देश में बढती तेजाब की घटनाएं एक संगीन अपराध: जिम्मेवार कौन?

देश में तेजाब की संगीन वारदातों ने जनमानस को झझकोर दिया है कि कुछ बीमार मानसिकता के चंद मुठठी भर दरिदें व अपराधी आज भी निडरता से तेजाब जैसे बर्बर हमले कर रहे हैं माननीय सर्वोच्च न्यायलय द्वारा एंटी रेप विधेयक मे तेजाबी हमला करने वालों को दस साल की सजा का प्रावधान किया गया है। गाहे-बगाहे देश में ऐसे वीभस्त मामले विचलित करते रहते हैं। ऐसे में सवाल यह उठना लाजिमी है कि इन पर रोक क्यों नहीं लग पा रही है। समाज में घटित इन हादसों से एक भयानकता की तस्वीर दिख रही है दरिदों द्वारा कानून का सरेआम उल्लधन किया जा रहा है। अगर इन दरिदों को सजा दी जाए तों यह मामले रुक सकते है। तेजाब के हमलों में बेतहाशा वृ़िद्ध होती जा रही है। भारत के हर राज्य में ऐसे मामले निरंतर होते रहतें है। अपराधियों को गवाहों के अभाव में जमानतों पर छोड़ दिया जाता है। तेजाब फैकने वाले अपराधियों को उम्रकैद की सजा देनी चाहिए ताकि जेलों में तिल-तिल मर सके। देश में जिस प्रकार महिलाओं व लडकियों पर तेजाब फैंकने की घटनाएं बढ रही हैं बेहद चिन्ताजनक है।

यह मामले थमने का नाम नहीं ले रहे है। प्रतिदिन देश में संगीन अपराध हो रहे है। आखिर कब इन मामलों पर रोक लगेगी। एक समाचार के अनुसार 9 नवबंर 2018 को बरेली में कोल्हू पर पानी नीने आई तीन महिलाओं पर कोल्हू मालिक ने तेजाब फैंक दिया जिससे तीनों बुरी तरह से झुलस गई। कोल्हू के मालिक ने एक महिला से कथित दुष्कर्म करने का प्रयास किया था तथा महिला के कपड़े फाड़ दिए जब महिला की चीख सुनकर जब दो महिलाओं ने उसे बचाने का प्रयास किया तो दरिदें ने तेजाब फैंक दिया। तेजाब फैंकने वाले बहशी दरिदे को गिरफतार कर लिया है। तेजाब हमले में गंभीर रुप से झुलसी तीनों महिलाओं का बरेली के अस्पताल में इलाज चल रहा है। तेजाबी हमलों को रोकना होगा। गत वर्ष वाराणसी में एक दोस्त के घर ठहरी रुसी युवती पर उसी के दोस्त ने तेजाब फेंक दिया था जिससे युवती 45 प्रतिशत झुलस गई थी।

ऐसी ही घटना मेरठ में घटित हुई थी जहां एक पति द्वारा अपनी पत्नी, सास-ससुर व सात अन्यो पर तेजाब फैंककर घायल कर दिया था। पत्नी द्वारा दुष्कर्म व दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज कराने से नाराज पति ने तेजाब फैंककर घिनौनी वारदात को अंजाम दिया था। तेजाबी हमले की चपेट में एक छह माह का बच्चा भी झुलस गया था और उसकी तीन बेटियां भी झुलस गई थी जब यह हमला हुआ यह लोग घर की छत पर सोए थे। देश में तेजाबी हमलों के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे है। यह कोई पहला मामला नहीं है इससे पहले सैकड़ो मामले हो चुके है पर यह रुकने के बजाए बढ़ते ही जा रहे है। आकड़ों के अनुसार 2 अप्रैल 2013 को पश्चिमी उतरप्रदेश के शामली जिले में दो युवकों द्वारा चार सगी बहनों पर पिचकारी से तेजाब फैंकने की दर्दनाक घटना घटित हुई थी। पेशे से शिक्षक चारों सगी बहनें बोर्ड की डयूटी करके घर लौट रही थी तभी रास्ते में मोटरसाईकल सवार दो युवकों नें उन पर तेजाब फैंक दिया जिससे एक युवती गंभीर रूप से झुलस गई ऐसी ही घटना में छतीसगढ में एक अज्ञात युवक द्वारा चार नाबालिग बहनों पर तेजाब फैक दिया जिससे वे बुरी तरह झुलस गई थी।

महाराष्ट्र में भी एक अज्ञात युवक ने एक पत्रकार व उसके परिवार के सदस्यों पर तेजाब फैक कर घायल कर दिया था। इन घटनाओं ने एक बार फिर पूरे में दहशत फैला दी है। लगभग 14 साल पहले वर्ष 2004 में हिमाचल प्रदेश के मण्डी में भी मुजफरनगर के एक युवक ने बस में सवार एक लडकी पर तेजाब फैंक कर बुरी तरह घायल कर दिया था। तेजाब के छींटों से बस में बैठी अन्य सवारियां भी झुलस गई थी।इस हादसे में लडकी की दोनों आखों की रोशनी खत्म हो गई थी। शिमला में भी एक युवक ने एक युवती पर तेजाब फैका था जिससे उसका चेहरा बुरी तरह जल गया था। उतराखंड के देहरादून में भी एक कालेज छा़त्रा पर एक युवक ने मुंह पर तेजाब फैक कर जला दिया था। पंजाब के बठिंडा में भी एक 24 वर्षीय लड़की पर तेजाब फैंक कर बुरी तरह से चेहरा जला दिया था उसका 31 जनवरी 2010 से आज तक इलाज चल रहा है अब तक उसकी 13 सर्जरियां हो चुकी है। अब समय आ गया है कि गहन निद्रां में सोये प्रशासन को अपनी कुम्भकरणी नींद तोडनी होगी । ऐसे लोगों को सबक सिखाना होगा। सरकार को तेजाब पीडिताओं का पूरा इलाज करवाना चाहिए ।जल चुकी व खराब हो चुकी आखों का आपरेशन का प्रावधान करवाना चाहिए ।सर्जरी बगैरा का खर्चा भी देना चाहिए।मुआवजे का प्रावधान करना चाहिए। अपराधियों पर कानूनी धाराएं लगानी चाहिए ।तेजाब बेचने वालों पर शिकंजा कसना चाहिए। ताकि ऐसे हादसे रूक सकें और मां, बहन, बेटियां सुरक्षित हो सकें। अगर अब भी लापरवाही बरती तो आने वाले कल को फिर से दरिदें जघन्य वारदातों को अंजाम देते रहेगें। वक्त अभी संभलनें का है।

नरेन्द्र भारती

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