भारत-चीन दरम्यां चल रहे तनाव व कमांडर स्तर पर अन्य कई तरह की बातचीत के बावजूद चीन-भारत के साथ लुका छिपी का खेल खेल रहा है। चीन की धोखेबाजी एक बार फिर से साबित हुई है। दो दिन पहले चीनी सेना की ओर से लद्दाख में पैगों झील के उस क्षेत्र पर कब्जा करने की कोशिश की गई जहां सीमा तय ही नहीं की गई है। इस क्षेत्र में दोनों देशों की सेनाओं का पीछे हटना तय हुआ था लेकिन बीजिंग जो कह रहा है सीमा पर उससे उल्ट हो रहा है। चाहे भारतीय सेना ने चीनी सेना के मंसूबों को फिलहाल नाकाम कर दिया है लेकिन यह घटनाक्रम भारत के लिए बहुत बड़ी सीख है।
चीन पर भरोसा कर बैठे नहीं रहा जा सकता। इन घटनाओं ने सुरक्षा विशेषज्ञों के दावों को सच साबित कर दिया है कि चीन ‘दो कदम आगे एक कदम पीछे’ वाला फार्मूला अपनाकर भारतीय क्षेत्र को हड़पना चाहता है। यह बात स्वीकार करने में कोई दोराय नहीं कि पिछले कई सालों से चीन के हाथ कुछ लगा या नहीं लेकिन चीन इस क्षेत्र को ज्यादा से ज्यादा विवाद वाला मुद्दा बनाने में कामयाब हो गया है। यह भी चीन की अपने आप में एक बड़ी कूटनीतिक चाल है कि सुलगते विवाद में कुछ हासिल किया जा सकता है। दरअसल चीन जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने को बड़ी गंभीरता से ले रहा है व अक्साई चीन संबंधी भारतीय नेताओं की बयानबाजी के अर्थ भी बाखूबी समझ रहा है। चीन घुसपैठ की कोशिशों के द्वारा यह माहौल बनाने की कोशिश में है कि अक्साई चीन तो उसका है ही, वह गलवान घाटी पर भी अपना हक रखता है।
इस तरह अप्रत्यक्ष तौर पर चीन अक्साई चीन पर अपना पक्ष मजबूत करने के लिए घुसपैठ की चाल चल रहा है। कुछ भी हो चीन द्वारा बुरी नीयत से की जा रही कार्यवाहियों ने भारतीय सेना का जानी नुक्सान किया है। केवल दो महीने पहले गलवान घाटी में चीनी सेना के हमले में 20 भारतीय जवानों ने शहादत प्राप्त की थी। यहां भारत को कारगिल जैसी लापरवाही से बचना होगा। पाकिस्तान सीधे दुश्मन की तरह व्यवहार करता है, जिससे निपटना आसान है, लेकिन चीन दोहरी नीति व छुपे हुए शत्रु की तरह है, जिसकी दिखावे की दोस्ती से सचेत रहना होगा। अंतरराष्टÑीय मंचों पर चीन को घेरने के साथ-साथ आर्थिक मोर्चे पर भी चीन को रोकने की मुहिम बरकरार रखनी होगी।
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