चीन ने अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून की संयुक्त राष्ट्र की संधि को चुनौती देने का मन बना लिया है। इसी दिशा में चीन ने बड़ा कदम उठाते हुए दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर पर अपने समुद्री कानून लागू कर दिए हैं। इन कानूनों के आधार पर चीन स्पष्ट तौर पर अंतरराष्ट्रीय समुद्र में अपना दखल बढ़ाते हुए अपनी नीतियों को बिना झिझक के अंजाम दे रहा है। इस नए समुद्री कानून के मुताबिक अब चीन की समुद्री सीमा से गुजरने वाले सभी समुद्री जहाजों को चीनी अधिकारियों को तमाम तरह की जानकारियां देनी होंगी। यदि किसी विदेशी समुद्री जहाज ने चीन को मांगी गई जानकारी नहीं दी तो उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए चीन स्वतंत्र होगा। दरअसल समुद्री नौवहन को अपने हिसाब से संचालित करने के लिए चीन यह कानून थोप रहा है। चीन इस कानून के बहाने दक्षिण चीन सागर में दूसरे देशों की समुद्री सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश कर सकता है और साथ ही दक्षिण चीन सागर के नौवहन मार्ग पर अपनी दावेदारी मजबूत करने का दावा कर सकता है।
दरअसल दक्षिण चीन सागर से 246 लाख करोड़ रुपए का व्यापार होता है। इसी रास्ते से भारत भी वार्षिक लगभग 14 लाख करोड़ का व्यापार करता है। दरअसल यह दुनिया का एक महत्त्वपूर्ण नौवहन मार्ग है, जिससे दुनिया के कुल समुद्री कारोबार का एक तिहाई कारोबार होता है। आशंका जाहिर की जा रही है कि चीन नए समुद्री कानून के बहाने पूर्वी चीन सागर और दक्षिण चीन सागर जाने वाले विदेशी जहाजों को परेशान करेगा। इससे कई देशों के साथ चीन का विवाद खड़ा होने का खतरा सिर पर है। नदियों और समुद्र में अपनी विस्तारवादी नीतियों के कारण चीन दूसरे साम्यवादी देशों से भी उलझता रहा है। वियतनाम और रूस इसके उदाहरण हैं। जापान अपनी ऊर्जा क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने लिए पेट्रोलियम पदार्थों का बड़ा आयात इसी रास्ते से करता है। समुद्री क्षेत्र को लेकर चीन और जापान के बीच विवाद भी किसी से छिपा नहीं है। नए समुद्री कानून की आड़ में चीन भारत जैसे देश के आर्थिक हितों को भी प्रभावित करेगा क्योंकि भारत के कुल समुद्री व्यापार का लगभग पचपन फीसद कारोबार दक्षिण चीन सागर के रास्ते से ही होता है।
चीन की इस नई हरकत का असर अब यह पड़ेगा कि जापान, दक्षिण कोरिया और आसियान के कई देशों के साथ होने वाले व्यापार में भी भारत के लिए बाधाएं खड़ी हो सकती हैं। वियतनाम के समुद्री क्षेत्र में मौजूद गैस और तेल की खोज के लिए भारत और वियतनाम के बीच समझौता भी हुआ है। यंू भी चीन दक्षिण चीन सागर से लेकर अरब सागर तक के क्षेत्र पर अपने प्रभुत्व को सोची-समझी रणनीति के साथ बढ़ा रहा है। क्योंकि वैश्विक व्यापार का बड़ा हिस्सा इसी समुद्री रास्ते से निकलता है। इसलिए समुद्री नौवहन पर अपना प्रभुत्व बढ़ाने के लिए चीन खुलकर अपनी सेना का इस्तेमाल कर रहा है। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने समुद्र में अपनी ताकत बढ़ाई है। यह साफ है कि यदि चीन इसी तरह चलता रहा तो भविष्य में वह बंदरगाहों पर कब्जा कर अपनी सेना तैनात कर सकता है।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter, Instagram, LinkedIn , YouTube पर फॉलो करें।