आम लोगों का नशा तस्करी में लगातार शामिल होते जाना ही अपने आप में समस्या की गंभीरता की तरफ संकेत दे रहा है।
जो तस्कर कभी 5-7 किलो चूरा पोस्त लाने तक ही सीमित थे, वे आज अंतरराष्टÑीय सीमाओं द्वारा 100 करोड़ के करीब हैरोईन मंगवाने में कामयाब होते जा रहे हैं, तो इससे बड़ी खतरे वाली बात और क्या हो सकती है। यह घटना कम से कम पंजाब की जवानी के लिए तो बहुत ही भयानक है। रोजाना ही चिट्टा पीने से हो रही मौतों की खबरें नशा तस्करी के मजबूत नेटवर्क का सबूत हैं। Editorial
उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार व पुलिस फिरोजपुर में हैरोईन की बड़ी खेप की बरामदगी से यह समझ ले कि नशों के खिलाफ उनकी जंग और भी बड़ी हो गई है। अगर धड़ाधड़ ऐसी और भी खेपें मिलती रहीं तो तस्कर कोई न कोई खेप बचाने में जरूर कामयाब हो जाएंगे। बरामद न होने वाली खेपों के कारण ही शहर, गांव-गांव नशा जा रहा है। अगर हर खेप पकड़ी जा रही है तो फिर नशे से लोग मर क्यों रहे हैं, यह समझने की जरूरत है। Drugs
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