नई दिल्ली। कांग्रेस और टीएमसी सहित विपक्ष के 19 दलों ने (New Parliament Inauguration) संसद के नए भवन के उद्घाटन समारोह का बुधवार (24 मई) को बहिष्कार करने का ऐलान किया। विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया कि इस सरकार के कार्यकाल में संसद से लोकतंत्र की आत्मा को निकाल दिया गया है। इससे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दूर रखना लोकतंत्र पर सीधा हमला है।
सरकार ने विपक्ष के इस कदम को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि विपक्षी पार्टियों को अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि हर मामले में राजनीति नहीं करनी चाहिए। शाह ने कहा, ‘‘राजनीति को इसके साथ मत जोड़िए। एक बड़ी भावनात्मक प्रक्रिया है कि पुरानी परंपराओं से नए भारत को जोड़ने की। इसको इतने ही सीमित अर्थ में देखना चाहिए। राजनीति अपनी जगह चलती है। सब अपनी सोचने की क्षमताओं के अनुसार रिएक्शन देते हैं और काम करते हैं।’’
केंद्र सरकार की दलील | New Parliament Inauguration
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को संसद के नए भवन का उद्घाटन करेंगे। विपक्षी दलों की घोषणा को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने उनसे अपने रुख पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया।
नए भवन के कार्यक्रम का समय | New Parliament Inauguration
संसद के नए भवन का उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी 28 मई को करेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संसद का उद्घाटन दोपहर 12 बजे करने वाले हैं लेकिन उससे पहले ही सुबद 7 बजे से हवन पूजन का कार्यक्रम शुरू हो जाएगा। सुबह 7:30 से 8:30 बजे तक हवन और पूजा होगी। पूजा के लिए पंडाल गांधी मूर्ति के पास लगाया जाएगा। इस पूजा में पीएम नरेंद्र मोदी और लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, राज्यसभा डिप्टी चेयरमैन सहित कई मंत्री मौजूद रहेंगे। इसके बाद 8:30 से 9 बजे के बीच में लोकसभा के अंदर सेंगोल को स्थापित किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा नए संसद भवन का मामला, राष्ट्रपति से उद्घाटन कराने की मांग
उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है जिसमें शीर्ष अदालत से यह निर्देश देने की मांग की गई है कि नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्थान पर देश के राष्ट्रपति से कराया जाएं।
याचिकाकर्ता और पेशे से उच्चतम न्यायालय की (New Parliament Inauguration) अधिवक्ता सी आर जया सुकिन ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है और कहा कि लोकसभा सचिवालय ने उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं करके भारतीय संविधान का उल्लंघन किया है। ऐसा करके संविधान का सम्मान नहीं किया जा रहा है।”
याचिकाकर्ता अधिवक्ता ने अपनी याचिका में दावा किया, “लोकसभा सचिवालय द्वारा 18 मई को जारी किया गया बयान और नए संसद भवन के उद्घाटन के बारे में लाेकसभा महासचिव द्वारा जारी किया गया निमंत्रण एक मनमाना रवैया है, बिना रिकॉर्ड के उचित अध्ययन किए बिना ऐसा करना कदापि उचित नहीं है।”
याचिकाकर्ता अधिवक्ता ने कहा कि इस मामले की जल्द ही (New Parliament Inauguration) उच्चतम न्यायालय में सुनवाई होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि उत्तरदाताओं, केंद्र सरकार और लोकसभा सचिवालय सभी ने इस मामले में भारतीय संविधान का उल्लंघन किया है और इसका सम्मान नहीं किया जा रहा है।
याचिका में कहा गया है कि संसद भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है। भारतीय संसद में राष्ट्रपति और दो सदन राज्यसभा (राज्यों की परिषद) और लोक सभा (जनता का सदन)शामिल हैं। राष्ट्रपति के पास किसी भी सदन को बुलाने और सत्रावसान करने की शक्ति है। साथ ही संसद या लोकसभा को भंग करने की शक्ति भी राष्ट्रपति के ही पास है।
याचिकाकर्ता सुकिन ने अपनी याचिका में कहा, “राष्ट्रपति संसद का एक अभिन्न अंग हैं, लेकिन राष्ट्रपति को शिलान्यास समारोह से भी दूर रखा गया और अब वह उद्घाटन समारोह का हिस्सा भी नहीं है, सरकार का यह मनमाना फैसला कदापि उचित नहीं है।”
इससे पहले बुधवार को ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के (New Parliament Inauguration) नेतृत्व वाले बीजू जनता दल (बीजद) ने राजधानी में नवनिर्मित नए संसद भवन के उद्घाटन के “ऐतिहासिक अवसर” पर आयोजित का कार्यक्रम में भाग लेने की घोषणा की थी और कहा कि राष्ट्रपति तथा संसद जैसी संस्था को किसी ऐसे विवाद से अलग रखना चाहिए जिससे उनके गरिमा और सम्मान पर प्रभाव पड़ता हो।
समान विचारधारा वाले विपक्ष के 19 दलों ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी के (New Parliament) नेतृत्व वाली सरकार में संसदीय लोकतंत्र पर कुठाराघात हुआ है और नये भवन के निर्माण में विपक्षी दलों के साथ कोई सलाह मशविरा तक नहीं किया गया, इसलिए समान विचारधारा वाले दलों ने नये संसद भवन के उद्घाटन समारोह का सामूहिक रूप से बहिष्कार करने का निर्णय लिया है।
विपक्षी दलों ने कल एक संयुक्त वक्तव्य में कहा, “नये संसद भवन का उद्घाटन एक महत्वपूर्ण अवसर है। विपक्ष मानता है कि मोदी सरकार लोकतंत्र के लिए खतरनाक स्थिति पैदा कर रही है। इस सरकार ने निरंकुश तरीके से नये संसद का निर्माण किया है इसके बावज़ूद विपक्ष उद्घाटन समारोह के अवसर पर मतभेदों को भुलाने को तैयार था, लेकिन सरकार ने नये संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को पूरी तरह से दरकिनार कर प्रधानमंत्री से इसका उद्घाटन कराने का निर्णय लिया है और यह हमारी लोकतांत्रिक परंपरा पर सीधा हमला है।”