किसानों की मुश्किलें दूर करने में नाकाम रही केंद्र और राज्य की सरकार
चंडीगढ़ सच कहूँ/अनिल कक्कड़। हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने केंद्र सरकार द्वारा फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में की गई बढ़ोत्तरी को नाकाफी बताया है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के बीच भी किसानों को आ रही मुश्किलें दूर करने में केन्द्र सरकार नाकाम रही है। सरकार की यह बढ़ोत्तरी किसानों के साथ एक भद्दा मजाक है। कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा सरकार का एक बार फिर किसान विरोधी चेहरा उजागर हो गया है। सरकार ने धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में प्रति क्विंटल सिर्फ 53 रुपये की बढ़ोत्तरी की है, जो कि सिर्फ 2.89 से 2.92 प्रतिशत है। कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य में प्रति क्विंटल सिर्फ 4.95 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की गई है।
उन्होंने कहा कि इनके साथ ही अन्य फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भी मामूली बढ़ोत्तरी की गई है। उन्होंने कहा कि फसलों पर लागत लगातार बढ़ती जा रही है, वहीं दूसरी तरफ न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी के नाम पर सरकार द्वारा किसानों के साथ छलावा किया जा रहा है। जिससे साफ हो गया है कि किसानों की आय दोगुना करने का भाजपा का नारा एक खोखला नारा बनकर रह गया है। कुमारी सैलजा ने कहा कि केन्द्र सरकार हो या हरियाणा प्रदेश की सरकार हो, दोनों ने ही किसानों को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। अभी हाल ही में हरियाणा सरकार द्वारा धान की खेती पर रोक लगाने का फैसला इसका ताजा उदाहरण है।
बीजों, कीटनाशकों और डीजल के दामों में वृद्धि ने तोड़ी किसान की कमर
सैलजा ने कहा कि इस सरकार के समय लगातार फसल के बीजों, कीटनाशकों, डीजल के दामों में वृद्धि हुई है। अभी हाल ही में कोरोना महामारी और इसके चलते अनियोजित तरीके से लगाए गए लॉकडाउन के कारण किसानों की कमर पूरी तरह से टूट गई है। किसानों को सरकार की नाकामियों के कारण अप्रैल माह में फसल कटाई के दौरान न तो मशीन मिली और न ही मजदूर मिले। जो मशीन-मजदूर मिले, वह महंगे दामों पर मिले। इसके साथ ही उनकी फसल खरीद सही तरीके से नहीं हुई। उन्हें फसल खरीद में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि अभी तक भी मार्च और अप्रैल माह में आई बारिश व ओलावृष्टि से फसलों को हुए भारी नुकसान का मुआवजा किसानों को नहीं दिया गया है। सरकार का दावा था कि फसल खरीद के 72 घंटे के अंदर किसानों को भुगतान कर दिया जाएगा। परंतु किसानों की फसल खरीद के इतने दिन बाद अभी तक भी भुगतान नहीं किया गया है।
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