चेयरमैन बनाने की लेकर भाजपा, कांग्रेस व पार्षदों में सरगर्मियां तेज, बैठकों का दौर शुरू
सच कहूँ/प्रदीप दलाल। कैथल। कैथल की नगर परिषद् की कुर्सी का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर निकल चुका है। पिछले लगभग 1 साल से कैथल शहर की छोटी सरकार न होने का खामियाजा विकास कार्य न होने के चलते लगातार भुगतना पड़ रहा है,वहीं प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के बावजूद भी कांग्रेस समर्थित पार्षद कार्यकारी चेयरमैन होना भी भाजपा सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ हैं। ऐसा नहीं है कि भाजपा के मंत्रियों, विधायकों व पदाधिकारियों द्वारा समय-समय पर चेयरमैनी जल्द ही भाजपा के हवाले होने का दावा न किया हो, लेकिन सभी दावे हवाहवाई साबित हुए है।
जिसको लेकर भाजपा समर्थित पार्षदों में भी बैचेनी बढ़ने लगी थी, जिसको लेकर कुछेक पार्षदों ने प्रशासन का दरवाजा कई बार खटखटाया, लेकिन चेयरमैनी चुनाव की तिथि के नाम पर प्रशासन द्वारा भी सिर्फ कोरे आश्वासन देकर पार्षदों को टरकाने के अलावा कुछ नहीं किया गया है। जिस पर कुछ पार्षदों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिस पर अदालत द्वारा मामले में दखल देने पर अब एक बार फिर जिला प्रशासन द्वारा छोटी सरकार के चुनाव के लिए 29 मई का समय निर्धारित किया है।
जिसको लेकर लंबे समय से चल रही रस्साकस्सी तेज होती नजर आ रही है। शहर की सरकार भाजपा व कांग्रेस के बीच नाक की लड़ाई बन चुकी है। गत वर्ष अगस्त माह में भाजपा समर्थित शहर की सरकार को कांग्रेस विधायक रणदीप सिंह सुरजेवाला समर्थित पार्षदों ने गिरा दिया था। तब मुकाबला भाजपा वर्सिज सुरजेवाला हो गया था। चुनाव की तारीख आने के साथ ही पार्षदों की बैठकों का दौर शुरू हो चुका है।
एक अनार सौ बीमार
चेयरमैनी की चाह के कारण ही अब तक एक वर्ष का समय बीत जाने के बाद भी भाजपा चेयरमैनी पर काबिज नहीं हो पाई है, जिसका प्रमुख कारण भाजपा समर्थित हर पार्षद चेयरमैनी कुर्सी का दावेदार होना है। आपसी रजामंदी न होने के कारण ही भाजपा की बैठकों व तमाम प्रयासों के बाद भी भाजपा चेयरमैनी पर सिर्फ तोल ठोंकने के अलावा कुछ खास नहीं कर पाई है। अब देखना यह होगा कि 29 मई को भाजपा चेयरमैनी पाने में कामयाब होती है या फिर चेयरमैनी का सपना देख रहे पार्षदों की उम्मीदों पर फिर पानी फिरता है।
इन 21 पार्षदों ने दिया अविश्वास प्रस्ताव
अगस्त माह में उपायुक्त के समक्ष निवर्तमान चेयरमैन यशपाल प्रजापति के खिलाफ उपायुक्त के समक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाने वालों में वार्ड नंबर 1 से किरन, वार्ड नंबर 2 से विनोद कुमार, वार्ड नंबर 3 से महिंद्रों देवी, वार्ड 4 से निशा रानी, वार्ड 5 से संजय कुमार, वार्ड 6 से कुलदीप कुमार, वार्ड 8 से राकेश सरदाना, वार्ड 9 से बबीता मित्तल, वार्ड 10 से पूजा अग्रवाल, वार्ड 11 से हरजिंद्र सिंह, वार्ड 12 से शशी किरन, वार्ड 15 से सुनीता रानी, वार्ड 16 से सीमा कश्यप, वार्ड 17 से वेदप्रकाश, वार्ड 18 से रेखा सिंगला, वार्ड 21 से नरेश मित्तल, वार्ड 24 से महेंद्र थरेजा, वार्ड 25 से पवन थरेजा, वार्ड 26 से संतोष देवी, वार्ड 28 से मोहन लाल शर्मा, वार्ड 29 वीरेंद्र कुमार थे।
एक मत से गिरी थी कैथल की छोटी सरकार
शायद भाजपा की नियती में ऐसा ही कुछ लिखा है, जहां हार हो वहां अंतर एक मत का ही रहता है। जहां पूर्व में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार भी एक मत से गिर गई थी, वहीं अगस्त माह में भी ऐसा ही नजारा कैथल नगर परिषद चेयरमैनी को लेकर देखने को मिला जहां चेयरमैन यशपाल प्रजापति एक मत के अंतर से अपनी कुर्सी बचाने में नाकामयाब साबित रहे। चेयरमैन को अपनी कुर्सी बचाने रखने के लिए कुल 31 पार्षदों में से 11 पार्षदों की अपने समर्थन में जरूरत थी, परंतु उनके समर्थन में 10 ही नजर आए और बाकी बचे 21 ने चेयरमैन के खिलाफ अपना अविश्वास मत पारित किया।
अपने कार्यकाल में जनता की नि:स्वार्थ सेवा की: डॉ. थरेजा
नगर परिषद् के कार्यकारी चेयरमैन डॉ. पवन कुमार ने कहा कि नगर परिषद में हर अधिकारी, कर्मचारी व शहरवासी ने हमेशा शहर के विकास में उनका पूरा सहयोग व साथ दिया है, जिसके लिए सबका तह दिल से आभारी हूं। उन्होंने कहा कि जितना समय मुझे शहरवासियों की सेवा करने का मिला है, जिस पर मेरा खरा उतरा हूं। अब शहर को स्थाई चेयरमैन मिल जाऐगा तो निसंदेह शहर के विकास कार्यों में तेजी आऐगी।